Daily News Summary of 06 Nov in details in Hindi

By | November 11, 2018

दैनिक समसामयिकी – 06 November 2018(Tuesday)

INTERNATIONAL/BILATERAL
1.ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू
• ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर 2015 के अंतरराष्ट्रीय समझौते से हटने के बाद अमेरिका ने सोमवार से तेहरान पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लागू कर दिए हैं। इनका उद्देश्य ईरान के मिसाइल व परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाना और मध्य पूर्व में उसके प्रभाव को खत्म करना है। प्रतिबंधों के दायरे में ईरान का बैंकिंग और ऊर्जा क्षेत्र आएगा।
• साथ ही ईरान से तेल आयात बंद नहीं करने वाले देशों पर पेनाल्टी भी लगाई जा सकेगी। हालांकि ट्रंप प्रशासन ने भारत को ईरान से तेल खरीदते रहने की सुविधा प्रदान कर दी है। प्रतिबंधों को ईरान ने ‘आर्थिक युद्ध’ करार देते हुए तेल निर्यात जारी रखने का एलान किया है। वहीं, चीन ने कहा है कि वह ईरान से तेल का आयात जारी रखेगा।
• अमेरिकी प्रतिबंधों के लागू होते ही तेल बाजार अलर्ट पर आ गया है। माना जा रहा है कि अगले कुछ हफ्ते बाजार की नजर ईरान के निर्यात और उत्पादन पर रहेगी।
• अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीवन न्यूचिन ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि ईरानी शासन को तब तक वित्तीय अलगाव और आर्थिक गतिरोध का सामना करना पड़ेगा जब तक वह अपने अस्थिर रुख में बुनियादी बदलाव नहीं लाता। जवाब में ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि उनका देश गर्व के साथ अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करेगा क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ हैं।
• उन्होंने कहा, ‘हम आर्थिक युद्ध के हालात में हैं और एक दादागिरी करने वाली ताकत का सामना कर रहे हैं। मुङो नहीं लगता कि अमेरिका के इतिहास में व्हाइट हाउस में कभी ऐसा व्यक्ति आया है जो कानून और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के इतना खिलाफ हो।’
• रूहानी ने आगे कहा, ‘वे (अमेरिकी) लगातार संदेश भेज रहे हैं कि आइए और बैठकर बात कीजिए। लेकिन हम क्या बात करें? पहले आप उन वार्ताओं का सम्मान कीजिए जो हम पहले कर चुके हैं ताकि अगली वार्ता के लिए आधार तो हो।’
• उन्होंने बताया कि सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के लिए उनकी न्यूयॉर्क यात्र के दौरान चार देशों ने उनके समक्ष मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया था।
• उधर, चीन ने एकतरफा अमेरिकी प्रतिबंधों का विरोध किया है। चीनी विदेश मंत्रलय की प्रवक्ता हुआ चनिंग ने प्रेस क्रांफ्रेंस में कहा, ‘हम मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत चीन का सामान्य सहयोग (ईरान के साथ) कानूनी और वैध है।’
• उन्होंने कहा, ‘वर्तमान परिस्थितियों में हम सभी पक्षों से व्यापक दृष्टिकोण अपनाने, अपने कर्तव्यों को निभाने और सही पक्ष के साथ खड़े होने की उम्मीद करते हैं।’ ईरान के साथ 2015 के समझौते पर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और रूस, चीन ने हस्ताक्षर किए थे।
• आठ देशों को अमेरिका ने दी छूट : अमेरिका ने फिलहाल भारत, चीन, जापान, इटली, ग्रीस, दक्षिण कोरिया, ताइवान तथा तुर्की को ईरान से तेल खरीदते रहने की सुविधा प्रदान कर दी है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बताया कि 20 देशों ने ईरान से तेल आयात पहले ही घटा दिया है।
• यूरोपीय देशों ने जताया खेद : यूरोपीय यूनियन, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने अमेरिकी प्रतिबंधों पर खेद व्यक्त किया है। उनका कहना है कि वह ईरान के साथ वैध कारोबार कर रही अपनी कंपनियों के हितों की रक्षा करेंगे।
• ईरान पर उसके परमाणु कार्यक्रमों को लेकर अमेरिकी प्रतिबंधों भले ही प्रभावी हो गए हों, लेकिन ईरान अपने रवैये पर कायम है। सोमवार को ईरान ने एयर डिफेंस सिस्टम से मिसाइल दागकर परीक्षण किया। ईरान के इस कदम के बाद अमेरिका के साथ जारी तनाव बढ़ना तय है।

2. ईरान के मामले में दिखी भारत की प्रखर कूटनीति की धमक
• कूटनीति के जरिये आम जनता की जरूरतों की पूर्ति का यह चमचमाता उदाहरण माना जा सकता है। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध सोमवार से लागू हो चुके हैं, लेकिन भारत इसके प्रभाव से अछूता है। यानी भारत, ईरान से तेल खरीदता रहेगा।
• निश्चित तौर पर भारत के अलावा कुछ और देशों को भी अमेरिकी प्रतिबंध से रियायत मिली है, लेकिन राजग सरकार ने पिछले छह महीनों के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस तरह की कूटनीति दिखाई है उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दो धुर विरोधियों के बीच सामंजस्य बनाना और अपने हितों की रक्षा करने की कला दिखाने में राजनीतिक साहस और इच्छाशक्ति भी दिखानी होती है।
• भारत ने यह काम कर दिखाया है। अब भारत अपने पारंपरिक मित्र देश ईरान से फिलहाल कुछ महीनों तक तेल खरीद सकेगा और अमेरिका के साथ नई रणनीतिक रिश्तों पर कोई उल्टा असर भी नहीं होगा। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान को भी दिया जाएगा।
• ईरान के तीन सबसे बड़े तेल खरीदारों में शामिल है भारत : मई, 2018 में जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ किए गए करार को तोड़ा था तभी यह साफ हो गया था कि भारत को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
• भारत आखिरकार ईरान के तीन सबसे बड़े तेल खरीददार देशों में से है। पिछले दो महीने से ईरान पर लगने वाले अमेरिकी प्रतिबंधों के भय से मार्केट में उथल पुथल का माहौल था और सबसे ज्यादा चिंता देश के क्रूड इंपोर्ट को लेकर जताई जा रही थी।
• देश के कुल क्रूड इंपोर्ट में ईरान का योगदान करीब 26 फीसद है। अमेरिकी प्रतिबंध अगर भारत के लिए भी प्रभावी होते तो जाहिर है आपूर्ति पर असर पड़ता।
• इस तरह कामयाब हुई सरकार : मोदी सरकार ने शुरू से ही तीन स्तरों पर इस कदम से बचने की कोशिश शुरू कर दी थी। सबसे पहले तो ईरान को यह भरोसा दिलाना था कि भारत अपने इस पारंपरिक मित्र देश को यूं ही एक झटके में नहीं छोड़ सकता।
• हाल ही में भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने ईरान की यात्र की थी और वहां चाबहार पोर्ट से लेकर द्विपक्षीय कारोबार को दोगुना करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई थी। दूसरी तरफ अमेरिका को यह बताया गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ईरान से तेल खरीदना कितना जरूरी है।
• अक्टूबर, 2018 में जब दोनों देशों के बीच टू प्लस टू वार्ता हुई तो यह पक्ष मजबूती से रखा गया कि अगर अमेरिका के प्रतिबंध भारत को कमजोर करते हैं तो यह अमेरिका के हितों के भी खिलाफ जाएगा। खास तौर पर चाबहार पोर्ट का जिक्र किया गया कि किस तरह से यह अफगानिस्तान में अमेरिका के हितों की रक्षा करता है।
• तीसरे स्तर पर यूरोपीय देशों के साथ चर्चा शुरू की गई कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद किस तरह से ईरान से तेल खरीदना जारी रखा जा सकता है।
• अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भारत की साख बढ़ी : अमेरिका की ओर से मिली ये छूट सिर्फ तात्कालिक राहत भर नहीं है बल्कि इस बात का भी परिचायक है कि अंतरराष्ट्रीय मोर्चो पर भारत की साख बढ़ी है और एक स्थिर और मजूबत नेतृत्व की जायज मांग को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यूं दरकिनार नहीं कर सकती।
• इसे प्रधानमंत्री मोदी की अंतरराष्ट्रीय ख्याति और भारत के हितों को लेकर दुनिया के सामने उनकी दृढ़ता को भी दर्शाता है। यह इस बात को भी दर्शाता है कि भारत अब सॉफ्ट टार्गेट नहीं है। इस सफलता ने चीन, जापान जैसे देशों के मुकाबले एक लीडर के तौर पर स्थापित किया है।

3. भारत-मलावी में परमाणु ऊर्जा सहित तीन क्षेत्रों में समझौता
• उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को मालावी के राष्ट्रपति आर्थर पीटर मुथरिका से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। इस मौके पर भारत और मलावी ने प्रत्यर्पण, परमाणु ऊर्जा में सहयोग और राजनयिकों एवं अधिकारियों के लिए वीजा में छूट संबंधी तीन समझौतों पर दस्तखत किए।
• विदेश मंत्रालय में सचिव टी एस तिरुमूर्ति ने बताया, दोनों नेताओं की वार्ता के दौरान भारत ने मालावी के रक्षा बलों के लिए विशेषीकृत प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पेशकश की। उन्होंने कहा, ग्लोबल सेंटर फॉर न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप और मालावी के प्राकृतिक संसाधन, ऊर्जा एवं खनन मंत्रालय के बीच शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए परमाणु ऊर्जा में सहयोग संबंधी एक समझौते पर दस्तखत हुए।
• दोनों पक्षों ने प्रत्यर्पण संधि के लिए भी एक समझौते पर दस्तखत किए। इसके अलावा, राजनयिकों एवं आधिकारिक पासपोर्ट धारकों के लिए वीजा छूट संबंधी भी एक समझौता हुआ। इस बीच, नायडू ने यहां ‘‘जयपुर फुट’ के एक शिविर का उद्घाटन किया।

4. भारत-कोरिया में पर्यटन करार
• कोरिया गणराज्य के साथ मिलकर पर्यटन के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए सोमवार को केंद्र सरकार तथा कोरिया गणराज्य के बीच एक समझौता हुआ। भारत की ओर से पर्यटन मंत्री केजे अल्फांस तथा कोरिया गणराज्य की ओर से वहां के पर्यटन व खेल मंत्री डो-जोंग-हवान ने हस्ताक्षर किए।
• कोरिया गणराज्य के साथ पर्यटन के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने संबधी समझौते के मसौदे को पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई थी। कैबिनेट से हरी झंडी मिलने के बाद पर्यटन मंत्रालय ने समझौते पर हस्ताक्षर की रस्म भी पूरी कर दी।
• आज एक समारोह में पर्यटन मंत्री केजे अल्फांस तथा कोरिया गणराज्य की ओर से वहां के पर्यटन व खेल मंत्री डो-जोंग-हवान ने समझौता हस्ताक्षर किए। इस समझौते के अनुसार दोनों देशों के बीच पर्यटन क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करने के साथ साथ पर्यटन से संबंधित जानकारी और डेटा का आदान-प्रदान बढ़ाया जाएगा तथा होटल और टूर ऑपरेटर समेत पर्यटन हितधारकों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा।
• इसके अलावा समझौते के अनुसार दोनों देश एक दूसरे के देश में यात्रा मेलों व प्रदशर्नियों में भागीदारी को प्रोत्साहित करेंगे तथा सुरक्षित, सम्माननीय और टिकाऊ पर्यटन को बढ़ावा देंगे।

5. बहुमत साबित होने तक राजपक्षे को पीएम के रूप में मान्यता नहीं मिलेगी
• श्रीलंका के स्पीकर कारू जयसूर्या ने सोमवार को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को अपदस्थ करना और संसद का निलंबन अलोकतांत्रिक कदम है। उन्होंने कहा, बहुमत साबित होने तक वह म¨हदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री के तौर पर मान्यता नहीं देंगे।जयसूर्या के इस कड़े बयान के पहले, रविवार को सिरिसेना ने घोषणा की थी कि संसद की बैठक 14 नवम्बर को बुलाई जाएगी। जबकि, उन्होंने इस तारीख से एक सप्ताह पहले संसद की बैठक बुलाने का वादा किया था।
• स्पीकर ने कहा कि सात नवंबर को संसद की बैठक बुलाने की प्रतिबद्धता से सिरिसेना मुकर चुके हैं। सिंहाला में सोमवार को जारी बयान में जयसूर्या ने कहा कि संसद के अधिकतर सदस्यों ने उनके पास एक अर्जी देकर कहा है कि राष्ट्रपति द्वारा हाल में संसद में बदलाव का कदम असंवैधानिक है।
• जयसूर्या ने साफ कर दिया कि वह संसद में शक्ति परीक्षण चाहते हैं। इस वजह से राजपक्षे को संसद में प्रधानमंत्री का स्थान नहीं मिलेगा क्योंकि मौजूदा सरकार के सदस्यों को विपक्षी सीटों पर बैठना होगा।
• सिरिसेना ने 26 अक्टूबर को प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को अपदस्थ करते हुए संसद की कार्यवाही 16 नवंबर तक निलंबित कर दी थी।

SCIENCE/DEFENCE
6. अरिहंत परमाणु हथियारों की ‘‘ब्लैकमेलिंग’ का मुंहतोड़ जवाब
• परमाणु शक्ति से चलने तथा परमाणु हथियारों से लैस पहली स्वदेशी पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के पहले गश्त अभियान को सफलतापूर्वक पूरा करने के साथ ही देश ने जल, थल और नभ से परमाणु हथियार दागने की क्षमता हासिल कर नाभिकीय त्रिकोण का मुकाम हासिल कर लिया है।
• प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे बड़ी और ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए इसका सोमवार को आधिकारिक तौर पर ऐलान किया। यह पहला मौका है जब अरिहंत के अभियान के बारे में सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ कहा गया है। सफल गश्त अभियान से लौटी अरिहंत की पूरी टीम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि यह देश की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा कदम और बेमिसाल उपलब्धि है।
• उन्होंने कहा कि पड़ोस में परमाणु हथियारों की बढ़ोतरी के बीच विश्वसनीय परमाणु प्रतिरोधक क्षमता समय की जरूरत तो है ही यह भारत के दुश्मनों और शांति के दुश्मनों के लिए खुली चेतावनी है कि कोई किसी तरह का दुस्साहस न करे। उन्होंने कहा, आपकी यह सफलता परमाणु हथियारों के नाम पर ‘‘ब्लैकमेलिंग’ का माकूल और मुंहतोड़ जवाब है।
• मोदी ने कहा कि जब सारा देश दुर्गा पूजा और विजय दशमी का उत्सव मना रहा था उस समय अरिहंत की टीम देश के दुश्मनों का विनाश करने और देश की रक्षा के लिए अभियान और अभ्यास में जुटी थी।
• उन्होंने कहा कि यह धनतेरस खास है। अमूमन सभी इस देश अपने और परिवार के लिए विशेष उपहार लाते हैं इसी कड़ी में यह देश को दीवाली पर मिला अनुपम, अनूठा और बेमिसाल उपहार है। सारा देश इसके लिए अरिहंत की टीम और इस अभियान से जुड़े लोगों का कृतज्ञ है।
• उन्होंने कहा कि अरिहंत की टीम ने एक महीने के दौरान इसकी मारक क्षमता का सफल अभ्यास कर देश के नाभिकीय त्रिकोण को पूरा कर दिया है। इससे देश की सुरक्षा कई गुना बढ़ गई है साथ ही वह दुनिया के चु¨नदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि देश का यह नाभिकीय त्रिकोण विश्व शांति और स्थिरता का महत्वपूर्ण स्तंभ होगा।
• प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने परमाणु परीक्षणों की उपलब्धि को विश्वसनीय नाभिकीय त्रिकोण में बदलने का अत्यंत दुष्कर कार्य किया है।
• 6000 टन वजन की घातक पनडुब्बी है
• लंबाई 111 मीटर है और यह 350 मीटर की गहराई तक जा सकती है
• पानी के भीतर 44 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है
• यह 3500 किलोमीटर तक लक्ष्य को पानी के भीतर से भेद सकती है
• 26 जुलाई 2009 को जलावतरण किया गया था
• यह 83 मेगावाट के परमाणु रिएक्टर से चलती है
• दस अगस्त 2013 को इसके रिएक्टर ने काम करना शुरू कर दिया
• दिसम्बर 2014 में इसके गहन समुद्री परीक्षण शुरू किए गए

Source of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

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