दैनिक समसामयिकी
07 August 2018(Tuesday)
1.SC/ST बिल पर लोस की, OBC आयोग व ‘‘रेपिस्ट को फांसी’ पर संसद की मुहर : सर्वसम्मति से पारित हुआ बिल
• लोकसभा में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक 2018 को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निरस्त करने लिए पेश किया गया था। सरकार ने कहा कि वह आरक्षण के पक्ष में है और रहेगी।
• लोकसभा में सोमवार को इस विधोयक पर लम्बी र्चचा हुई। र्चचा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि सरकार अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के हितों के लिए लगातार काम कर रही है। सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी और कोर्ट ने उसमें राहत दी है। उसी आधार पर कार्मिक मंत्रालय ने केंद्र सरकार और राज्यों से कहा कि पदोन्नति में आरक्षण व्यवस्था लागू की जाए।
• सरकार ने 1989 के मूल कानून में 25 और अपराधों को जोड़कर इसे मजबूत बनाया था। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने गत 20 मार्च को अपने फैसले में धारा 18 के संबंध में अंकुश लगाने वाले कुछ निर्णय लिए।
• उन्होंने कहा कि इससे कानून का कोई महत्व नहीं रह गया था। इसे महसूस करते हुए सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की, जो अभी विचाराधीन है। उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका पर फैसले में विलंब को देखते हुए सरकार ने सोचा कि न्याय में देरी हो रही है और इसलिए कुछ दिन पहले कैबिनेट में विधेयक को मंजूरी दी गयी।
• राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित 123वें संविधान संशोधन विधेयक पर सोमवार को संसद की मुहर लग गयी। राज्यसभा ने इसे मतविभाजन के जरिये सर्वसम्मति से पारित कर दिया जबकि लोकसभा इसे पिछले सप्ताह मंजूरी दे चुकी है।
• विधेयक पर मत विभाजन में इसके पक्ष में 156 मत पड़े और विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा। सदन ने सरकार की ओर से लाये गये और लोकसभा द्वारा पारित संशोधन को 145 मतों से मंजूरी दी और इसके विरोध के कोई मत नहीं पड़ा। इससे पहले कुछ सदस्यों ने अपने संशोधनों को वापस ले लिया।
• विधेयक पर लगभग तीन घंटे तक चली र्चचा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद यह एससी/एसटी आयोगों की तर्ज पर काम करेगा।
• 12 साल से कम आयु की बच्चियों से बलात्कार पर मौत की सजा वाले विधेयक को राज्यसभा ने भी पारित कर दिया है। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। इस विधेयक में 16 साल से कम आयु की किशोरियों से बलात्कार के मामलों में कठोर सजा का प्रावधान किया गया है।
• राज्यसभा ने दंड विधि संशोधन विधेयक 2018 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक के जरिये भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1972, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के संशोधन का प्रावधान है। यह विधेयक कानून बनने पर इस संबंध में 21 अप्रैल को लागू दंड विधि संशोधन अध्यादेश 2018 की जगह लेगा।
• विधेयक पर हुई र्चचा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि पिछले कुछ समय में बलात्कार की अनेक घटनाएं सामने आई हैं, जिसने देश के मानस को झकझोर दिया है, ऐसे में इस प्रकार के जघन्य अपराध के खिलाफ कठोर प्रावधानों वाला यह विधेयक लाया गया है।
• उन्होंने बताया कि संसद सत्र नहीं चल रहा था इसलिए सरकार इस विषय पर पहले अध्यादेश लाई थी। रिजिजू ने कहा कि हमारी सरकार इस विधेयक के सख्त प्रावधानों को लागू करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।
2. तय होगा अनुच्छेद 35ए संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ तो नहीं
• जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। तीन जजों की पीठ में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड के नहीं पहुंचने से मामला 27 अगस्त के बाद तक टल गया। हालांकि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र ने स्पष्ट किया कि विवादित अनुच्छेद संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ तो नहीं है, इस बात का फैसला किया जाएगा।
• सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई को लेकर जम्मू-कश्मीर में दो दिनों का बंद रखा गया। कश्मीर में उग्र विरोध प्रदर्शन हुए।
• बड़ी पीठ को सौंपा जा सकता है मामला : सोमवार को हुई संक्षिप्त सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र और जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि मामला तीन सदस्यीय पीठ द्वारा सुना जाना था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड पीठ का हिस्सा हैं। वह कोर्ट में नहीं हैं। इसलिए अब 27 से शुरू होने वाले हफ्ते में सुनवाई होगी।
• मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि अनुच्छेद 35ए संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ तो नहीं है?
• 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से जोड़ा गया : अनुच्छेद 35ए को 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में जोड़ा गया था। इसके जरिये जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार प्रदान किए गए हैं और राज्य के बाहर के लोगों को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने के अधिकार से वंचित रखा गया है। राज्य के बाहर के व्यक्ति से शादी करने वाली कश्मीरी महिला को भी संपत्ति के अधिकार से वंचित किया गया है। यह प्रावधान संबंधित महिला पर ही नहीं उसके बच्चों पर भी लागू होता है।
• संविधान पीठ को भेजने पर होगा विचार : मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र ने याचिकाकर्ताओं से कहा, ‘चूंकि आपने अनुच्छेद 35ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है, इसलिए यह केस संविधान पीठ के समक्ष जाना चाहिए। तीन सदस्यीय पीठ इस बारे में विचार करेगी।’
• राज्य सरकार ने किया था सुनवाई टालने का आग्रह : जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने तीन अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर सोमवार को होने वाली सुनवाई टालने का आग्रह किया था। राज्य सरकार ने आगामी निकाय चुनाव को देखते हुए यह आग्रह किया था। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने सुनवाई टालने के राज्य सरकार के आग्रह का विरोध किया।
• उनका कहना था कि निकाय चुनाव सितंबर में होने हैं। 1नेकां, माकपा समेत कई ने समर्थन में दायर की याचिकाएं : अनुच्छेद 35ए को कायम रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में उसके समर्थन में कई लोगों व संस्थाओं ने याचिकाएं दायर की हैं। चुनौती देने वाली याचिकाओं में से एक एनजीओ ‘वी द सिटिजंस’ की है।
• इसमें जम्मू एवं कश्मीर के लोगों के विशेषाधिकार समाप्त करने की मांग की गई है। जिन दलों व संगठनों ने इस अनुच्छेद को कायम रखने की याचिका दायर की है, उनमें नेशनल कांफ्रेंस और माकपा शामिल हैं।
3. आरबीआइ यथाशीघ्र दोबारा लागू करे एलओयू व्यवस्था : समिति
• संसदीय पैनल ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) की व्यवस्था को जल्द से जल्द दोबारा चालू करने का आग्रह किया है। 14,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले में दुरुपयोग होने के बाद आरबीआइ ने इस पर रोक लगा दी थी।
• वाणिज्य मंत्रलय की स्थायी संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एलओयू और एलओसी (लेटर ऑफ कम्फर्ट) पर रोक लगने के कर्ज की लागत दो-ढाई फीसद तक बढ़ गई है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा में टिकने की क्षमता प्रभावित हो रही है। इससे निर्यात प्रभावित होगा तो देश में रोजगार पर बुरा असर पड़ेगा।
• रिपोर्ट के अनुसार समिति का मानना है कि समुचित सुरक्षात्मक उपायों के साथ एलओयू व एलओसी को जल्द से जल्द अनुमति दी जानी चाहिए। यह इस वजह से बहुत अहम है कि देश के कुल निर्यात में करीब 20 फीसद आयातित वस्तुओं का इस्तेमाल होता है। एलओयू और एलओसी का इस्तेमाल विदेश से वस्तुओं के आयात के भुगतान करने में किया जाता है।
• इस साल मार्च में पीएनबी घोटाला सामने आने के बाद रिजर्व बैंक ने एलओयू और एलओसी पर रोक लगा दी थी। हीरा व्यापारी नीरव मोदी और उसके सहयोगियों ने कथित तौर पर बड़े पैमाने पर इसका दुरुपयोग करके बैंकिंग सिस्टम को चूना लगाया और देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले को अंजाम दिया।
• आयातक अपने बैंक में फीस जमा करके एलओयू जारी करने के लिए अनुरोध करते थे। इसके आधार पर विदेश स्थित बैंक आयातक के नाम पर कर्ज दे देते थे। इस कर्ज से आयातित वस्तुओं का भुगतान किया जाता था। लेकिन नीरव मोदी और उसके सहयोगियों ने पीएनबी के स्टाफ के साथ मिलकर फर्जी एलओयू जारी करवाए और विदेश स्थित बैंकों से कर्ज ले लिए जो कुल मिलाकर करीब 14,000 करोड़ रुपये हो गए।
4. पवन हंस के निजीकरण का रास्ता साफ, मंजूरी दी ओएनजीसी ने
• हेलीकॉप्टर सेवा देने वाले पीएसयू पवन हंस के निजीकरण का रास्ता साफ हो गया है। सरकारी क्षेत्र की तेल उत्खनन कंपनी ओएनजीसी के निदेशक बोर्ड ने पवन हंस में अपनी समूची 49 फीसद हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव पर दोबारा मोहर लगा दी है।
• सरकार इसमें अपनी 51 फीसद हिस्सेदारी बेचने के लिए पहले ही फैसला कर चुकी है।1ओएनजीसी के बोर्ड ने इससे पहले 29 जून को पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था। सरकार इसमें अपनी हिस्सेदारी बेचने का पहले ही फैसला कर चुकी है। इस तरह पवन हंस की पूरी हिस्सेदारी बेची जाएगी।
• विनिवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने कुछ बिंदुओं पर कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा था। ओएनजीसी से कहा गया था कि वह उन शर्तो को स्वीकार करे, जिन पर सरकारी हिस्सेदारी बेची जा रही है। दो अगस्त को इन शर्तो को मंजूरी दे दी गई। इसके साथ ही पवन हंस में सौ फीसद हिस्सेदारी बेचने के लिए संशोधित प्रस्ताव पेश करने का रास्ता साफ हो गया है।
5. चीन ने पहले सुपरसोनिक विमान का परीक्षण किया
• चीन ने सोमवार को घोषणा की कि उसने अपने पहले अत्याधुनिक सुपरसोनिक विमान का परीक्षण किया जो परमाणु आयुधों को ले जाने में और मौजूदा मिसाइल रोधी रक्षा पण्रालियों को भेदने में सक्षम है।
• चाइना एकेडमी ऑफ एयरोस्पेस एयरोडाइनामिक्स ने एक बयान में कहा, ¨शगकोंग-2 शुक्रवार को उत्तरपश्चिम चीन के एक परीक्षण स्थल से प्रेक्षित किया गया। अमेरिका और रूस दोनों इसी तरह के परीक्षण कर रहे हैं। बयान में बताया गया है कि एक रॉकेट से प्रक्षेपित चीनी ‘‘वेवराइडर’ को 10 मिनट बाद छोड़ा गया। यह स्वतंत्र रूप से उड़ा और पूर्व नियोजित क्षेत्र में उतरा।
• उन विमानों को सुपरसोनिक कहा जाता है जो आवाज की गति से पांच गुणा या उससे भी ज्यादा रफ्तार से उड़ान भरते हैं। विमान 30 किलोमीटर की बुलंदी पर मैच 5.5-6 की रफ्तार से उड़ा।
• सुपरसोनिक विमान का डिजाइन सीएएए ने चाइना एयरोस्पेस साइंस ऐंड टेक्नोलोजी कारपोरेशन के साथ गठबंधन कर के किया।
• वेवराइडर एक उड़ान वाहन होता है जो वायुमंडल में उड़ता है और अपनी हाइपरसोनिक उड़ान से पैदा शॉकवेव का इस्तेमाल कर उच्च गति से ग्लाइड करता है।
6. वातावरण में घुल रहा मिट्टी में जमा कार्बन
• दुनिया भर में कार्बन उत्सर्जन कम करने को लेकर बहस चल रही है। ऐसे में यह बात सामने आई है कि तापमान में वृद्धि के कारण मिट्टी में जमा कार्बन का भंडार तेजी से वातावरण में घुलता जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब जीवाणु टूटे पत्तों को खाते हैं और मृत पेड़-पौधों का अपघटन होता है तो कार्बन का भंडार कार्बन डाइआक्साइड में बदलकर वातावरण का हिस्सा बन जाता है।
• 25 साल में 1.2 प्रतिशत बढ़ी दर : जनरल नेचर में प्रकाशित शोध में वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रकार कार्बन के वातावरण में घुलने की दर पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण के दौरान कार्बन लेने से ज्यादा है। अमेरिका की पैसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लैबोरेटरी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि रोगाणुओं द्वारा मिट्टी में जमा कार्बन को वातारण में मिलाने की दर 1990 से 2014 तक करीब 25 साल में 1.2 प्रतिशत बढ़ गई है।
• धरती के इतिहास में वैश्विक स्तर पर इतने कम समय में ये परिवर्तन खतरनाक है।1यूं हुई जानकारी : पृथ्वी पर तापमान वृद्धि के प्रभाव का अध्ययन करने के दौरान वैज्ञानिकों को कार्बन के वातावरण में घुलने की जानकारी हुई। ज्वाइंट ग्लोबल चेंज रिसर्च इंस्टीट्यूट के बेन बॉन्ड लैंबर्टी का कहना है कि यह वास्तविक जगत में किया गया अध्ययन है। दुनिया भर में तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में जमा कार्बन डाइआक्साइड में बदलकर वातावरण में घुल रहा है।
• धरती में दो गुना कार्बन : वैश्विक रूप से मिट्टी में पृथ्वी के वातावरण से दो गुना अधिक कार्बन पाया जाता है। जंगल में जितना कार्बन पेड़ों के जरिए जमीन के ऊपरी हिस्से में है, उससे ज्यादा जमीन के भीतर है।
• मिट्टी में बढ़ रहे रोगाणु : यह शोध मिट्टी की श्वसन प्रक्रिया पर केंद्रित है। असल में मिट्टी श्वसन नहीं करती उसमें मौजूद रोगाणु और पौधे कार्बन को ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइआक्साइड छोड़ते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है मिट्टी के श्वसन की प्रक्रिया भी तेज हो जाती है।
• वैज्ञानिकों का मानना है कि मिट्टी में रोगाणुओं की संख्या बढ़ने के कारण पौधों के कार्बन ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है। बीते 25 सालों में रोगाणुओं की संख्या बढ़ने के कारण मिट्टी के श्वसन की प्रक्रिया 54 से 63 प्रतिशत बढ़ गई है। वैज्ञानिकों के मळ्ताबिक, यह स्थिति चिंताजनक है।