दैनिक समसामयिकी 27 June 2018
➡ 1.महिलाओं के लिए भारत सबसे खतरनाक देश
• यौन हिंसा के बढ़े खतरे के कारण भारत महिलाओं के लिए विश्व का सबसे खतरनाक देश बन गया है। इस सूची में भारत के बाद अफगानिस्तान और सीरिया का नाम आता है।
• वैश्विक विशेषज्ञों के आज जारी एक सव्रेक्षण में यह बात सामने आई है।महिलाओं के मुद्दों पर करीब 550 विशेषज्ञों के ‘‘थामसन रायटर्स फाउंडेशन’ सर्वेक्षण के अनुसार, इस सूची में चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमश : सोमालिया और सऊदी अरब हैं। फोन और व्यक्तिगत रूप से 26 मार्च से चार मई तक आनलाइन कराये गये 548 लोगों के सव्रेक्षण में यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया और प्रशांत क्षेत्र को शामिल किया गया।
• फाउंडेशन के अनुसार, अमेरिका महिलाओं से यौन ¨हसा, उत्पीड़न और यौन संबंधों के लिये मजबूर करने के जोखिम वाली सूची में शीर्ष दस में शामिल है। इससे पहले 2011 में कराए गए इस तरह के सव्रेक्षण में महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देशों में क्रमश : अफगानिस्तान, कांगो, पाकिस्तान, भारत और सोमालिया थे।
• सर्वेक्षण में लोगों से पूछा गया कि संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में से वे पांच देश कौन से हैं जिनके बारे में उन्हें लगता है कि वह महिलाओं के लिये बहुत खतरनाक हैं और वे स्वास्थ्य , आर्थिक संसाधन, सांस्कृतिक या पारंपरिक परंपरा, यौन हिंसा और उत्पीड़न, अलग तरह की ¨हसा और मानव तस्करी के संदर्भ में बहुत खराब हैं।
• फाउंडेशन ने एक बयान में कहा, सर्वेक्षण में शामिल लोगों ने भारत को महिलाओं का दास बनाने, घरेलू काम सहित मानव तस्करी और जबरन शादी, कन्या भ्रूणहत्या जैसी पारंपरिक रीतियों के संदर्भ में भी सबसे खतरनाक देश बताया।
• सबसे खतरनाक देश
1. भारत
2. अफगानिस्तान
3. सीरिया
4. सोमालिया
5. सऊदी अरब
6. पाकिस्तान
7. डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो
8. यमन
9. नाइजीरिया
10. अमेरिकाs
2. एशिया के विकास में अहम भूमिका निभाएगा एआइआइबी : मोदी
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उम्मीद जताई है कि एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक संपूर्ण एशिया के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यहां एआइआइबी के तीसरे वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में उन्होंने यह बात कही।
• दो साल पहले चीन में स्थापित इस बहुपक्षीय विकास बैंक के तीसरे सम्मेलन का आयोजन मुंबई में किया गया। भारत इस बैंक में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा भागीदार और अब तक का सबसे बड़ा कर्ज प्राप्तकर्ता देश है।
• सम्मेलन में बैंक के 87 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में इस बैंक के निवेश का लाभ अरबों लोगों को मिलेगा। एआइआइबी ने जनवरी 2016 में अपना कामकाज शुरू किया था। इतने कम समय में ही 87 देश इसके सदस्य बन चुके हैं।
• मोदी के अनुसार शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्तीय सेवा और रोजगार के अवसरों के मामले में एशियाई देश अब भी असमानताओं से जूझ रहे हैं। विकासशील देश होने के कारण लगभग सभी एशियाई देशों की चुनौतियां एक समान हैं। इन्हीं चुनौतियों में एक बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाना भी है।
• इस मजबूती का लाभ अरबों लोगों को मिलेगा। इन देशों को ऊर्जा, बिजली, परिवहन, दूरसंचार, ग्रामीण बुनियादी ढांचा, कृषि विकास, जलापूर्ति एवं स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, शहरी विकास एवं लॉजिस्टिक्स के लिए दीर्घावधि फंड की जरूरत होती है। इस तरह के फंड पर ब्याज दर भी किफायती होनी चाहिए।
• प्रधानमंत्री के अनुसार यह खुशी की बात है कि इस साल के सम्मेलन की थीम ‘आधारभूत संरचना के लिए धन जुटाना: नवाचार एवं तालमेल’ रखी गई है। एआइआइबी ने इतनी कम अवधि में करीब एक दर्जन देशों की 25 परियोजनाओं के लिए चार अरब डॉलर से अधिक वित्तीय मदद मुहैया कराई है। मोदी ने कहा कि एआइआइबी को 2020 तक 40 अरब डॉलर (2.72 लाख करोड़ रुपये) और 2025 तक 100 अरब डॉलर (6.8 लाख करोड़ रुपये) की मदद जरूरतमंद देशों को मुहैया कराने का लक्ष्य लेकर चलना चाहिए।
3. भारत ने सेशेल्स को एक और डोर्नियर दिया
• भारत ने मंगलवार को सेशेल्स को समुद्री निगरानी बढ़ाने के लिए और हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा बनाए रखने में मदद के लिए दूसरा डोर्नियर विमान उपहार में दिया है।विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने भारत दौरे पर आए सेशेल्स के राष्ट्रपति डैनी फौरे को विमान सौंपने के दौरान कहा, यह विमान समुद्री निगरानी बढ़ाएगा और सेशेल्स के विशाल विशेष आर्थिक क्षेत्र को समुद्री खतरों से मुक्त रखने में योगदान करेगा।
• मार्च 2015 में सेशेल्स की अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समुद्री खतरों से निपटने में हिंद महासागर के द्वीपीय देश की निगरानी क्षमता को बढ़ाने के लिए दूसरे डोर्नियर विमान को उपहार में देने की घोषणा की थी। विदेशमंत्री ने कहा, समुद्री पड़ोसियों के रूप में, भारत और सेशेल्स निरंतर विकास के लिए
चारों ओर समुद्री क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सुषमा ने कहा, हमारे समुद्रों को सुरक्षित करने से अंतत: हमारे दोनों देशों और लोगों की प्रगति और समृद्धि के लिए शांतिपूर्ण वातावरण पैदा होगा।
• उन्होंने कहा कि यह हमारे प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त किए गए हमारे सागर दृष्टिकोण का हिस्सा है। भारत और सेशेल्स को मजबूत सुरक्षा भागीदारों के रूप में वर्णित करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा, उस देश के व्यापक ईईजेड की गश्ती के लिए भारतीय नौसेना के जहाजों को नियमित रूप से तैनात किया गया था।
• सुषमा ने कहा कि भारत क्षमता निर्माण के माध्यम से विशेष रूप से समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सेशेल्स का सहयोग करने को प्रतिबद्ध है।यह विमान ऐसे समय में उपहार में दिया गया है, जब राष्ट्रपति फौरे अपने देश की संसद में साल 2015 में मोदी की यात्रा के दौरान हुए समझौते को मंजूरी दिलाने में असफल रहे।
• मोदी की यात्रा के दौरान संयुक्त रूप से एक नौसेना अड्डा विकसित करने का करार हुआ था। सेशेल्स में विपक्ष संप्रभुता संबंधी चिंताओं के कारण समझौते के खिलाफ है। मोदी और फौरे के बीच सोमवार को द्विपक्षीय बैठक के दौरान भारत ने रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सेशेल्स को 10 करोड़ डॉलर का कर्ज देने का वादा किया था।
• फौरे की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के निमंत्रण पर भारत की यह पहली यात्रा है। उन्होंने दिल्ली का दौरा करने से पहले अहमदाबाद और गोवा का दौरा किया और वह उत्तराखंड भी जाएंगे।
4. एनपीए की और खराब होगी स्थिति
• रिजर्व बैंक ने बैंकों की सकल एनपीए की स्थिति को लेकर धुंधली तस्वीर पेश की है। केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि बैंकों की सकल गैर निष्पादित राशि (एनपीए) चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक बढ़कर 12.2 फीसद तक पहुंच जाएगी। इससे पूर्व मार्च 2018 की समाप्ति तक यह अनुपात 11.6 फीसद था।
• रिजर्व बैंक ने अपनी वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा है कि बैंकिंग क्षेत्र पर सकल गैर निष्पादित कर्ज का दबाव लगातार बना रहेगा और आने वाले समय में यह अनुपात और बढ़ेगा।
• इसमें कहा गया है, ‘‘वृहद आर्थिक कारकों पर आधारित परीक्षण से संकेत मिलता है कि मौजूदा परिदृष्य के आधारभूत परिवेश में अनूसुचित वाणिज्यक बैंकों की एनपीए राशि मार्च 2018 के 11.6 फीसद से बढ़कर मार्च 2019 तक 12.2 फीसद पर पहुंच जाएगा।’ सार्वजनिक क्षेत्र के त्वरित सुधारात्मक कारवाई नियमों के दायरे में आए 11 बैंकों के बारे में रिजर्व बैंक ने कहा है कि इन बैंकों के एनपीए अनुपात की स्थिति और बिगड़ सकती है। यह मार्च 2018 के 21 फीसद से बढ़कर चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक 22.3 फीसद पर पहुंच सकता है।
• रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 11 बैंकों में से छह बैंकों को जरूरी न्यूनतम जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (सीआरएआर) के नौ फीसद के मुकाबले पूंजी की तंगी झेलनी पड़ सकती है। ऊंचे एनपीए के चलते रिजर्व बैंक की त्वरित सुधारात्मक कारवाई (पीसीए) के दायरे में जिन बैंकों को रखा गया है उनमें- आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, सैंट्रल बैंक, बैंक आफ इंडिया , इंडियन ओवरसीज बैंक, देना बैंक, आरिएंटल बैंक, बैंक आफ महाराष्ट्र, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया, कारपोरेशन बैंक और इलाहाबाद बैंक शामिल हैं।
5. खाद्य मिलावट करने वालों को उम्रकैद
• खाद्य उत्पाद विनियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण* (एफएसएसएआई) ने खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों को उम्रकैद की सजा और दस लाख रपए तक का दंड देने का प्रावधान किए जाने की सिफारिश की है।एफएसएसएआई ने 2006 के खाद्य सुरक्षा और मानक कानून में संशोधन के बारे में अपनी सिफारिशों में यह प्रस्ताव किया है। इसमें मिलावट करने वालों को उम्रकैद की सजा देने तथा दस लाख तक का जुर्माना भी लगाए जाने का सुझाव है।
• उच्चतम न्यायालय के आदेश के एक आदेश के बाद एफएसएसएआई ने खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लि कड़ी सजा का प्रस्ताव किया है। एफएसएसएआई ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून में संशोधनों का मसौदा जारी किया है। यह कानून 2006 में पारित हुआ था लेकिन इसके नियमनों को 2011 में ही अधिसूचित किया जा सका था।
• महत्वपूर्ण संशोधनों के तहत एफएसएसएआई ने खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए नई धारा को शामिल करने का प्रस्ताव किया है। एफएसएसएआई ने कहा, ‘‘कोई भी व्यक्ति जो खाद्य पदार्थ में किसी ऐसे पदार्थ की मिलावट करता है जो मानव उपभोग के लिए द्यातक है और इससे उस व्यक्ति के स्वास्थ्य को किसी तरह का नुकसान हो सकता है या मृत्यु हो सकती है, उस व्यक्ति को कम से कम सात साल की सजा दी जा सकती है और इस सजा को बढ़ाकर उम्रकैद तक किया जा सकता है। इसके अलावा उस व्यक्ति पर कम से कम दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया सकता है।’
6. लंबित मामले निपटारे पर सुझाव दें हाई कोर्ट
• मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) दीपक मिश्र ने देश के सभी हाई कोर्टो से मामलों के त्वरित निपटारे का उपाय सुझाने के लिए कहा है। इससे अदालतों में लंबित मामलों का बोझ कम हो सकेगा। इसके साथ ही अधीनस्थ न्यायपालिका में रिक्तियों को भरने का भी उपाय बताने के लिए कहा गया है।
• हाई कोर्टो के मुख्य न्यायाधीशों को भेजे गए एक पत्र में सीजेआइ ने सुझाव दिया है कि अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामलों को ध्यान में रखते हुए निष्पादन समीक्षा तंत्र लागू किया जाना चाहिए। पत्र में कहा गया है, ‘हाई कोर्टो से 10 साल और पांच साल पुराने मामलों के निपटारे के लिए अंतिम तारीख के साथ कार्ययोजना तैयार करने का आग्रह किया जा चुका है। ऐसी योजना की लगातार निगरानी की जानी चाहिए। समिति द्वारा हाई कोर्टो और अधीनस्थ न्यायालयों के स्तर पर अनुभव एवं नए विचार के आलोक में निगरानी की जाएगी।’
• जस्टिस मिश्र ने कहा है, ‘अनुभव दर्शाता है कि किसी भी योजना की संपूर्ण निगरानी, समीक्षा और दुरुस्त करने की कार्रवाई का अनुकूल परिणाम सामने आता है।’ अपने संदेश में मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि हाई कोर्टो में समीक्षा तंत्र प्राथमिकता के आधार पर मामलों के निपटारे पर केंद्रित रहेगा।
• उन्होंने कहा है, ‘रचनात्मक आकलन को जारी रखना न्याय प्रदान करने वाली प्रणाली की मजबूती और समर्थन के लिए महत्वपूर्ण है। प्रक्रिया आधारित रुख को परिणाम आधारित रुख के साथ पंक्तिबद्ध रखना अनिवार्य है। यह तय लक्ष्य हासिल करने और मुख्य प्रक्रिया को मजबूत बनाए रखने का प्रयास होना चाहिए।
• ’मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की ओर से भेजे गए पत्र में शीर्ष अदालत की शेष समिति का भी उल्लेख किया गया है। समिति ने पाया कि विभिन्न हाई कोर्टो में बड़ी संख्या में आपराधिक और दीवानी अपील लंबित हैं। इस समिति को पुराने मामलों के निपटारे के लिए निगरानी और कार्ययोजना तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
• मुख्य न्यायाधीश ने हर उच्च न्यायालय की शेष समिति की हर महीने कम से कम एक बार बैठक और इस संबंध में रिपोर्ट तैयार करने का सुझाव दिया है। इससे पुराने मामलों के निपटारे और प्राथमिकता श्रेणी के मामलों की निगरानी में मदद मिलेगी।
• ज्ञात हो, देश में निचली अदालतें हों या फिर उच्च या सर्वोच्च न्यायालय हर जगह लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके चलते आम आदमी को न्याय मिलने में काफी दिक्कतों का सामना करता पड़ता है।
• अदालतों पर बोझ के कारण हजारों की संख्या में लोग विचाराधीन कैदी के रूप में जेलों में बंद हैं। इसके चलते तमाम तरह की सामाजिक दिक्कतें खड़ी हो रही हैं। समाज सेवी और बुद्धिजीवी वर्ग भी समय समय पर अदालतों में लंबित मामलों पर चिंता का इजहार कर चुके हैं।