जीका (ZIKA) वायरस क्या है और यह कैसे फैलता हैं?
जीका वायरस संक्रमित मच्छर “एडीज एजिप्टी” के काटने से फैलता है. यह वायरस काफी खतरनाक होता है और इससे चिकनगुनिया, पीला बुखार और डेंगू भी फैलता है. क्या आप जानते हैं कि यह वायरस 24 से अधिक देशों में फैल चुका है और अब इसकी चपेट में भारत भी आ चुका है. सबसे पहले यह वायरस बंदरों में फैला था. आखिर क्या है इस वायरस का इतिहास, कैसे यह फैलता है और इससे कैसे बचा जा सकता है, आइए इस लेख में हम इन सारे प्रश्नों का उत्तर खोजने की कोशिश करते हैं.
जीका (ZIKA) वायरस का इतिहास
– यह वायरस 1947 में सबसे पहले युगांडा में पाया गया था जो कि एडीज मछर के काटने से फैलता है.
– अफ्रीका के कई हिस्सों में यह महामारी की तरह फैल गया.
– इसके बाद यह दक्षिण प्रशांत, एशिया के कुछ देशों और लैटिन अमेरिका में भी फैल गया था.
– यहा तक कि 2016 की शुरुआत में यह वायरस ब्राजील में भी पाया गया था.
– मई 2017 में करीबन तीन केसेस भारत के अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट में भी पाए गये हैं.
जीका वायरस क्या है?
जीका वायरस एक मच्छर-संचरित संक्रमण है. गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस का संक्रमण होने से नवजात शिशुओं को माइक्रोसेफली नामक बीमारी होती है. इस बीमारी के कारण नवजात शिशुओं का सिर बहुत छोटा होता है और मस्तिष्क भी क्षतिग्रस्त हो जाता है. इसके अलावा नवजात शिशुओं में अंधापन, बहरापन, दौरे और अन्य जन्मजात दोष के लक्षण दिखाई देते है.
जीका वायरस से “गुइलैन-बैरे” (Guillain-Barre syndrome ) नामक बीमारी भी हो सकती है, जो वयस्कों में अस्थायी पक्षाघात का एक रूप है एवं तंत्रिका तंत्र से संबंधित अन्य जटिलताओं से जुड़ा हुआ है.
जीका वायरस के लक्षण या इसके काटने से क्या होता है?
इस वायरस के काटने से 8 से 10 दिनों के बाद लक्षण दिखने लगते है जैसे कि:
– आखों का लाल और सिरदर्द होना.
– जोड़ों में दर्द और बुखार का होना.
– सर्दी का लगना और शरीर में लाल रंग के चकतों का दिखना.
– खुजली और हाथ,पैरों में सूजन का आना.
– इसकी वजह से बच्चे का सिर छोटा और दिमाग अविकसित रह जाता है.
– बच्चा पैरालाईज़ हो सकता है.
– इससे होने वाली बीमारी को माइक्रोसेफली कहते है. यह एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है.
ये हम सब जानते हैं की आमतौर पर इन लक्षणों के आधार पर किसी को अस्पताल में भर्ती नहीं कराया जा सकता है और तो और जीका को लेकर अभी तक कोई टेस्ट उपलब्ध भी नहीं है. इसका तरीका यही है कि अगर इस तरह के लक्षण देखे जाते है तो ब्लड सैंपल को एडवांस में लैब भेजा जाएं.
अब सवाल यह उठता है कि जीका वायरस आखिर फैलता कैसे हैं?
– जीका वायरस “एडीज इजिप्टी” नामक मच्छर से फैलता है.
– यह वही मच्छर है जो यलो बुखार, डेंगू और चिकनगुनिया फैलाता है.
– इस तरह के मच्छर अमेरिका में टैक्सास, हवाई और फ्लोरिडा में मिलते हैं.
– यह मच्छर बहुत सुबह और देर रात में काटते है.
– जीका गर्भवती महिला से अपने भ्रूण तक जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान इन्फेक्शन की वजह से बच्चे में कुछ जन्म दोष भी हो सकते हैं.
जीका वायरस आमतौर पर लगभग एक सप्ताह के लिए संक्रमित व्यक्ति के रक्त में रहता है. अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के पास जाए यदि आपको ऐसे लक्षण विकसित होते हुए दीखते हैं और आप जीका के जोखिम वाले क्षेत्र में रहते हैं या आपने हाल ही में यात्रा की है तो जरुर से ब्लड टेस्ट करवाएं और आगे होने वाले इन्फेक्शन से बचे.
अभी इसका इलाज़ संभव नहीं है पर बचाव किया जा सकता हैं. इसके लिए शरीर को मच्छरों से बचाना जरूरी है। जिसके लिए आप मास्किटो रैपलेंट, मच्छरदानी और मास्किटो कोइल का प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा आप घर के अंदर और बाहर दोनों को साफ सुतरा रखें।
क्या जीका यौन संपर्क के माध्यम से संचारित हो सकता है?
हाँ. हालांकि जीका वायरस मुख्य रूप से मच्छरों के माध्यम से फैलता है, लेकिन यह यौन संचारित भी हो सकता है. जीका वायरस वेजाईनल, एनल सेक्स और संभवतः मौखिक सेक्स द्वारा संचारित हो सकता है .
कुछ अध्ययनों से यह भी पता चला है कि वायरस को रक्त, सीमेन, मूत्र और संक्रमित लोगों की लार, साथ ही आंखों के तरल पदार्थों में भी पाया जा सकता है.
भारत में जीका वायरस
मई 2017 में गुजरात के अहमदाबाद में मच्छर जनित जीका वायरस से तीन लोग जिसमें एक गर्भवती महिला भी शामिल है पाया गया हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज में रैंडम मॉनिटरिंग और निगरानी के दौरान यह मामले सामने आए हैं जिसमें एक 64 वर्षीय आदमी, एक 34 वर्षीय महिला जो हाल ही में मां बनी थी और एक 22 वर्षीय गर्भवती महिला थी.
भारत में पहला संक्रमण फरवरी 2016 में पाया गया था, नवंबर में दूसरा और मई 2017 में नवीनतम.
इस वायरस से प्रभावित इंसान केवल 10 दिनों तक ही जिंदा रह पाता है. इसलिए जानकारी ही जीका वायरस से बचने का एक मात्र तरीका है. सावधान रहें और दूसरो को भी रखें.