Daily News Summary of 24 Oct in details in Hindi

By | October 25, 2018

दैनिक समसामयिकी – 24 October 2018(Wednesday)

NATIONAL
1.संविधान पीठ करेगीचुनाव आयुक्त के चयन के मसले पर सुनवाही
• मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति कोलेजियम जैसी चयन प्रक्रिया से कराने की मांग संबंधी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के हवाले कर दी।
• प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एसके कौल की पीठ ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर विचार किया। साथ ही कहा कि सीईसी और ईसी की नियुक्ति के मसले को बड़ी पीठ द्वारा सुना जाना चाहिए।
• पीठ अनूप बरनवाल द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की मांग की गई है। केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सीईसी द्वारा अपने पद के दुरुपयोग का कोई मामला सामने नहीं आया है।
• इस संदर्भ में उन्होंने टीएन शेषन और अन्य व्यक्तियों के नामों का उल्लेख किया जिन्होंने सीईसी कार्यालय की गरिमा में बढ़ोतरी की।

2. भारतीय नागरिक के विदेशी जीवनसाथी को ओसीआइ कार्ड का हक
• भारतीय नागरिक या भारतीय मूल के विदेशी नागरिक (ओसीआइ) का विदेशी मूल का जीवन साथी भी अब विशेषाधिकारों वाला ओसीआइ कार्ड पाने का हकदार होगा। इस कार्ड में देश यात्र के लिए कई बार प्रवेश के साथ-साथ बहुउद्देश्यीय और जीवनर्पयत वीजा की सुविधा हासिल है। इसके अलावा भारतीय नागरिकता त्यागने की प्रक्रिया को भी आसान बना दिया गया है।
• केंद्रीय गृह मंत्रलय ने मंगलवार को एक अधिसूचना जारी कर बताया कि विशेषाधिकार युक्त ओसीआइ कार्ड के रूप में पंजीकृत व्यक्ति को विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी या भारत में किसी भी अवधि के लिए विदेशी पंजीकरण अधिकारी के समक्ष पंजीकरण कराने से छूट हासिल होगी।
• ऐसे व्यक्ति को भी अप्रवासी भारतीयों को उपलब्ध सभी आर्थिक, वित्तीय और शैक्षिक क्षेत्रों की सुविधाएं हासिल होंगी। इनमें कृषि या पौधरोपण संपत्तियों के अधिग्रहण से संबंधित मामले शामिल नहीं हैं।
• मालूम हो कि ओसीआइ कार्ड योजना 2006 में हैदराबाद में आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के दौरान शुरू की गई थी। गृह मंत्रलय ने सिटिजनशिप रूल्स, 2009 भी संशोधित कर दिए हैं।
• अधिसूचना के मुताबिक, भारतीय नागरिक को भारत की नागरिकता छोड़ने संबंधी घोषणा एक निर्धारित फॉर्म में करनी होगी।

INTERNATIONAL/BILATERAL
3. मसूद अजहर पर टस से मस नहीं हुआ चीन
• पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराए जाने के मसले पर चीन अपने रुख से टस से मस नहीं हुआ है। उसने मंगलवार को साफ कर दिया कि भारत के आग्रह पर उसका रुख नहीं बदला है। इस मसले पर वह गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेगा।
• भारत ने चीन से मसूद को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित कराने का आग्रह किया था। भारत कई सालों से इस प्रयास में जुटा है, लेकिन इस राह में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य चीन हर बार रोड़ा अटका देता है। उसके पास वीटो का अधिकार है।
• नई दिल्ली में बीते सोमवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह और चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मामलों के मंत्री झाओ केझी की सह अध्यक्षता में भारत-चीन की द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग मसले पर पहली उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। इस बैठक के दौरान भारत ने चीन से कहा था कि वह संयुक्त राष्ट्र में मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के लंबित आवेदन का समर्थन करे।
• भारत के इस आग्रह के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मंगलवार को कहा, ‘मसूद को सूचीबद्ध कराने के संदर्भ में भारत के आग्रह पर हम पहले ही अपना रुख कई बार बता चुके हैं। आतंक रोधी मसले पर चीन पहले से ही अंतरराष्ट्रीय आतंकरोधी अभियानों में सक्रियता से भागीदारी करता रहा है। हमने किसी भी मामले में निर्णय हमेशा गुण और दोष के आधार पर लिए हैं। हम क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए कदम उठाते रहेंगे।

ECONOMY
4. आरबीआइ का एनपीए पर गहन मंथन
• बैंकिंग सेक्टर को परेशान कर रहे मुद्दों पर विचार करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के बोर्ड की पिछले दिनों यहां बैठक हुई। इस बैठक में आरबीआइ गवर्नर उर्जित पटेल, आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग और वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने बैंकों के फंसे कर्ज यानी एनपीए समेत सभी मसलों पर चर्चा की।
• प्राप्त सूचना के मुताबिक 18 सदस्यीय बोर्ड ने प्रॉम्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क पर विचार किया, जिसके तहत अभी 11 सरकारी बैंक रखे गए हैं। यह भी समझा जा रहा है कि इस बैठक में गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) के सामने पैदा हुए नकदी संकट पर भी चर्चा हुई।
• एनबीएफसी के सामने तरलता की यह समस्या आइएलएंडएफएस समूह में संकट सामने आने के बाद पैदा हुई है। समूह की कई कंपनियां को भुगतान में डिफॉल्ट होने के बाद सरकार ने एक अक्टूबर को आइएलएंडएफएस को अपने हाथों में लिया था।

5. देश के 326 पारंपरिक उत्पादों को मिली खास पहचान व सुरक्ष
• कांचीपुरम सिल्क साड़ी, अल्फांजो आम समेत अनगिनत भारतीय उत्पाद ऐसे हैं जिनका देश में किसी खास क्षेत्र में सदियों से उत्पादन होता रहा है और देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के बाजारों में उनकी खास पहचान है। ऐसे ही 326 उत्पादों की बाजार में इस खास पहचान को सुरक्षित रखने के लिए ज्यॉग्रफीकल पेटेंट का टैग किया गया है।
• आइपीआर प्रमोशन एंड सेल (सीआइपीएएम) ने एक ट्वीट में कहा कि विभिन्न श्रेणियों में 326 उत्पादों का ज्यॉग्रफीकल इंडिकेशंस यानी जीआइ पंजीकरण हो चुका है। इतनी बड़ी संख्या में उत्पादों को जीआइ टैग मिलना एक मुकाम है। सीआइपीएएम औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआइपीपी) का एक संगठन है।
• जीआइ मुख्यत: कृषि, प्राकृतिक या मानव निर्मित परंपरागत उत्पादों (हस्तशिल्प व औद्योगिक उत्पाद) को दिया जाता है, जिसका उत्पादन खास क्षेत्र में लंबे अरसे हो रहा है। विशेष रूप से ये नाम एक खास तरह की गुणवत्ता और अनूठेपन की गारंटी देते हैं, जिसका संबंध इनके उत्पादन क्षेत्र से होता है।
• जब किसी उत्पाद को यह टैग मिल जाता है तो उसका उत्पादन और बिक्री उस क्षेत्र के लोग ही इस टैग के साथ कर सकते हैं। इस क्षेत्र के बाहर के लोगों और कंपनियों को उससे मिलते-जुलते उत्पाद बेचने और इस टैग का इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं होता है। यह टैग 10 साल तक के लिए प्रभावी रहता है। इसके बाद इसका नवीनीकरण किया जा सकता है।
• जीआइ पंजीकरण के अन्य लाभों में उस सामान को वैधानिक सुरक्षा, दूसरों द्वारा उसके अनधिकृत उपयोग से बचाव और निर्यात को बढ़ावा मिलना शामिल हैं।1जीआइ पंजीकरण के लिए व्यक्तियों या उत्पादकों का कोई भी संगठन, संस्था या कानून के तहत स्थापित कोई प्राधिकरण आवेदन कर सकता है। आवेदक निश्चित रूप से उत्पादकों का प्रतिनिधित्व करने वाला होना चाहिए। जीआइ टैग एक वैधानिक अधिकार है, जिसके तहत जीआइ धारक दूसरों को उस नाम का इस्तेमाल करने से रोक सकता है।
• ये नाम गुणवत्ता और अनूठेपन की गारंटी देते हैं और जिससे इसके एक खास भौगोलिक स्थान, क्षेत्र या देश में उत्पादित होने का पता चलता है।
• औद्योगिक संपत्ति की सुरक्षा पर पेरिस समझौते के तहत ज्यॉग्रफीकल इंडिकेशंस बौद्धिक संपदा अधिकार (आइपीआर) के दायरे में आता है। देश का ज्यॉग्रफीकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट-1999 सितंबर 2003 से प्रभावी है
• देश का ज्यॉग्रफीकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट-1999 सितंबर 2003 से प्रभावी है।
• इन उत्पादों को जीआइ टैग मिलने से उत्पादकों को मिलेगा फायदा
• दूसरे क्षेत्रों के उत्पादक व कंपनियां नहीं ले पाएंगी बेजा लाभ
• जीआइ टैग पाने वाले में ये भी:-बासमती चावल, दार्जीलिंग चाय, चंदेरी कपड़ा, मैसूर सिल्क साड़ी, कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, तंजावुर पेंटिंग, इलाहाबाद सुर्खा अमरूद, फरुखाबाद प्रिंट, लखनऊ जरदोजी और कश्मीर में बनी अखरोट के लकड़ी के हस्तशिल्प को जीआइ टैग मिला हुआ है।

ENVIRONMENT
6. जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए भारत का साथ देने आगे आया यूएन
• भारत के तटीय इलाकों में रहने वाले लाखों लोगों पर होने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से 315 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि दी गई है। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा के इलाके में इस राशि का प्रयोग किया जाएगा।
• कुछ इलाके जलवायु परिवर्तन से निपटने में कमजोर : पर्यावरण मंत्रलय, वन और जलवायु परिवर्तन के संयुक्त सचिव रवि एस. प्रसाद ने कहा, भारत के तटीय क्षेत्र के कुछ इलाके जलवायु परिवर्तन से निपटने में कमजोर हैं। ऐसे में यह राशि और परियोजना आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा के चयनित कमजोर इलाकों पर केंद्रित है।
• उन्होंने यह भी कहा कि हरित जलवायु निधि की सहायता से सिर्फ नई परियोजनाएं ही नहीं बल्कि जलवायु के प्रति लचीलापन और अनुकूलता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
• सतत विकास के कार्यक्रम में मिलेगी मदद : नई परियोजना संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के माध्यम से समर्थित होगी। इस कदम से भारत को पेरिस समझौते में उल्लिखित लक्ष्यों और अपने 2030 के एजेंडा यानी सतत विकास के कार्यक्रम में मदद मिलेगी।
• संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी जलवायु निधि ने 19 नई परियोजनाओं के लिए करीब 7400 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि के अनुदान को मंजूरी दी है। इससे विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि जलवायु परिवर्तन वर्तमान में वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती एक प्रमुख समस्या है। दुनिया भर के वैज्ञानिक इससे निपटने के विकल्प और मार्ग तलाश रहे हैं।
• संयुक्त राष्ट्र इसमें प्रमुख भूमिका निभा रहा है। इसी के तहत संयुक्त राष्ट्र की यह 21वीं चार दिवसीय बैठक बहरीन की राजधानी मनामा में रविवार को समाप्त हुई।

SCIENCE
7. असीमित संभावनाओं का पिटारा क्वांटम कंप्यूटिंग
• क्वांटम कंप्यूटिंग का क्षेत्र जितना अहम है उसकी तुलना में इस क्षेत्र में कुशल लोगों की संख्या बहुत कम है। एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में 1,000 से भी कम लोग ऐसे हैं जो क्वांटम कंप्यूटिंग में शोध कर रहे हैं। बहुत सी कंपनियां अपने लिए योग्य लोगों की तलाश नहीं कर पा रहीं।
• इस क्षेत्र में भविष्य की अपार संभावनाओं के बाद भी लोगों का इस ओर आकर्षित नहीं होना, चिंता का विषय बना हुआ है। इस बीच अमेरिका की आव्रजन नीति में सख्ती ने वहां की कंपनियों की परेशानी को और बढ़ा दिया है। नीति में सख्ती के चलते कुशल कार्यबल अमेरिका से दूरी बना रहा है।
• यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस में भौतिकी के प्रोफेसर ब्रायन डीमाकरे ने कहा, ‘देश क्वांटम कंप्यूटिंग के मामले में चौराहे पर खड़ा है। संतुलन नहीं बन रहा है। यही स्थिति रही, तो हम प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगे।’
• क्या है क्वांटम कंप्यूटिंग?:- क्वांटम कंप्यूटिंग को कंप्यूटर का भविष्य माना जा रहा है। पारंपरिक कंप्यूटर ‘बिट’ पर काम करते हैं, वहीं क्वांटम कंप्यूटर में प्राथमिक इकाई ‘क्यूबिट’ होती है। पारंपरिक कंप्यूटर में हर बिट की वैल्यू 0 (जीरो) या 1 (वन) होती है।
• कंप्यूटर इस जीरो और वन की भाषा में ही हर कमांड को समझता है और उसके अनुरूप कार्य करता है। वहीं, क्यूबिट यानी क्वांटम बिट एक साथ जीरो और वन दोनों को स्टोर कर सकता है। इसका मतलब यह है कि दो क्यूबिट में एक साथ चार वैल्यू रह सकती है। यही खूबी इसे खास बनाती है।
• एक साथ चार वैल्यू रखने के कारण इसकी क्षमता और स्पीड पारंपरिक कंप्यूटर से ज्यादा होगी। क्वांटम कंप्यूटर अभी अवधारणा के स्तर पर ही है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह पारंपरिक कंप्यूटिंग से बने उन सभी एनक्रिप्शन को तोड़ने में सक्षम होगा, जिनमें डाटा सुरक्षित रखे जाते हैं।
• कई देश कर रहे बड़ी फंडिंग1क्वांटम कंप्यूटर की क्षमता को देखते हुए सुरक्षा की दृष्टि से इसे महत्वूपर्ण माना जा रहा है। यही वजह है कि इसकी संभावनाएं पहचान चुके देश इस पर खर्च बढ़ा रहे हैं।
• चीन की सरकार हेफेई में 10 अरब डॉलर (करीब 73 हजार करोड़ रुपये) के खर्च से क्वांटम रिसर्च के लिए प्रयोगशाला तैयार कर रही है। 2020 तक प्रयोगशाला शुरू होने की उम्मीद है।
• चीन की ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा अलग से इस पर काम कर रही है। 2016 में यूरोपीय यूनियन ने इस क्षेत्र में 1.2 अरब डॉलर (करीब 8,800 करोड़ रुपये) का निवेश किया था। भारत सरकार ने भी इस दिशा में शोध को बढ़ावा देने के लिए क्वांटम इन्फॉर्मेशन साइंस एंड टेक्नोलॉजी का गठन किया है।क्षमता और अपार संभावनाओं को देखते हुए बन सकता है शोध का नया ठिकाना

AWARD
8. पीएम नरेंद्र मोदी को मिलेगा इस साल का सोल पीस प्राइज
• भारतीय और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के विकास में योगदान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (68) को इस साल का सोल पीस प्राइज दिया जाएगा। सोल पीस प्राइज कल्चरल फाउंडेशन ने बुधवार को यह घोषणा की।
• दक्षिण कोरिया के इस फाउंडेशन ने अमीरों और गरीबों के बीच सामाजिक और आर्थिक खाई को कम करने के लिए ‘मोदीनॉमिक्स’ की प्रशंसा की है। पीएम मोदी को एक अवॉर्ड, पट्टिका के साथ 2 लाख डॉलरयानी करीब 1.46 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान की जाएगी।
• चयन समिति के अध्यक्ष चो चुंग-हू ने कहा कि 12 सदस्यीय कमिटी ने दुनियाभर के 100 से ज्यादा कैंडिडेट्स में से भारत के प्रधानमंत्री को चुना। प्राइज के दावेदारों में मौजूदा और पूर्व राष्ट्राध्यक्ष, राजनेता, बिजनसमैन, धार्मिक नेता, स्कॉलर, पत्रकार, कलाकर, ऐथलीट, अंतरराष्ट्रीय संगठन आदि शामिल थे।
• कमिटी ने मोदी को ‘पर्फेक्ट कैंडिडेट’ माना है। वह सोल पीस प्राइज पाने वाले 14वें विजेता होंगे।

Source of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *