Daily News Summary of 16 Oct in details in Hindi

By | October 17, 2018

दैनिक समसामयिकी – 16 October 2018(Tuesday)

INTERNATIONAL/BILATERAL
1.नवंबर में फिर मिलेंगे मोदी और चिनफिंग
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पिछले चार वर्षो में दोनों देशों के बीच घटते-बढ़ते तनाव के बावजूद शीर्ष स्तर पर संवाद का सिलसिला थमने नहीं दिया है। असलियत में तनाव बढ़ने पर बातचीत के सिलसिले ने ज्यादा रफ्तार पकड़ी है। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए दोनों नेता अगले महीने अर्जेटीना में एक बार फिर द्विपक्षीय वार्ता के लिए आमने-सामने होंगे।
• अप्रैल, 2018 में वुहान (चीन) में दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक वार्ता के बाद नवंबर में होने वाली मुलाकात तीसरी मुलाकात होगी। इसमें वुहान बैठक के दौरान किए गए फैसलों की समीक्षा की जाएगी।
• चीन के भारत में राजदूत लुओ झावहुई ने यहां एक कार्यक्रम में मोदी और चिनफिंग की भावी मुलाकात के बारे में बताया। झावहुई ने भारत और चीन की मदद से अफगानिस्तान के राजनयिकों को विशेष प्रशिक्षण दिए जाने के लिए आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी।
• इस कार्यशाला के बारे में भी वुहान बैठक के दौरान ही सहमति बनी थी कि दोनों देश अफगानिस्तान में संयुक्त तौर पर विकास और शांति को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाएंगे। माना जाता है कि भारत और चीन संयुक्त तौर पर अफगानिस्तान में शांति बहाली के लिए भविष्य में और भी बहुत कुछ करने के बारे में बातचीत कर रहे हैं। इसकी शुरुआत वहां के राजनयिकों को प्रशिक्षण देने के साथ की गई है। आगे संयुक्त तौर पर विकास परियोजनाओं को भी शामिल किया जा सकता है।
• जानकारों का मुताबिक, वुहान में ही दोनों शीर्ष नेताओं के बीच यह सहमति बनी थी कि वे आपसी संबंधों को प्रभावित करने वाले सभी अहम मुद्दों की व्यक्तिगत स्तर पर समीक्षा करेंगे। यह एक वजह है कि मोदी और चिनफिंग मुलाकात का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देते। पिछले वर्ष जब डोकलाम विवाद चरम पर था तब भी मोदी और चिनफिंग के बीच मुलाकात हुई थी।
• दोनों के बीच वुहान में यह भी सहमति बनी थी कि आपसी संबंधों को खराब करने वाले सबसे बड़े मुद्दों को अब ज्यादा दिनों तक नहीं लटकाया जाएगा। दोनों ने अपनी सेनाओं को यह निर्देश दिया था कि वे सीमा पर आपसी विश्वास बहाली के लिए कदम उठाएं। उसके बाद से भारत व चीन के बीच तकरीबन 3500 किलोमीटर लंबी सीमा पर अमूमन शांति है।

ECONOMY
2. देश में ‘‘गंभीर स्तर’ पर है भुखमरी की समस्या
• वैश्विक भुखमरी सूचकांक में दुनिया के 119 देशों में भारत 103वें स्थान पर रहा है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। वेल्थ हंगर हिल्फे एंड कन्सर्न वल्डवाइड द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया के उन 45 देशों में शामिल है जहां ‘‘भुखमरी काफी गंभीर स्तर’ पर है।
• इसमें कहा गया है कि 2017 में इस सूचकांक में भारत का स्थान 100वां था लेकिन इस साल की रैंक तुलनायोग्य नहीं है। वैश्विक भुखमरी सूचकांक लगातार 13वें साल तय किया गया है। इसमें देशों को चार प्रमुख संकेतकों के आधार पर रैंकिग दी जाती है। इनमें अल्पपोषण, बाल मृत्यु, पांच साल तक के कमजोर बच्चे और बच्चों का अवरुद्ध शारीरिक विकास शामिल हैं।
• इस सूचकांक में भारत का स्थान अपने कई पड़ोसी देशों से भी नीचे है।भुखमरी सूचकांक में जहां चीन 25वें स्थान पर है वहीं नेपाल 72वें, म्यांमा 68वें, श्रीलंका 67वें और बांग्लादेश 86वें स्थान पर रहा है।
• पाकिस्तान को इस सूचकांक में 106वां स्थान मिला है। रिपोर्ट में हालांकि कहा गया है कि भुखमरी का स्तर क्षेत्रों के हिसाब से अलग-अलग है। इसमें कहा गया है कि इस साल के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में दक्षिण एशिया और सहारा दक्षिण अफ्रीका में भुखमरी का गंभीर स्तर दिखाया गया है।
• भुखमरी सूचकांक में 103वें स्थान पर है भारत द इस सूचकांक में शामिल किए गए हैं 119 देश
• इस सूची में चीन 25वें और नेपाल 72वें नंबर पर
• श्रीलंका 67वें और पाकिस्तान 106वें स्थान पर

3.आइएलएफएस को तीन माह की राहत
• कंपनी कानून के अपीलीय प्राधिकरण एनक्लैट ने आइएलएंडएफएस को बड़ी राहत देते हुए कंपनी और उसकी सभी सहयोगी शाखाओं के खिलाफ डिफॉल्ट संबंधी वित्तीय मामलों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
• नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट टिब्यूनल (एनक्लैट) ने सोमवार को एक अंतरिम आदेश के तहत आइएलएंडएफएस और उसकी किसी भी सहयोगी कंपनी के खिलाफ अगले आदेश तक किसी भी अदालत या प्राधिकरण में लंबित सभी मुकदमों पर कार्रवाई स्थगित रखने का भी आदेश दिया है। हालांकि यह अंतरिम आदेश किसी भी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में कंपनी के खिलाफ दायर रिट याचिका की सुनवाई पर लागू नहीं होगा।
• सरकार ने टिब्यूनल के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे कर्मचारियों के वेतन भुगतान का रास्ता साफ होगा और अटकी परियोजनाओं पर फिर से काम शुरू हो सकेगा।
• एनक्लैट ने मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को रखी है।
• कॉरपोरेट मामलों के मंत्रलय ने आइएलएंडएफएस और उसकी सहयोगी कंपनियों द्वारा लिए कर्ज के मामले में कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) से 90 दिनों का स्थगन मांगा था। लेकिन एनसीएलटी ने मंत्रालय की यह याचिका खारिज कर दी। उसके बाद मंत्रलय ने आनन-फानन में एनसीएलटी के आदेश को एनक्लैट में चुनौती दी।
• इस चुनौती याचिका को स्वीकार करते हुए एनक्लैट ने अंतरिम आदेश में ‘मामले की प्रकृति, देश की अर्थव्यवस्था तथा आम जनों और 348 सहयोगी कंपनियों समेत आइएलएंडएफएस के हितों को ध्यान में रखते हुए’ हाउसिंग फाइनेंस दिग्गज और उसकी सहयोगकी कंपनियों को फौरी दुश्वारियों से बचा लिया।
• एनक्लैट का फैसला आने के बाद आइएलएंडएफएस ने बयान जारी कर कहा कि कंपनी और उसके कर्जदाताओं के लिए यह एक बड़ी राहत है। इससे कंपनी के नए बोर्ड को समाधान प्रक्रिया का मूल्यांकन करने और सभी शेयरधारकों तथा साझेदारों के हक में उसे अंजाम तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
• सरकार ने भी एनक्लैट में यही तर्क दिया कि कंपनी के नवगठित बोर्ड को स्थितियों को समझने और आइएलएंडएफएस को सुरक्षित भविष्य तक ले जाने के लिए वक्त की दरकार है। कंपनी को समुचित उपाय करने का समय मिल सकेगा।

4.दबाव में नहीं आया आरबीआइ, कंपनियों को देश में ही रखना होगा डाटा
• इंटरनेट के जरिये भुगतान की सुविधा देने वाली विदेशी फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी कंपनियों को अब न सिर्फ देश में भारतीय ग्राहकों का सारा डाटा रखना होगा बल्कि उन्हें यहां की सेवाओं के लिए कंपनी भी यहां के नियम के मुताबिक ही चलानी होगी।
• आरबीआइ ने इस साल अप्रैल में इस क्षेत्र की सभी देसी-विदेशी कंपनियों को साफ तौर पर कहा था कि उन्हें 15 अक्टूबर तक भारत में ही अपने डाटा संरक्षित करने की व्यवस्था करनी होगी। इस समय सीमा को बढ़ाने के लिए सरकार व आरबीआइ पर काफी दबाव था। लेकिन सोमवार को देर रात तक केंद्रीय बैंक की तरफ से इस बारे में कोई निर्देश नहीं आया है कि उसने समय सीमा बढ़ाई है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि गूगल जैसी कंपनियों को भी आने वाले दिनों में भारत में अपनी वित्तीय सेवा के लिए स्थानीय तौर पर ढांचागत व्यवस्था करनी होगी।
• सरकारी सूत्रों के मुताबिक अप्रैल में आरबीआइ की तरफ से जारी निर्देश के बाद कई घरेलू व विदेशी साङोदारी वाली कंपनियों ने भारत में ही अपना डाटा स्टोरेज सेंटर स्थापित कर लिए हैं और इस बारे में आरबीआइ को सूचित भी कर दिया है। इसमें अलीबाबा, अमेजन व वाट्सएप जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं।
• मोटे तौर पर देश में काम करने वाली इस श्रेणी की फीसद कंपनियों ने आरबीआइ के निर्देश का पालन कर लिया है। हालांकि कुछ विदेशी बैंकों, गूगल व कुछ अन्य बहुराष्ट्रीय तकनीकी कंपनियों ने ऐसा नहीं किया है। ये कंपनियां सरकार व आरबीआइ से आग्रह कर रही थी कि उन्हें कुछ और मोहलत मिलनी चाहिए।
• अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अंतिम तारीख समाप्त होने के बाद 16 अक्टूबर यानी मंगलवार से आरबीआइ के निर्देश को नहीं मानने वाली कंपनियों को काम करने दिया जाएगा या नहीं। सूत्रों का कहना है कि जिन कंपनियों ने अभी तक इस नियम को स्वीकार नहीं किया है, उनकी भारत के कुल वित्तीय लेनदेन में हिस्सेदारी बेहद नगण्य है। इसलिए इसका कोई बड़ा असर नहीं होगा।
• बताते चलें कि इस कदम के पीछे आरबीआइ की मंशा यह है कि वह भारत में भुगतान से संबंधित सारे आंकड़ों की निगरानी देश में ही करना चाहता है। विदेश में डाटा होने की वजह से कई बार ये कंपनियां इन्हें उपलब्ध कराने से इनकार करती हैं।

NATIONAL/SOCIAL
5. सात दशक में घटे 9.69 फीसद आदिवासी
• देश में आदिवासियों की आबादी क्रमिक रूप से घटती जा रही है। आजाद भारत के सात दशकों की बात करें तो उनकी आबादी में तकरीबन दस फीसद की गिरावट आई है। आदिवासी बहुल झारखंड में जनजातीय परामर्शदात्री परिषद इसके कारणों की पड़ताल करने में जुट गई है। विस्थपान, कुपोषण, स्वास्थ सुविधाओं की कमी आदि मुख्य कारक माने जा रहे हैं।
• यहां 1951 में इनकी आबादी 35.80 फीसद थी, जो 1991 में घटकर 27.66 फीसद रह गई। यानी इस अवधि में 8.14 फीसद आबादी घट गई। वहीं, 2001 में यह आबादी 26.30, जबकि 2011 में 26.11 फीसद पर आ पहुंची। यानी 9.69 फीसद घट गई। इससे भी अधिक चौंकाने वाली रिपोर्ट राज्य की विलुप्तप्राय जनजातियों (आदिम जनजाति) की है।
• कल्याण विभाग की हालिया रिपोर्ट की बात करें तो 2001 से 2011 की दस वर्ष की अवधि में इनकी आबादी 95 हजार (3.87 लाख से 2.92 लाख) घट गई। इनकी घटती आबादी ने सरकार की बेचैनी बढ़ा दी है। आदिवासियों की मिनी एसेंबली कही जानेवाली जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) ने इस घटती आबादी की पड़ताल के लिए अलग से उपसमिति गठित कर दी है।
• राज्य के ग्रामीण विकासमंत्री नीलकंठ सिंहमुंडा की अध्यक्षता वाली उप समिति विभिन्न जिलों से संबंधित तथ्य इकट्ठा कर रही है। बुद्धिजीवियों, आदिवासी संगठनों और आदिवासी मामलों के जानकार से राय मशविरा कर रही है।
• यूं ही नहीं घट रहे आदिवासी : आजादी के वर्षो बाद अगर आदिवासियों की आबादी में गिरावट आई है तो उसके अनेक कारण हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में नेशनल पाकोर्ं के निर्माण की कड़ी में भूमि के अधिग्रहण होने से 549918, लोकउपक्रमों एवं उद्योगों की स्थापना से 259551,सिंचाई परियोजनाओं की वजह से 197947,जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा परियोजनाओं के कारण 51399 लोगों का विस्थापन हुआ। इनमें से 65 से 70 फीसद आबादी आदिवासियों की थी।
• नौकरी की तलाश में अन्य प्रदेशों के लिए पलायन भी इनकी आबादी घटने के विभिन्न कारणों में से एक है। स्वास्थ्य सेवाओं की अंतिम व्यक्ति तक पहुंच नहीं होना तथा राज्य में कुपोषण की भयावहता (लगभग 70 फीसद महिलाएं एनीमिया से पीड़ित और 48 फीसद बच्चों में कुपोषण), नशे का प्रचलन आदि भी असमय उनकी जिंदगियां लील रही हैं।
• बड़ा सवाल : राज्य के 57 लाख परिवार खाद्य सुरक्षा के दायरे में हैं, जिसकी परिधि में आदिवासियों की भी 80 फीसद आबादी आती है। मुख्यमंत्री डाकिया योजना के तहत हर आदिम जनजाति परिवार को 35 किलो अनाज देने का प्रावधान है।
• कल्याण विभाग के आवासीय विद्यालय में आदिवासियों के बच्चों के नि:शुल्क पठन-पाठन, भोजन और आवास, मैटिक पास को सीधी सरकारी नौकरी, मुफ्त आवास, स्वावलंबन को पूंजी,वृद्धा पेंशन, चिकित्सा अनुदान और भी बहुत सारी योजनाएं संचालित हैं। इसके बावजूद अगर वे हाशिये पर हैं तो यह सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

6. बुजुर्गो को अब बेसहारा नहीं छोड़ेगी सरकार
• देश में बुजुर्गो की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने फिलहाल सभी जिलों में वृद्धाश्रम खोलने की दिशा में एक बढ़ाया है। इसके तहत सरकार ने एक नई नीति को मंजूरी दी है।
• नई नीति का फोकस अब ऐसे जिलों पर होगा, जहां अभी कोई वृद्धाश्रम नहीं है। जहां पहले से वृद्धाश्रम मौजूद हैं वहां नए को स्वीकृति नहीं मिलेगी। नीति के तहत सरकारी संस्थानों की ओर से आने वाले प्रस्तावों को तरजीह दी जाएगी।
• सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक, वृद्धाश्रमों के बेतरतीब वितरण को खत्म करने और जरूरतमंद प्रत्येक बुजुर्ग की मदद के लिए यह नीति तैयार की गई है। मौजूदा समय में सरकार के पास इसे लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं थी। जिन जिलों से इसके लिए प्रस्ताव आते थे, उन्हें खुले रूप से स्वीकृति दे दी जाती थी।
• ऐसे में कई राज्यों और जिलों में जहां इनकी संख्या काफी अधिक है, वहीं बड़ी संख्या में जिले अभी भी इससे वंचित हैं।सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय ने नई नीति को दी मंजूरी, सभी जिलों में खुलेंगे वृद्धाश्रम, ऐसे जिलों पर फोकस जहां एक भी आश्रम नहीं, सरकारी संस्थानों की ओर से आने वाले प्रस्तावों को मिलेगी तरजीह
• 718 में से 488 जिलों में कोई वृद्धाश्रम नहीं1मंत्रलय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के मौजूदा कुल 718 जिलों में से करीब 488 जिले ऐसे हैं जहां अभी भी वृद्धाश्रम नहीं हैं। वहीं, जिन राज्यों में सबसे ज्यादा वृद्धाश्रम खुले हैं उनमें महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश आगे हैं। मौजूदा समय में देश के करीब 230 जिलों में करीब चार सौ वृद्धाश्रम संचालित हो रहे हैं।
• देश की कुल जनसंख्या में 12 फीसद हैं बुजुर्ग1सरकार ने इसे लेकर यह पहल उस समय की है, जब देश में बुजुर्गो की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मौजूदा समय में इनकी संख्या देश की कुल जनसंख्या का 12 फीसद (2018 की स्थिति में) है। जो वर्ष 2011 में मात्र 8.6 फीसद थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 तक इनकी संख्या कुल जनसंख्या का 14 से 16 फीसद तक हो सकती है।
• मार्च तक 100 नए जिलों में आश्रम खोलने का लक्ष्य
• सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, मार्च 2019 तक देश के सौ ऐसे जिलों में वृद्धाश्रम खोलने की योजना है, जहां अभी तक घर से ठुकराए गए बुजुर्गों के रहने का एक भी ठिकाना यानी आश्रम नहीं है। इसके लिए राज्यों की सरकारों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। राज्यों से प्रस्ताव आते ही मंजूरी दे दी जाएगी।

SCIENCE
7. डिजिटल इंडिया : मार्च तक ब्राडबैंड से जुड़ जाएंगी ग्राम पंचायतें
• संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने सोमवार को यहां कहा कि देश के सभी 2.50 लाख ग्राम पंचायतों को ब्राडबैंड से जोड़ने का काम जोर-शोर से जारी है। अब तक करीब 50 फीसद ग्राम पंचायत डिजिटली जुड़ चुकी हैं।
• बीबीएनएल ने देश के 2.50 लाख ग्राम पंचायतों को डिजिटल रूप से जोड़ने की भारत नेट परियोजना को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की इस अग्रणी योजना का उद्देश्य देश के प्रत्येक भाग में बिना किसी भेदभाव के ई-गर्वनेंस, ई-हेल्थ, ई-एजुकेशन, ई-बैंकिंग तथा नागरिकों को अन्य सेवाएं प्रदान करने में सहायता करना है।
• परियोजना लगभग 50 प्रतिशत पूरी हो गई है और शेष परियोजना मार्च 2019 तक पूरी कर ली जाएगी।सभी ग्राम पंचायतों में वायबलिटी गैप फंडिंग के माध्यम से लास्ट माइल कनेक्टविटी के लिए प्रावधान किए गए हैं। प्रत्येक ग्राम पंचायत में औसतन पांच वाई-फाई एक्सेस प्वाइंट (एपी) होंगे। इनमें औसत रूप से तीन एक्सेस प्वाइंट शिक्षा केन्द्रों, स्वास्य केन्द्रों, डाकघरों, थानों आदि के लिए होंगे।
• बीबीएनएल ने वाई-फाई सेवाओं के लिए टीएसपी तथा आईएसपी से परामर्श के बाद निविदा जारी की है।
• भारत नेट चरण 1 के अंतर्गत दिसम्बर 2017 तक एक लाख ग्राम पंचायतों को कवर कर लिया गया था।
• इसके दूसरे चरण में शेष 1.5 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है जिसे मार्च 2019 तक पूरा किया जाना है।
• भारत नेट का उपयोग बीएसएनएल, सीएसबी, एसपीवी, टीएसपी तथा आईएसपी द्वारा ग्राम पंचायतों में सेवा प्रदान करने के लिए किया जा रहा है।

8. बुध ग्रह के रहस्यों पर से पर्दा उठाने को तैयार है यूरोप का अंतरिक्ष यान
• दुनिया भर के वैज्ञानिक दूसरे ग्रहों पर जीवन के संकेतों की तलाश में जुटे हुए हैं। इसी कड़ी में ब्रिटेन की अंतरिक्ष एजेंसी भी एक अहम मिशन शुरू करने की तैयारी में है। दरअसल, ब्रिटेन में निर्मित एक अंतरिक्ष यान बुध ग्रह के रहस्यों को सुलझाने के लिए इसी सप्ताह लांच किया जाएगा।
• यह अपनी तरह का पहला मिशन है, जो यह पता लगाएगा कि सूर्य के इस निकटतम ग्रह पर पानी मौजूद है या नहीं।
• द यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) के बेपिकोलंबो अभियान के तहत दो कृत्रिम उपग्रह प्रक्षेपित किए जाने हैं। ये उस गर्म ग्रह के बारे में पता लगाएंगे, जिसकी सतह का तापमान 450 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। ब्रिटेन की लीसेस्टर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एमा बुंस के मुताबिक, बुध के बारे में ऐसी कई दिलचस्प बातें हैं, जिन्हें हम अभी भी समझ नहीं पाए हैं।
• एमा ने उम्मीद जताई है कि इस मिशन से कई जानकारियां निकलकर सामने आएंगी। इससे यह पता चल सकेगा कि इस ग्रह पर पानी है या नहीं।
• यह है ग्रह की खासियत : सूर्य के बेहद पास होने के बावजूद बुध के झुकाव के कारण इसका बहुत सा हिस्सा स्थायी रूप से छाया में रहता है। इसके परिणाम स्वरूप तापमान शून्य से नीचे 180 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है, जिससे यहां बर्फ जम सकती है।
• ग्रह पर पानी के अलावा वैज्ञानिक बुध के चुंबकीय क्षेत्र के बारे में कुछ अहम जानकारियां प्राप्त करना चाहते हैं। अभी तक माना जाता था कि इस ग्रह पर सब कुछ ठोस है, लेकिन पिछले कुछ अभियानों से चुंबकीय क्षेत्र के जरिये पता चला कि इसके आंतरिक भाग में कुछ पिघली हुई चीज भी है।
• अतीत के मिशन : बता दें कि अभी तक बुध ग्रह पर केवल दो अंतरिक्ष यान जा चुके हैं। इनमें से एक नासा के मैरिनर 10 था, जो 1974 और 1975 में इसके रहस्य सुलझाने गया था, वहीं इसके बाद 2011 और 2015 में नासा का ही मेसेंजर भी यहां गया था।

AWARD
9. आइंस्टीन पुरस्कार
• शिकागो (आईएएनएस)। भारतीय मूल के अमेरिकी प्रोफेसर अभय अश्तेकर को अमेरिकन फिजिकल सोसायटी (एपीएस) द्वारा प्रतिष्ठित आइंस्टीन पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
• चार दशक पहले उन्होंने गुरुत्वाकर्षण विज्ञान पर काम शुरू किया था।वर्ष 2018 के लिए उनको यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार की घोषणा 23 अक्टूबर को होगी।
• उन्हें पुरस्कार के तौर पर 10 हजार अमेरिकी डॉलर की राशि के साथ एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा, जिसमें लिखा है- ब्लैक होल्स, कैनोनिकल क्वांटम ग्रेविटी और क्वांटन कॉस्मोलॉजी सिंद्धात समेत समता का सिद्धांत के लिए विपुल व लाभदायक योगदान के लिए वर्ष 2018 का आइंस्टीन पुरुस्कार।

Source of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

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