Daily News Summary of 01 Nov in details in Hindi

By | November 2, 2018

दैनिक समसामयिकी – 01 November 2018(Thursday)

INTERNATIONAL/BILATERAL
1.कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत की ऊंची छलांग
• भारत ‘‘विश्व ईज आफ डूइंग बिजनेस’ सूचकांक में 23 पायदानों की छलांग के साथ 77वें स्थान पर आ गया है। विश्व बैंक की बुधवार को यहां जारी डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2019 के अनुसार ‘‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सूचकांक में भारत 23 पायदान उछल कर 77वें स्थान पर आ गया है। पिछले साल के सूचकांक में भारत 100वें स्थान पर था।
• सूचकांक में कुल 190 देश शामिल हैं। रिपोर्ट में भारत को सर्वाधिक सुधार करने वाले 10 शीर्ष देशों में शामिल किया गया है। भारत ने लगातार दूसरे साल दस शीर्ष देशों में अपना स्थान बनाए रखा है। ब्रिक्स देशों तथा दक्षिण एशियाई देशों में यह उपलब्धि हासिल करना वाला अकेला देश है।
• केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह सरकार के सतत प्रयासों का परिणाम है। भारत ने 10 संकेतकों में से छह में सुधार दर्ज किया गया।
• रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा सुधार ‘‘निर्माण अनुमति’ और‘‘सीमा पार व्यापार’ के क्षेत्र में आया है। निर्माण अनुमति की श्रेणी में भारत का स्थान 52वें स्थान पर आ गया है। पिछले साल भारत इस श्रेणी में 129वें स्थान पर था। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी)ने एक-एक बिन्दू पर बहुत काम किया है। वर्ष 2014 में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत का 142 वां स्थान था।
• डीआईपीपी ने देश में कारोबार के अनुकूल माहौल बनाने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की और नियंतण्र मानक तय किए। इसमें विश्व बैंक के एक विशेष दल का सहयोग लिया गया था।

2. तीन देशों की छह दिवसीय यात्रा पर रवाना हुए नायडू
• उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू बुधवार को तीन देशों बोत्सवाना, जिम्बाब्वे और मलावी की यात्रा पर रवाना हुए। इस दौरान नायडू इन अफ्रीकी देशों के शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत करेंगे और उद्योग समूहों से मिलेंगे तथा भारतीय मूल के लोगों से संवाद करेंगे।विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि उपराष्ट्रपति की इस छह दिवसीय यात्रा में उनके साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी जाएगा।
• मंत्रालय ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, दो सांसद और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। नायडू इन देशों के राष्ट्रपतियों से मुलाकात करेंगे, अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे और प्रतिनिधि स्तर की बातचीत करेंगे।
• इसके अलावा वह कारोबारी समूहों और भारतीय समुदाय के लोगों से भी बातचीत करेंगे।बोत्सवाना में उप राष्ट्रपति अपने समकक्ष के साथ ग्लोबल एक्सपो बोत्सवाना 2018 का उद्घाटन करेंगे। इस एक्सपो में विभिन्न क्षेत्रों की 25 बड़ी भारतीय कंपनियां और कारोबारी घराने शामिल होंगे।
• जिम्बाब्वे में नायडू वहां के विदेश मंत्री से मुलाकात करेंगे और चांसरी परियोजना की आधारशिला रखेंगे। वह खनन, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा संस्कृति पर समझौता पत्रों पर हस्ताक्षर भी करेंगे। मलावी में वह बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर, इंडिया-अफ्रीका इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर ऐंड रूरल डेवलपमेंट का उद्घाटन करेंगे और महात्मा गांधी की आवक्ष प्रतिमा का अनावरण करेंगे।

3. श्रीलंका में राजनीतिक गतिरोध बरकरार
• रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से अचानक बर्खास्त किए जाने के बाद से गहराया राजनीतिक संकट समाप्त किया जा सके। विदेश मंत्रालय के उपप्रवक्ता राबर्ट पैलाडिनो ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया, ‘‘हम श्रीलंका के राष्ट्रपति का आह्वान करते हैं कि वह अपनी संसद दोबारा बुलाएं और लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित लोगों को श्रीलंकाई कानून एवं विधिवत प्रक्रिया के अनुसार अपनी सरकार के नेतृत्व के चयन का उत्तरदायित्व निभाने दें।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका श्रीलंका के घटनाक्रम पर लगातार निगाह बनाए हुए है। उसने सभी पक्षों से निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने की अपील की है।
• श्रीलंका के अटार्नी जनरल (एजी) जयंत जयसूर्या ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त किए जाने के मुद्दे पर बने मौजूदा राजनीतिक गतिरोध पर बुधवार को संसद के अध्यक्ष (स्पीकर) कारू जयसूर्या को कोई राय देने से इनकार कर दिया और कहा कि ऐसा करना अनुचित समझा जाएगा।
• स्पीकर ने एजी की राय मांगते हुए पांच सवाल पूछे थे। इसमें उन्होंने राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना द्वारा विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से हटाने की वैधता पर भी प्रश्न पूछा। एजी ने स्पीकर को पत्र लिखकर कहा, ‘‘संविधान के तहत अटार्नी जनरल की भूमिका के प्रति सम्मान रखते हुए मेरा विचार है कि कथित प्रश्नों पर राय व्यक्त करना अनुचित समझा जाएगा।
• राष्ट्रपति सिरिसेना ने गत शुक्रवार को नाटकीय घटनाक्रम में विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर पूर्व राष्ट्रपति म¨हदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री बनाया। उन्होंने संसद को भी 16 नवम्बर तक निलंबित कर दिया है। राजपक्षे अभी तक पांच और सांसदों को अपने खेमे में लाने में कामयाब रहे हैं। उनके सदस्यों की संख्या 101 हो गई है।
• नए प्रधानमंत्री राजपक्षे ने बुधवार को वित्त और आर्थिक मामलों के मंत्री के रूप में कामकाज संभाला। देश की मुख्य तमिल पार्टी तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए) ने राजपक्षे से मुलाकात के बाद कहा कि वह राजपक्षे को कानूनी तौर पर निर्वाचित प्रधानमंत्री नहीं मान रही हैं।

NATIONAL
4. ‘‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ ने भारत के अस्तित्व पर सवालों का अंत कर दिया
• ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को राष्ट्र को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि यह भारत का उन सबको जवाब है, जो उसके अस्तित्व पर सवाल करते हैं। मोदी ने सभी नागरिकों से एकजुटता के साथ रहने के लिए कहा। मोदी ने कहा कि हमारा लक्ष्य सरदार पटेल के सपनों का सशक्त, संवेदनशील और सतर्क देश बनाना है। हमारे सभी प्रयास उसी रास्ते पर चल रहे हैं।
• यहां 182 मीटर ऊंची सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण करते हुए मोदी ने अपने आलोचकों पर भी निशाना साधा, जिन्होंने सबसे ऊंचा स्मारक बनाने के मिशन को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की थी। मोदी ने कहा, ‘‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ उन सबको याद दिलाने के लिए है, जो भारत के अस्तित्व और इसकी अखंडता पर सवाल उठाते हैं। यह शाश्वत था, शाश्वत है और हमेशा रहेगा।
• उन्होंने कहा कि प्रतिमा की ऊंचाई युवाओं को याद दिलाएगी कि देश का भविष्य उनकी आकांक्षाओं में है और उनकी आकांक्षाएं इस प्रतिमा के जितनी ऊंची हैं। इन आकांक्षाओं को पूरा करने का एकमात्र मंत्र ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ है। ‘‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ भी हमारे इंजीनियरिंग और तकनीकी सामर्य का प्रतीक है।
• पटेल की विरासत संभालना हमारी जिम्मेदारी : मोदी ने कहा कि देश की एकता, विविधता और संप्रभुता को बरकरार रखना एक ऐसी जिम्मेदारी है, जिसे पटेल ने देशवासियों को दिया है। देश को विभाजित करने के हर प्रयास को जवाब देना हमारी जिम्मेदारी है। हमें समाज के रूप में जागरूक और एकजुट रहना होगा।
• दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा : 2,389 करोड़ रुपये की लागत से नर्मदा नदी के साधु बेट द्वीप पर बनी पटेल की प्रतिमा का अनावरण करते हुए मोदी ने इसे दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बताया, जो चीन के स्प्रिंग टेम्पल बुद्धा की प्रतिमा (153 मीटर) से लगभग 29 मीटर ऊंची और अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) से लगभग दोगुनी है।

ECONOMY
5. सरकार को है आरबीआइ के काम में दखल का अधिकार
• सरकार और आरबीआइ के बीच चल रहे विवाद से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि केंद्र सरकार केंद्रीय बैंक के कामकाज में कहां तक हस्तक्षेप कर सकती है। अगर आरबीआइ एक्ट 1934 की धारा-7 की बात करें तो इससे सरकार को केंद्रीय बैंक को निर्देश देने का अधिकार है। कुछ खास परिस्थितियों में केंद्र सरकार आरबीआइ को चलाने का अधिकार भी इसके केंद्रीय निदेशक बोर्ड को दे सकती है जिसमें सरकार की तरफ से नामित सदस्य होते हैं।
• आरबीआइ एक्ट की धारा-7 के मुताबिक ‘सरकार समय-समय पर विभिन्न मुद्दों पर आरबीआइ गवर्नर के साथ विमर्श करने बाद जनहित को देखते हुए केंद्रीय बैंक को सुझाव व निर्देश दे सकती है।’ वित्त मंत्रलय की तरफ से बुधवार को जारी बयान में इसका सीधा उल्लेख किया गया है। इस धारा के तहत सरकार को यह अधिकार है कि वह खास परिस्थितियों में आरबीआइ को चलाने का अधिकार बैंक के निदेशक बोर्ड को दे सकती है।
• यह पहला मौका है जब किसी सरकार ने इस धारा का इस्तेमाल करते हुए आरबीआइ को पत्र लिखा है। इस वर्ष तीन बार सरकार की तरफ से केंद्रीय बैंक को पत्र भेजा गया है। हालांकि पत्र भेजने से पहले आरबीआइ गवर्नर के साथ वित्त मंत्रलय के अधिकारियों ने विचार-विमर्श किया। सूत्र बताते हैं कि इस संदर्भ में पहला पत्र फरवरी, 2018 में फंसे कर्जे (एनपीए) को लेकर आरबीआइ के नये नियमों के बारे में दिया गया था। दूसरा पत्र आरबीआइ के प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) के संदर्भ में भेजा गया है। तीसरा पत्र लिक्विडिटी के मुद्दे पर भेजा गया। हालांकि इन तीनों पत्रों को सलाह के स्तर पर ही लिखा गया है और इसमें आरबीआइ को सीधे तौर पर कोई कदम उठाने का निर्देश जैसा कुछ नहीं है।
• दरअसल इस पूरे घटनाक्रम में सरकार की केवल यह रही है कि आरबीआइ आर्थिक चुनौतियों से जुड़े मुद्दों पर तत्परता से कदम उठाये। इस संदर्भ में वर्ष 2009-14 के दौरान आंख बंद कर बांटे गये बैंकिंग कर्ज का उदाहरण दिया जा सकता है। जरूरत से ज्यादा कर्ज देने की वजह से बैंकिंग सेक्टर आगे चल कर एनपीए के दलदल में फंस गया।
• अगर आरबीआइ ने समय पर इस बारे में कदम उठाया होता तो इसका खामियाजा समूची अर्थव्यवस्था को नहीं भुगतना पड़ता। वित्त मंत्रलय की ओर से इसका इजहार भी किया गया था। संकेत स्पष्ट था कि आरबीआइ को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि एनपीए के लिए कौन सा काल बड़ा जिम्मेदार है और कब से इसमें सुधार की दिशा अपनाई गई।
• यही हाल एनबीएफसी आइएलएंडएफएस को लेकर रही। इसी तरह से केंद्र सरकार अभी पीसीए नियमों में तुरंत बदलाव चाहती है ताकि आर्थिक विकास को और तेजी मिल सके। इस नियम की वजह से देश के बड़े हिस्सों में बैकिंग कर्ज नही दिये जा रहे हैं। चुनावी मौसम में सरकार को लगातार इस बारे में शिकायतें मिल रही है।
• आरबीआइ एक्ट की धारा 7 के तहत केंद्र के पास सुरक्षित है अधिकार

6. सितम्बर में 4.3% बढ़ा कोर सेक्टर का उत्पादन
• देश के प्रमुख आठ उद्योगों की उत्पादन वृद्धि दर इस वर्ष के सितम्बर में 4.3 फीसद दर्ज की गई। इससे पिछले माह यह आंकड़ा 4.7 फीसद रहा था। सरकार ने बुधवार को यहां जारी आंकड़ों में कहा है कि सितम्बर 2017 में कोर उत्पादन की वृद्धि दर 4.7 फीसद थी।
• मौजूदा वित्त वर्ष की अप्रैल से सितम्बर तक की अवधि में कोर उत्पादन की वृद्धि दर 5.5 फीसद दर्ज की गई है। इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में कोर उत्पादन वृद्धि दर 3.2 फीसद थी।कोर उत्पादन में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल हैं।
• आंकड़ों के अनुसार सितम्बर 2018 में कोयले के उत्पादन की वृद्धि दर 6.4 फीसद रही है। अप्रैल से सितम्बर 2018 की अवधि में कोयले का उत्पादन 9.6 फीसद बढ़ा है। इसी माह में कच्चे तेल का उत्पादन 4.2 फीसद गिरा है।
• चालू वित्त वर्ष में सितम्बर तक कच्चे तेल के उत्पादन 3.4 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। सितम्बर 2018 में प्राकृतिक गैस के उत्पादन में 1.8 फीसद की गिरावट दर्ज की गयी है।

SCIENCE
7. बेहद गर्म तापमान में भी खुद को ठंडा रखने वाला मैटेरियल वैज्ञानिकों ने किया तैयार
• वैज्ञानिकों ने प्रकृति से प्रेरित होकर एक ऐसा अत्याधुनिक मैटेरियल तैयार किया है, जो अपने तापमान को नियंत्रित करने में सक्षम है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका प्रयोग जलने पर उपचार में तो किया ही जा सकेगा, साथ ही वायुमंडल की ताकतों का सामना करने वाले स्पेस कैप्सूल्स में भी यह उपयोगी साबित होगा।
• ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम में सहायक प्रोफेसर मार्क एलस्टन कहते हैं, भौतिक विज्ञान के लिए एक ऐसा मानव निर्मित मैटेरियल तैयार करना हमेशा से चुनौती रही है, जो तापमान को नियंत्रित कर सके, जैसे कि हमारा शरीर करता है। हमारा शरीर बाहरी वातावरण के अनुरूप अपने तापमान को ढालने में सक्षम है।
• साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक जर्नल में इस शोध को प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया है कि वैज्ञानिकों ने मल्टीपल माइक्रोचैनलों के एक नेटवर्क के साथ लगातार बहने वाले तरल पदार्थ का एक विधि के रूप में इस्तेमाल किया और सिंथेटिक पॉलीमर से बने थर्मल-फंक्शन मैटेरियल को तैयार करने की अवधारणा पेश की।
• शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अवधारणा के आधार पर तैयार सामग्री को सटीक नियंत्रण उपायों के जरिये और बेहतर किया गया, जिससे यह अपने पर्यावरण के साथ संबंध स्थापित करने में सक्षम हो सके। अब यह मैटेरियल अपने बाहरी तापमान के अनुसार अपने तापमान का तालमेल बैठाने में सक्षम है।
• एलस्टन कहते हैं, यह जैव-प्रेरित इंजीनियरिंग दृष्टिकोण उन्नत सामग्री में उपयोग के लिए पॉलिमर की संरचनात्मक असेंबली को आगे बढ़ाता है। प्रकृति प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से सौर विकिरण को अवशोषित करने के लिए स्तनधारियों और पौधों में तापमान को नियंत्रित और प्रबंधित करने के लिए तरल पदार्थ का उपयोग करती है। इस शोध में बहुलक में इसी तंत्र की नकल करने के लिए एक पत्ते की तरह के मॉडल का उपयोग किया गया है।
• शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी इस मैटेरियल पर और काम किया जाना है। इस दृष्टिकोण के आधार पर एक ऐसा एडवांस्ड मैटेरियल विकसित किया जा सकता है जो उच्च सौर विकिरण को उस तरह से अवशोषित करने में सक्षम हो, जैसा कि मानव शरीर कर सकता है और इस तरह वह स्वयं को पर्यावरण के अनुरूप ढाल कर खुद को ठंडा रख सकता है।
• शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के थर्मल-फंक्शनल मैटेरियल का प्रयोग जलने पर उपचार के हीट रेगुलेशन सिस्टम को तैयार करने में किया जा सकेगा ताकि त्वचा को ठंडा रखा जा सके। साथ ही उस पर निगरानी की जा सके ताकि पीड़ित को जल्द आराम मिल सके। इसी के साथ अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले कैप्सूल्स में भी इसका प्रयोग किया जा सकेगा, जो बाहरी वातावरण में बहुत गर्म हो जाता है।

ENVIRONMENT
8. जलवायु स्मार्ट गांव योजना में राज्यों की बढ़ी रुचि, केंद्र कर रहा तैयारी
• जलवायु आधारित स्मार्ट गांव योजना में राज्यों की रुचि बढ़ने लगी है। राज्यों के इस रुझान को देखते हुए केंद्र सरकार ने विस्तृत तैयारियां शुरू कर दी है। संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इसे लेकर रिपोर्ट पेश की जा सकती है। कृषि मंत्रलय की संसदीय सलाहकार समिति की आगामी बैठक भी इसी विषय पर केंद्रित है।
• राष्ट्रीय जलवायु उत्थान कृषि पहल (निक्रा) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) की साझा पहल से इस योजना की शुरुआत की गई है। इसके तहत देश की जलवायु विविधता और जलवायु परिवर्तन के दौरान फसल की खेती, पशुधन और मत्स्य पालन किया जाता है। इसमें जोखिम प्रबंधन प्रौद्योगिकी पर विशेष बल दिया जाता है। इससे जहां खेती की लागत में कमी आती है, वहीं उत्पादकता बढ़ती है। इसमें प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर है।
• प्रौद्योगिकी के सहारे जलवायु के लिहाज से संवेदनशील सूखा, बाढ़, चक्रवात, गरमी, लू, पाला और अति ठंड प्रभावित क्षेत्रों का चयन किया जाएगा। यहां उपयुक्त तकनीक का प्रयोग खेती को लाभप्रद बनाने के लिए किया जाना है।
• इसके पहले चरण में देश के 151 जिलों के एक गांव या गांवों के समूह का चुनाव किया गया था। इसमें सबसे बड़ी भूमिका जिला स्तर पर स्थापित कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की है।
• इनमें चयनित केवीके में जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड के कुल 13, हरियाणा व राजस्थान के सात, उत्तर प्रदेश के 13, बिहार व झारखंड के 13, बंगाल, ओडिशा के 14, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के 12 प्रमुख हैं। कुल 24 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में माडल स्मार्ट गांव तैयार किए गए हैं।
• महाराष्ट्र ने अपने यहां पांच हजार गांवों को जलवायु स्मार्ट गांव योजना में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है। इसी तरह तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के बाद अब कई अन्य राज्यों ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है।
• सबसे अधिक फायदा उन राज्यों को मिलेगा, जहां भूजल नीचे चला गया है, ऊसर भूमि, खराब हो रही मिट्टी वाले क्षेत्र, पहाड़ी, रेगिस्तानी क्षेत्र और जल प्लावित क्षेत्र है। इसे लेकर गुरुवार को यहां संसदीय सलाहकार समिति की बैठक होने वाली है, जिसमें इस पर गंभीर चर्चा होगी।

Source of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

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