Daily News Summary of 23 Oct in details in Hindi

By | October 23, 2018

दैनिक समसामयिकी – 23 October 2018(Tuesday)

ECONOMY
1.सीमापार के दिवाला मामलों के लिए संरा कानून की सिफारिश
• सरकार द्वारा नियुक्त एक उच्चस्तरीय समिति ने सीमापार के दिवाला मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र के माडल कानून को अपनाने का सुझाव दिया है। समिति ने कहा है कि इस कानून को भारत की जरूरतों के हिसाब से कुछ बदलाव के साथ अपनाया जा सकता है।
• एक आधिकारिक बयान में सोमवार को यह जानकारी दी गई। कारपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में सीमापार दिवाला खंड को जोड़ना आगे की ओर एक बड़ा कदम होगा। इससे यहां कानून को परिपक्व अधिकार क्षेत्रों के स्तर के अनुरूप बनाया जा सकेगा।
• कारपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास की अगुवाई वाली दिवाला कानून समिति (आईएलसी) ने सोमवार को इस बारे में रिपोर्ट कारपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली को सौंपी। आईएलसी ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून पर संयुक्त राष्ट्र आयोग (यूएनसीआईटीआरएएल) के माडल सीमापार दिवाला कानून, 1997 को अपनाने का सुझाव दिया है।
• बयान में कहा गया है कि यह कानून सीमापार दिवाला मामलों को देखने के लिए एक वृहद ढांचा उपलब्ध कराता है। समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि इस कानून को हमें अपनी जरूरत के हिसाब से बदलाव कर अपनाना चाहिए ताकि घरेलू दिवाला और प्रस्तावित सीमापार दिवाला ढांचे में किसी तरह की समानता की स्थिति नहीं बने।
• मंत्रालय के अनुसार माडल कानून का लाभ घरेलू प्रक्रिया और जनहित के संरक्षण को वरीयता है। इसके अलावा इससे विदेशी निवेशकों का भरोसा बढाया जा सकता है और घरेलू दिवाला कानून के साथ एकीकरण के लिए पर्याप्त लचीलापन मिलता है।

2. तीन साल में डेढ़ गुना बढ़ी करोड़पति करदाताओं की संख्या
• कालाधन के खिलाफ सरकार की मुहिम धीरे-धीरे असर दिखा रही है। सालाना एक करोड़ रुपये से अधिक आय वाले करदाताओं की संख्या तीन साल में डेढ़ गुना से ज्यादा हो गई है। आयकर विभाग के समक्ष एक करोड़ रुपये से अधिक आय बताने वाले व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या भी बढ़कर 81,344 हो गई है। वहीं आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले नए करदाताओं का आंकड़ा इस साल सवा करोड़ तक पहुंचने के आसार हैं।
• केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अनुसार, आकलन वर्ष (असेसमेंट ईयर) 2017-18 के लिए कुल 4.98 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल हुए। इसमें 9,22,517 करदाता ऐसे थे, जिन्होंने अपनी आय शून्य दिखाई। वहीं, 303 करदाताओं ने अपनी आय 500 करोड़ रुपये से अधिक दिखाई। इनमें व्यक्तिगत, कॉरपोरेट, फर्म और अविभाजित हिन्दू परिवार (एचयूएफ) के रूप में रिटर्न दाखिल करने वाले करदाता शामिल हैं।
• आकलन वर्ष 2017-18 में हर तरह के करदाताओं को मिलाकर 1,40,139 करदाताओं ने अपनी सालाना आय एक करोड़ रुपये से अधिक बताई, जबकि 2014-15 में ऐसे करदाताओं की संख्या महज 88,649 थी। इस तरह बीते तीन वर्षो में एक करोड़ रुपये से अधिक सालाना आय बताने वाले सभी वर्गो के करदाताओं की संख्या में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
• खास बात यह है कि इस अवधि में एक करोड़ रुपये सालाना आय वाले व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या भी 68 प्रतिशत वृद्धि के साथ आकलन वर्ष 2017-18 में बढ़कर 81,344 हो गई है, जबकि आकलन वर्ष 2014-15 में यह 48,416 थी। इसका मतलब यह है कि आधिकारिक तौर पर देश में 81,344 लोग करोड़पति हैं।1सीबीडीटी के अध्यक्ष सुशील चंद्रा का कहना है कि सरकार ने हाल के वर्षो में जो विधायी, प्रशासनिक और अन्य कदम उठाए हैं, उसके चलते कर-आधार बढ़ा है।
• उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2013-14 में कुल 3.79 करोड़ रिटर्न दाखिल हुए थे, जबकि 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 6.85 करोड़ हो गया। चालू वित्त वर्ष में भी 20 अक्टूबर तक 5.8 करोड़ करदाता रिटर्न दाखिल कर चुके हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष में समान अवधि तक यह आंकड़ा 3.60 करोड़ था।

3. प्रत्यक्ष कर संग्रह में 15.7 प्रतिशत की वृद्धि
• जीएसटी के जरिये सरकार भले ही लक्षित स्तर तक राजस्व नहीं जुटा पा रही हो, लेकिन प्रत्यक्ष कर संग्रह में खासी वृद्धि हो रही है। चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष करों का शुद्ध संग्रह अब तक 4.89 लाख करोड़ रुपये रहा है जो पिछले साल समान अवधि के मुकाबले 15.7 प्रतिशत अधिक है। आयकर विभाग ने चालू वित्त वर्ष में अब तक कुल 1.09 लाख करोड़ रुपये राशि के दो करोड़ रिफंड भी जारी किए हैं।
• सरकार ने प्रत्यक्ष करों के जरिए अब तक जो धनराशि जुटाई है, वह आम बजट 2018-19 में तय किए गए 11.5 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का 42 प्रतिशत है। पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने प्रत्यक्ष करों के जरिए 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि जुटाई थी।
• सीबीडीटी का कहना है कि प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ने से वित्त वर्ष 2017-18 में प्रत्यक्ष कर की राशि जीडीपी के 5.98 प्रतिशत पर पहुंच गई है जो बीते एक दशक में सर्वाधिक है। वहीं सरकार के कुल राजस्व में प्रत्यक्ष कर का योगदान एक बार फिर आधे से ज्यादा हो गया है। पिछले वित्त वर्ष में भी सरकार के खजाने में 52 प्रतिशत राशि प्रत्यक्ष कर संग्रह के माध्यम से आई थी।
• सूत्रों ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में यह उछाल हाल के वर्षो में कर आधार बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से किए गए प्रयासों का नतीजा है। पिछले वित्त वर्ष में ही आय कर विभाग ने करदाताओं को आयकर रिटर्न फाइल करने के लिए जागरुक बनाने के लिए 1.85 करोड़ ई-मेल और एसएमएस भेजे।
• सूत्रों ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में आयकर विभाग ने अब तक दो करोड़ रिफंड जारी किए हैं जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1.22 करोड़ था। इस तरह इसमें 62 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वहीं जारी किए गए रिफंड की राशि भी 83,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.09 लाख करोड़ रुपये राशि हो गयी है। इस तरह इसमें 31.7 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

NATIONAL
4. मुकदमों का बोझ खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कसी कमर
• प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को पद संभाले अभी एक माह भी पूरा नहीं हुआ है, लेकिन मुकदमों का ढेर खत्म करने की योजना देने का वादा कर चुके न्यायपालिका के नए मुखिया ने वादे को मुकाम पर पहुंचाने के लिए सिस्टम की चूलें कसना शुरू कर दिया है। प्रधान न्यायाधीश की पीठ ने निचली अदालतों में खाली पड़े 5,133 पदों का स्वत: संज्ञान लिया है।
• शीर्ष कोर्ट ने सभी राज्यों और हाई कोर्टो से खाली पदों और उन्हें भरने की चल रही प्रक्रिया का पूरा ब्योरा तलब किया है। कोर्ट ने 31 अक्टूबर तक सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए मामले को एक नवंबर को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया है।
• प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और संजय किशन कौल की पीठ ने निचली अदालतों में खाली पड़े पदों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में रिक्तियां कतई स्वीकार नहीं की जा सकतीं।
• कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्टो से प्राप्त सूचना के मुताबिक, देशभर की निचली अदालतों में हायर ज्यूडिशियल सर्विस के कुल 22,033 पद हैं जिसमें से 5,133 खाली पड़े हैं। 4,180 पदों को भरने की प्रक्रिया विभिन्न चरणों में है, जबकि 1,324 पदों को भरने की कोई प्रक्रिया नहीं चल रही है।
• कोर्ट ने आंकड़े देखने के बाद कहा कि इन आंकड़ों में अंतर है और इस पहलू को भी देखा जाएगा। हायर ज्यूडिशियल सर्विस के जिन पदों की बात हो रही है उसमें क्लास वन ग्रेड वन में जिला जज, अतिरिक्त जिला जज का कैडर तथा सिविल जज सीनियर डिवीजन और सिविल जज जूनियर डिवीजन आते हैं। इन्हें कुछ राज्यों में ग्रेड टू और ग्रेड थ्री या क्लास टू व क्लास थ्री भी कहा जाता है।
• 31 अक्टूबर तक मांगी जानकारी : कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सभी राज्यों और हाई कोर्टो को निर्देश दिया है कि वे सुप्रीम कोर्ट के सेकेट्री जनरल को खाली पदों को भरने की चल रही प्रक्रिया की सारी जानकारी 31 अक्टूबर तक उपलब्ध कराएं। बताएं कि किस तारीख से हायर ज्यूडिशियल और लोअर ज्यूडिशियल सर्विस के खाली पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू हुई और कब तक प्रक्रिया पूरी करके नियुक्तियां हो जाएंगी।

Source of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

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