How to prepare for IAS Exam in Hindi Language

By | December 6, 2018

IAS परीक्षा की तैयारी शुरू करने का सही समय
IAS परीक्षा की तैयारी की शुरुआत कब करें- IAS उम्मीदवारों के लिए यह एक अहम प्रश्न है जो सिविल सेवा में करियर बनाने की ईच्छा रखने वाले विद्यार्थियों को प्रभावित करता है। जीवन के अन्य सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों की तरह की इस प्रश्न का भी कोई निश्चित, सरल और सीधा उत्तर उन्हें नहीं मिल पाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि IAS जैसी परीक्षा को पास करना जो कि दुनिया में सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं में से एक माना जाता है जिसके लिए IAS उम्मीदवारों को व्यापक योजनाएं बनाने की और कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता होती है। हालांकि, जब IAS परीक्षा की तैयारी शुरु करने के लिए आदर्श समय-सीमा तय करने की बात आती है तो IAS उम्मीदवारों के मन में कई कन्फ्युजन एवं दुविधांए उत्पन्न होने लगती हैं। फिर उस कशमकश की परिस्थिति को कई और तथ्यों से भी जोर दिया जाता है कि पूर्व वर्ष के IAS टॉपरों ने कई अलग-अलग बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए IAS परीक्षा की तैयारी की प्रक्रिया की शुरुआत कर दीं थी।

हालांकि, कई IAS टॉपर कक्षा 10 वीं बोर्ड की परीक्षा के बाद हीं IAS की तैयारी की शुरुआत के लिए जाने जाते हैं और कई ने स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद केवल एक वर्ष की तैयारी के पश्चात हीं अपने पहले हीं प्रयास में IAS जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा पास की है। मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि विभिन्न इच्छुक IAS उम्मीदवारों द्वारा IAS की तैयारी के चरणों को तीन अलग-अलग समय क्षेत्रों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है:

स्कूल स्तर की तैयारी
कई छात्र, जो एक ऐसे परिवार से आते हैं, जिसमें कई सिविल सेवकों का उदय हुआ हो, उन्हें स्कूल की पढ़ाई के दिनों से हीं IAS की तैयारी के लिए प्रेरित किया जाता है। एक सिक्का की तरह, इस दृष्टिकोण के भी दो पहलुएं हैं- फायदा या नुकसान। अपने शैक्षिक करियर के शुरुआती दौर से हीं IAS की तैयारी करने के दृष्टिकोण से छात्रों को एक मजबूत नींव तैयार करने का एक सुनहरा अवसर मिलता है। इसी क्रम में छात्र एनसीईआरटी की स्कूली पुस्तकों का अध्ययन IAS की तैयारी को ध्यान में रख कर विस्तार से करते हैं जो कि IAS की तैयारी के लिए एक आधार माना जाता है। इसके दूसरे पहलू पर अगर ध्यान दें तो आपको यह पता चलेगा कि यह दृष्टिकोण छात्रों के लिए नुकसानप्रद भी साबित हो सकता है। शैक्षिक करियर के शुरुआती दौर से सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों वर्तमान के पैटर्न का अनुसरण करते हैं। पर टेस्ट पैटर्न, पाठ्यक्रम, ट्रेंड और अन्य चीजों के बदल जाने की संभानाएं बनी रहती है जिससे उन्हें काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है। फलस्वरुप, उन्हें अपने शुरुआती प्रयासों में विफलताओं का सामना भी करना पड़ सकता है जो कि उनके हताश होने का मुख्य कारण बन सकता है।

स्नातक स्तर की तैयारी
स्नातक की पढ़ाई के दौर को छात्र जीवन के सबसे रोमांचक दौरों में गिना जाता है और इसी दौर को IAS की तैयारी की प्रक्रिया शुरू करने का एक आदर्श समय माना जाता है क्योंकि स्नातक कोर्स के प्रथम तथा द्वीतीय वर्ष में छात्रों पर अधिक पढ़ाई करने का दवाब नहीं होता है और छात्र आसानी से IAS की तैयारी पर अपना ध्यान स्वयं अध्ययन के माध्यम से या फिर किसी कोचिंग संस्थान में दाखिला लेकर IAS परीक्षा के लिए एक ठोस नींव तैयार कर सकते हैं। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद या फिर स्नातक के आखरी वर्ष में IAS परीक्षा के लिए न्युनतम योग्यता पूर्ति करने वाले छात्र IAS परीक्षा दे सकते हैं। स्नातक की पढ़ाई के दौरान IAS की तैयारी शुरु करने वाले छात्रों के पास IAS परीक्षा को पास करने का एक अच्छा अवसर होता है क्योंकि वह IAS परीक्षा के पैटर्न एवं ट्रेंड से भलि-भांति परिचित होता है। IAS टॉपरों में अधिकांश को इसी दौरान IAS परीक्षा की तैयारी करते हुए अपने पहले हीं प्रयास में IAS परीक्षा को पास करने का प्रमाण मिला है। स्नातक स्तर की पढ़ाई के दौरान IAS की तैयारी शुरु करने वाले छात्रों के लिए नुकसान यह है कि वह अन्य प्रकार की गतिविधि में जिसे सीखने की प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग माना जाता है, भाग लेने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। दीर्घकालिक दृष्टि से इस बात पर अगर गौर किया जाए तो केवल किताबों पर आश्रित रह कर IAS परीक्षा को पास करना संभव नहीं है।

स्नातक के बाद तैयारी
स्नातक की पढ़ाई पूरी करने बाद सिविल सेवा में करिय बनाने की ईच्छा को जाहिर करने वालों को लेट-लतीफ समझा जाता है। कई लोगों का यह भी मानना है कि IAS परीक्षा की तैयारी देर से या फिर स्नातक की पढ़ाई पूरी करने बाद शुरु करने वालों के IAS परीक्षा में पास होने की संभावनाएं कम रह जाती हैं। हालांकि, यह पूरी तरह सत्य नहीं है। यह एक मिथक है बल्कि कई ऐसे IAS टॉपर हैं जिन्होंने IAS परीक्षा की तैयारी की शुरुआत देर से पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान की थी और IAS परीक्षा में सफल भी हुए। जबकि यह भी सत्य है कि छात्रों का स्नातक की पढ़ाई के दौरान अन्य गतिविधियों में शामिल होने की वजह से अधिक समय और ऊर्जा IAS परीक्षा की तैयारी के लिए समर्पित नहीं कर पाते हैं और ऐसे छात्रों को समय पर सफलता हाथ नहीं लगती है। इसके अलावा, जो छात्र अपने स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद IAS की तैयारी शुरू करते हैं, उनके पास संबंधित विषयों में बुनियादी आधारभूत प्रशिक्षण का अनुभव होता है जो निश्चित रूप से IAS उम्मीदवारों के लिए एक लाभ के रूप में कार्य करता है।

हालांकि, यह तीनों चरण IAS परीक्षा की तैयारी शुरू करने के लिए सबसे लोकप्रिय माना जाता है। इसके अलावा भी कई और ऐसे उदाहरण हैं जैसे कई छात्र स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी करना पसंद करते हैं और फिर कई वर्ष नौकरी करने के बाद IAS परीक्षा की तैयारी करने का निर्णय लेते हैं। ऐसे IAS उम्मीदवारों के भी IAS परीक्षा पास होने का एक अच्छा औसत देखा जा सकता है।

उपरोक्त चर्चा के पश्चात यह स्पष्ट रूप से झलकता है कि IAS की तैयारी प्रक्रिया शुरु करने के लिए कोई निर्धारित या उचित समय नहीं है। उपयुक्त समय के बजाय अगर IAS उम्मीदवार इस बात पर गौर करे कि उनकी अपनी तैयारी प्रक्रिया IAS जैसी परीक्षा के प्रति कितना समर्पित और प्रतिबद्धता है। अन्य कारकों के अलावा यह इस बात पर निर्भर करता है कि एक IAS उम्मीदवार एक IAS अधिकारी बनने के क्रम में वह खुद अपने अंतिम लक्ष्य तक पहुंचने के लिए विभिन्न चुनौतियों का डट कर सामना कर सकता है या नहीं।

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