राष्ट्रीय शिक्षा दिवस: 11 नवम्बर (मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जन्म दिवस)
➡ राष्ट्रीय शिक्षा दिवस कब मनाया जाता है? When National Education Day Celebrated
प्रत्येक वर्ष देश भर में 11 नवम्बर को ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ या राष्ट्रीय शिक्षण दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2016 में इस दिवस का मुख्य विषय- ‘सबको शिक्षा-अच्छी शिक्षा’ था।
➡ राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का इतिहास: History of National Education Study Day
वैधानिक रूप से ‘राष्ट्रीय शिक्षा दिवस’ का प्रारम्भ 11 नवम्बर, 2008 से किया गया है। यह दिवस भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, प्रसिद्ध शिक्षाविद् एवं ‘भारत रत्न’ से सम्मानित मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है।
➡ मौलाना अबुल कलाम आजाद का जीवन परिचय: Maulana Abul Kalam Azad’s life introduction:
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन एक प्रसिद्ध भारतीय मुस्लिम विद्वान थे। वे कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद 11 नवम्बर, 1888 ई. का जन्म अरब देश के पवित्र मक्का में हुआ था। भारत की आजादी के वाद वे एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक रहे। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे।
➡ मौलाना अबुल कलाम आजाद से संबंधित महत्वपूर्ण रोचक तथ्य: Important Interesting Facts related to Maulana Abul Kalam Azad
मौलाना अबुल कलाम आजाद देश के पहले शिक्षा मंत्री 15 अगस्त 1947 से 2 फरवरी 1958 के मध्य बनें।इनका जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का, सऊदी अरब (तत्कालीन ओतोमन साम्राज्य के हेजाज विलाये के मक्का) में हुआ था।इनकी मृत्यु 22 फरवरी 1958 को दिल्ली में हुई थी।वे एक लेखक, कवि, पत्रकार तथा स्वतंत्रता सेनानी थे।वे 1940 से 1945 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष रहे।विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना उनके उल्लेखनीय कार्यों में से एक है।मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अहयोग आंदोलन व खिलाफत आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभायी।
➡ भारत की राष्ट्रीय शिक्षा संस्थाएं: National Study Organizations of India
“शान्ति निकेतन” अर्थात् `विश्व भारती’ विश्वविद्यालय भारत की सर्वोत्कृष्ट राष्ट्रीय शिक्षा संस्था है जिसकी स्थापना डा। रवीन्द्राथ टैगोर ने 1901 ई. में की थी। ब्रिटिश शासन के विरुद्ध देश में जिस पुनर्जागरण तथा क्रांति के आन्दोलनों का सूत्रपात हुआ उनके कर्णधार राजा राममोहनराय, स्वामी विवेकानन्द, स्वामी दयानन्द, अरविन्द गांधी, रवीन्द्रनाथ टैगोर आदि देशभक्त थे। इन महापुरुषों ने जहाँ विविध क्षेत्रों में अपने मौलिक विचार प्रस्तुत किये, वहां शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण प्रयास किये। इन्होंने भारत में अँग्रेजी शिक्षा के विनाशकारी प्रभाव को समझ कर देश की सभ्यता एवं संस्कृति के अनुकूल शिक्षा के भारतीयकरण का प्रयास किया तथा अनेक राष्ट्रीय शिक्षा संस्थाओं की स्थापना कर लोगों में देशभक्ति की चेतना जाग्रत की।
हरिद्वार की गुरुकुल कांगड़ी, अहमदाबाद की गुजरात विद्यापीठ, बनारस की काशी विद्यापीठ, बोलपुर (प. बंगाल) की शांति-निकेतन या विश्व भारती आदि इसी प्रकार के राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र थे। इन महापुरुषों एवं उनके द्वारा संस्थापित इन शिक्षा-संस्थाओं का भारतीय राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन में महत त्वपूर्ण योगदान रहा था।
➡ सर्वशिक्षा अभियान: Education for all campaign:
केंद्र सरकार ने 6 से 14 वर्ष की उम्र वाले देश के सभी विद्यार्थियों के लिए सर्वशिक्षा अभियान के नारे के साथ इसकी शुरुआत वर्ष 2002 से की थी। इसके तहत शिक्षकों के लिए लगातार कई प्रशिक्षण सत्र रखे गए। देश भर के सभी राज्यों के सभी प्राथमिक-माध्यमिक स्कूलों के बाहर अनिवार्य रूप से सब “पढ़ें-आगे बढ़ें” का बोर्ड लगाया गया, जो समस्त जनता को यह संदेश देने के लिए लगाया गया था कि स्कूलों के दरवाज़े समाज के सभी वर्गों के लिए खुले हैं। इसके तहत सभी धर्मों-जातियों-वर्गों के स्वस्थ व अपंग बच्चों (6 से 14 वर्ष) को शिक्षित करने का प्रावधान किया गया।
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