दैनिक समसामयिकी – 09 October 2018(Tuesday)
➡ ITERNATIONAL/BILATERAL
1.फिर होगी अमेरिका-उ. कोरिया शिखर बैठक
• उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग-उन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ जल्द से जल्द दूसरी शिखर बैठक करने के लिए राजी हैं।
• प्योंगयांग में अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और किम के बीच हुई ‘‘फलदायी’ बातचीत के बाद सोल ने रविवार को शिखर सम्मेलन की बात कही।कोरियाई प्रायद्वीप की यात्रा के दौरान रविवार की सुबह प्योंगयांग में पोम्पिओ ने पहले दो घंटे तक किम से बातचीत की, फिर दोनों नेताओं ने दोपहर का भोजन भी साथ किया। वहां से पोम्पिओ सोल रवाना हो गए।
• दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, पोम्पिओ ने कहा, वह जितनी जल्दी संभव हो, दूसरा अमेरिका-उत्तर कोरिया शिखर सम्मेलन कराने को लेकर चेयरमैन किम से सहमत हैं। हालांकि, इस संबंध में अभी तारीख या जगह तय नहीं है।
• बयान के अनुसार, पोम्पिओ और किम ने उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में उठाए जाने वाले कदमों, वहां पर अमेरिकी सरकार की उपस्थिति और इसके बदले में अमेरिका द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर र्चचा की। अमेरिकी विदेशमंत्री पोम्पिओ चौथी बार उत्तर कोरिया गए थे।
• ट्रंप और किम के बीच पहला शिखर सम्मेलन जून में सिंगापुर में हुआ था। हालांकि, इस सम्मेलन में किम द्वारा किए गए वादों को आलोचकों ने कोरियाई प्रायद्वीप के परमाणु निरस्त्रीकरण पर किया गया कमजोर वादा बताया था।
• पोम्पिओ ने ट्वीट किया है,सिंगापुर सम्मेलन में हुए समझौतों पर हम आगे बढ़ रहे हैं। किम ने भी पोम्पिओ के साथ हुई अपनी बैठक को ‘‘अच्छा’ बताया। सुबह की बातचीत के बाद अनुवादक की मदद से किम ने कहा, एक बहुत अच्छा दिन जो दोनों देशों के लिए अच्छे भविष्य का वादा करता है।
2. बाल यौन उत्पीड़न पर कानूनन बाध्यकारी यूएन संधि जरूरी : कैलाश सत्यार्थी
• नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने बच्चों के यौन उत्पीड़न पर कानूनी रूप से बाध्यकारी संयुक्त राष्ट्र की एक अंतरराष्ट्रीय संधि की मांग की है। बाल यौन उत्पीड़न को ‘‘नैतिक महामारी’ करार देते हुए सत्यार्थी ने कहा, ऑनलाइन बाल पोर्नोग्राफी आठ अरब अमेरिकी डॉलर का बड़ा उद्योग बन चुकी है।
• हाल में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें उच्च-स्तरीय सत्र में शिरकत करने वाले सत्यार्थी ने कहा कि ऑनलाइन बाल पोनरेग्राफी पर कोई नियंतण्रनहीं है।सत्यार्थी ने यहां बताया, हम बाल यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी पर संयुक्त राष्ट्र की एक बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि पर जोर दे रहे हैं।
• कुछ देशों में कानून तो है, लेकिन ऑनलाइन बाल पोनरेग्राफी पर कोई नियंत्रण नहीं है। कानूनी तौर पर बाध्यकारी संधि का अभाव है।
• उन्होंने कहा कि बाल यौन उत्पीड़न दुनियाभर में फैल रही ‘‘नैतिक महामारी’ है और ऑनलाइन बाल पोनरेग्राफी आठ अरब अमेरिकी डॉलर का बड़ा उद्योग बन चुकी है। सत्यार्थी (64) ने कहा, ‘‘लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन’ नाम के समूह ने ऑनलाइन बाल यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानूनी रूप से बाध्यकारी नियंतण्र संधि की मांग की है।
• ‘‘लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन’ सत्यार्थी द्वारा स्थापित एक समूह है जो बच्चों की हिफाजत के प्रयासों के लिए नोबेल पुरस्कार विजेताओं, वैश्विक नेताओं और युवाओं को एक साथ लाने का काम करता है। उन्होंने कहा, इस समस्या से निपटने के लिए कानूनी तौर पर बाध्यकारी कोई संधि नहीं होने के कारण इस पर उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा जितना दिया जाना चाहिए।
3. ब्राजील : दक्षिणपंथी उम्मीदवार पहले दौर का राष्ट्रपति चुनाव जीते
• धुर दक्षिणपंथी नेता जैर बोलसोनारो ने रविवार को ब्राजील के राष्ट्रपति चुनाव के पहले दौर में आसानी से जीत हासिल कर ली। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि ‘‘मतदान से जुड़ी गड़बड़ियों’ के कारण उन्हें निर्णायक जीत से वंचित होना पड़ा।
• राष्ट्रपति चुनाव में बोलसोनारो के सामने उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में वामपंथी नेता फर्नांडो हडाड हैं और अब दोनों के बीच दूसरे दौर में कड़ी टक्कर होने के आसार हैं।
• लातिन अमेरिकी क्षेत्र के सबसे बड़े देश ब्राजील में अपराध पर लगाम लगाने का चुनावी वादा कर रहे बोलसोनारो (63) को पहले दौर में जीत हासिल करने के लिए जरूरी ‘‘50 फीसदी अ एक वोट’ से कम 46 फीसदी वोट मिले। लगभग सभी वोटों की आधिकारिक गणना में यह जानकारी दी गई।
• इसका मतलब है कि उन्हें 28 अक्टूबर को फर्नांडो हडाड से मुकाबला करना होगा जिन्हें पहले दौर में 29 फीसदी वोट मिले। साओ पाउलो के पूर्व मेयर हडाड ने इस चुनावी मुकाबले में पूर्व राष्ट्रपति और अब जेल में बंद लुइज इनाशियो लूला डी सिल्वा की जगह ली है।
• सर्वेक्षणों के मुताबिक, दूसरे दौर में हडाड और बोलसोनारो के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है। बोलसोनारो के समर्थकों ने राजधानी ब्रासीलिया में राष्ट्रीय चुनावी अधिकरण के बाहर नतीजों का विरोध किया और ‘‘धोखा’ होने के नारे लगाए।
4. बांग्लादेश ने डिजिटल सुरक्षा कानून बनाया
• बांग्लादेश के राष्ट्रपति ने पत्रकारों और मानवाधिकार समूहों के बड़े पैमाने पर विरोध के बीच सोमवार को विवादित डिजिटल सुरक्षा अधिनियम पर हस्ताक्षर करके उसे कानून की शक्ल दे दी।
• पत्रकारों और मानवाधिकार समूहों का कहना है कि इस कानून से अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में पड़ जाएगी।
• ‘‘बांग्ला ट्रिब्यून’ ने खबर दी है कि डिजिटल सुरक्षा विधेयक 2018 को संसद ने पारित किया था और यह ऑनलाइन धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, 1971 के मुक्ति संग्राम और बंगबंधु (शेख मुजीबुर रहमान) के खिलाफ नकारात्मक प्रचार चलाने, ई लेन-देन में अवैध गतिविधियां करने और अपमानजनक डेटा फैलाने समेत साइबर अपराधों से निपटेगा।
5. भारत बहुपक्षीय प्रणाली का महत्वपूर्ण भागीदार : संरा महासभा
• संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष मारिया फर्नांडा एस्पिनोसा का कहना है कि सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भारत की सफलता दुनिया का रुख बदल सकती है। उन्होंने दुनिया की बहुपक्षीय पण्राली में भारत को एक महत्वपूर्ण भागीदार बताया।
• एस्पिनोसा का कहना है कि 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष रहते हुए वह भारत के साथ संपर्क बढ़ाने और उसके साथ मिलकर काम करने की इच्छुक हैं। उन्होंने कहा, बहुपक्षीय पण्राली में भारत महत्वपूर्ण भागीदार है। यह संयुक्त राष्ट्र के लिए मित्र देश है।
• यदि भारत 2030 एजेंडा को हासिल करने में सफल रहता है तो वह दुनिया का रुख बदल सकता है। यहां हम भारत के रूप में करीब 1.30 अरब लोगों की बात कर रहे हैं।इक्वाडोर की पूर्व विदेश मंत्री एस्पिनोसा को जून, 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा का 73वां अध्यक्ष चुना गया। वह 193 सदस्यीय सदन के 73 वर्ष लंबे इतिहास में चौथी महिला अध्यक्ष हैं।
• भारतीय राजनयिक और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष चुनी गई थीं। बाद में लाइबेरिया की एंजी एलिजाबेथ ब्रूक्स 1969 में और बहरीन की शेख हया राशिद अल खलीफा 2006 में महासभा की अध्यक्ष चुनी गईं।
• संयुक्त राष्ट्र महासभा का अध्यक्ष पद संभालने से पहले एस्पिनोसा ने भारत की यात्रा कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भेंट की थी। अपनी भारत यात्रा को याद करते हुए कहा कि उन्हें यह देखकर बहुत खुशी हुई कि किस प्रकार से देश में जमीनी स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों को लागू किया जा रहा है।
• संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न उपक्रमों के लिए भारत की सहायता की प्रशंसा करते हुए एस्पिनोसा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सैनिकों का योगदान देने वाले देशों में भारत बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने पर्यावरण के क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च पुरस्कार ‘‘यूएनईपी चैम्पियन्स ऑफ द अर्थ’ अवार्ड से सम्मानित किए जाने पर प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी।
• प्रधानमंत्री को यह पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में उनके नेतृत्व और 2022 तक देश से एकल इस्तेमाल वाले प्लास्टिक को खत्म करने की प्रतिबद्धता के लिए दिया गया है। एस्पिनोसा ने कहा, भारत ने स्वच्छता और शहरीकरण के क्षेत्रों में कई चुनौतियों का सामना किया है।
• उन्होंने कहा, भारत बड़ी आबादी वाला देश है और ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के बीच संतुलन, सेवाओं तक पहुंच बड़ी चुनौती है। लेकिन अगर आपके अंदर राजनीतिक इच्छाशक्ति है, आपके पास समुचित योजना है और आप प्रतिबद्ध हैं तो चुनौतियां आपके लिए अवसर बन जाएंगी।
➡ NATIONAL
6. वित्त आयोग का गठन में राज्यों की आनाकानी
• केंद्र सरकार से धनराशि मांगने में राज्य पीछे नहीं रहते हैं लेकिन जब स्थानीय निकायों को मदद देने की बारी आती है तो वे कतराते हैं। इसका सबूत यह है कि कई सूबों की सरकारें अपने यहां राज्य वित्त आयोग का गठन समय पर करने में दिलचस्पी नहीं दिखातीं।
• राज्य वित्त आयोग इसलिए जरूरी है क्योंकि राज्य सरकार और पंचायतों के बीच वित्तीय संसाधनों का वितरण इसी की सिफारिशों के आधार पर होता है।
• 15वें केंद्रीय वित्त आयोग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार के स्तर पर तो राष्ट्रपति की अधिसूचना से हर पांच साल पर नियमित रूप से वित्त आयोग का गठन किया जा रहा है लेकिन राज्यों के स्तर पर ऐसा नहीं है। राज्यों में अब तक पांचवें राज्य वित्त आयोग का गठन हो जाना चाहिए था लेकिन कई राज्य ऐसे हैं जहां अभी दूसरा व तीसरा वित्त आयोग ही चल रहा है।
• 15वें केंद्रीय वित्त आयोग ने अब तक लगभग दर्जनभर राज्यों का दौरा किया है और इस दौरान यह तथ्य सामने आया है। मसलन, अरुणाचल प्रदेश में अभी दूसरा वित्त आयोग चल रहा है। इसी तरह गोवा और गुजरात में तीसरे वित्त आयोग की सिफारिशों पर ही अमल हो रहा है। पश्चिम बंगाल में चौथे राज्य वित्त आयोग ने फरवरी, 2017 में रिपोर्ट दी लेकिन इसकी सिफारिशों पर कितना अमल हुआ, इस बारे में अभी कुछ पता नहीं है।
• कुछ ऐसा ही हाल उत्तर प्रदेश का है जहां 2015 में पांचवें वित्त आयोग का गठन तो हो गया है लेकिन उसकी रिपोर्ट अब तक दाखिल हुई या नहीं इस बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।1उल्लेखनीय है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243आइ के तहत राज्यपाल को हर पांच साल पर राज्य वित्त आयोग का गठन करना होता है।
• यह व्यवस्था 1992 में संविधान के 73वें संशोधन के बाद लागू की गई थी। राज्य वित्त आयोग का काम पंचायतों और स्थानीय निकायों के वित्तीय संसाधनों का आकलन कर राज्य सरकार द्वारा लगाए जाने वाले करों में से उनके लिए हिस्सेदारी तय करना है।
• स्थानीय निकायों और पंचायतों के गठन के लिए संविधान में किए गए 73वें संशोधन को 25 साल से अधिक हो गए हैं। ऐसे में यह स्वाभाविक था कि अब तक सभी राज्यों में पांचवें वित्त आयोग का गठन हो जाना चाहिए था।
• सूत्रों ने कहा कि पूर्वोत्तर के कई राज्यों जैसे मिजोरम और नगालैंड में तो अभी पहला और दूसरा राज्य वित्त आयोग ही चल रहा है। राज्यसभा के पूर्व सदस्य और नौकरशाह के. एन. के. सिंह की अध्यक्षता में गठित 15वें वित्त आयोग ने विभिन्न राज्यों की सरकारों के साथ बैठक के दौरान इस तथ्य का संज्ञान लिया है। माना जा रहा है कि आयोग अपनी रिपोर्ट में भी इस बारे में टिप्पणी कर सकता है।
• गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्तर पर संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत राष्ट्रपति वित्त आयोग का गठन करते हैं। अब तक पंद्रह वित्त आयोगों का गठन हो चुका है। वित्त आयोग की सिफारिशें पांच वर्ष के लिए होती हैं और यह केंद्र तथा राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण तथा केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी तय करता है।
➡ ENVIRONMENT
7. ग्लोबल वार्मिग पर तत्काल सामूहिक कार्रवाई आवश्यक : आईपीसीसी
• इंचियोन (आईएएनएस)। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की अंतरसरकारी समिति (आईपीसीसी) ने सोमवार को सार्वजनिक किए गए नए आकलन में कहा है कि ग्लोबल वार्मिग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए समाज के सभी पहलुओं में त्वरित, दूरगामी और अभूतपूर्व बदलाव की जरूरत है।
• आईपीसीसी ने कहा, लोगों और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों को स्पष्ट लाभ के साथ ग्लोबल वार्मिग को दो डिग्री की तुलना में 1.5 डिग्री तक सीमित करने के लिए अधिक चिरस्थायी और न्यायसंगत समाज सुनिश्चित करते हुए सभी को हाथ से हाथ मिलाना होगा।
• आईपीसीसी द्वारा, ग्लोबल वार्मिग को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित करने पर जारी एक विशेष रपट को शनिवार को कोरियाई शहर में मंजूरी प्रदान की गई। आईपीसीसी जलवायु परिवर्तन से संबंधित विज्ञान का आकलन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की इकाई है।
• समिति के अध्यक्ष होसुंग ली ने कहा, 6,000 से ज्यादा वैज्ञानिक संदभरे का हवाला और विश्वभर के हजारों विशेषज्ञों और सरकारी समीक्षकों के समर्पित योगदान के साथ यह महत्वपूर्ण रपट आईपीसीसी की उदारता और नीति प्रासंगिकता का प्रमाण प्रस्तुत करती है।40 देशों के 91 लेखकों और समीक्षा संपादकों ने आईपीसीसी की रपट तैयार की है।
• यूएनएफसीसीसी ने 2015 में पेरिस समझौते को अपनाने पर यह आमंतण्रदिया था। आईपीसीसी वर्किग ग्रुप 1 के सहअध्यक्ष पनमाओ झाई ने कहा, इस रपट से जो एक मुख्य संदेश बड़ी मजबूती से बाहर निकलकर आया है, वह यह कि हम ग्लोबल वार्मिग के एक डिग्री सेल्सियस के परिणाम पहले ही देख रहे हैं, जिसमें मौसम में अत्यधिक बदलाव, समुद्री जलस्तर में वृद्धि और आर्कटिक के समुद्री बर्फ के पिघलाव सहित अन्य बदलाव शामिल हैं।
• रपट में जलवायु परिवर्तन के बहुत से प्रभावों को रेखांकित किया गया है, और ग्लोबल वार्मिग को दो डिग्री या इससे ज्यादा के मुकाबले डेढ़ डिग्री तक सीमित कर इन प्रभावों से बचा जा सकता है।
➡ AWARD
8. नार्डहास और पाल रोमर को अर्थशास्त्र का नोबेल
• अमेरिकी अर्थशास्त्री विलियम डी. नार्डहास और पाल एम. रोमर को संयुक्त रूप से इस वर्ष का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।
• न्यूयार्क टाइम्स ने सोमवार को बताया कि नार्डहास को जलवायु परिवर्तन समेत विभिन्न पर्यावरणीय कारकों के अर्थव्यवस्था पर प्रभावों के अध्ययन के लिए यह पुरस्कार दिया जाएगा।
• रोमर को तकनीकी परिवर्तनों के महत्व पर शोध के लिए नोबेल पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की गई है।
• गौरतलब है कि ये पुरस्कार महान वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले हर वर्ष दिये जाते हैं। इसके तहत 10.1 लाख अमेरिकी डालर की पुरस्कार की राशि ज्यादा से ज्यादा तीन वैज्ञानिकों में साझा की जा सकती है।
Sorce of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)