दैनिक समसामयिकी – 10 October 2018(Wednesday)
➡ INTERNATIONAL/BILATERAL
1.भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने लगाई मुहर
• संयुक्त राष्ट्र ने विश्व में पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत की पहल पर मुहर लगा दी है। यूएन खाद्य एवं कृषि संगठन के 26वें सत्र की पिछले सप्ताह हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। इसके तहत 2023 को घोषित किया जाएगा।
• संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की बैठक में शामिल भारतीय प्रतिनिधि कृषि आयुक्त डॉक्टर सुरेश मल्होत्र ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय प्रस्ताव का चीन, रूस, माली, अफ्रीकी यूनियन, नाइजीरिया, सेनेगल, इथोपिया व जिंबाब्वे समेत कई देशों ने अपना समर्थन प्रदान किया है।
• भारत ने इस बाबत अपना अनुरोध पहले ही भेज दिया था, जिसमें वर्ष 2019 को ही मोटा अनाज वर्ष घोषित करने का आग्रह किया था। दलील दी गई थी कि मोटे अनाज वाली फसलों की खेती से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी। एफएओ की रोम में हुई बैठक में डॉक्टर मल्होत्र ने यह प्रस्ताव रखा, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
• बैठक में अपनी संक्षिप्त प्रस्तुति में ही डॉक्टर मल्होत्र ने मोटे अनाज के फायदे गिना डाले। उन्होंने कहा कि बदलती जीवन शैली के चलते मोटापा और डायबिटीज जैसे रोग तेजी से पांव पसार रहे हैं।
• इन पर काबू पाने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर मोटे अनाज वाली फसलें बेहद अहम साबित होंगी। जलवायु परिवर्तन से खेती पर मंडरा रहे खतरे की चुनौती से भी लड़ने का माद्दा इन फसलों में है।
• वैश्विक स्तर पर इन फसलों की जबरदस्त मांग भी है। लोगों के खानपान में मोटे अनाज से तैयार चीजों की जरूरत बढ़ती जा रही है। गांव के साथ शहरों में भी इसकी मांग बढ़ी है। गरीबों के साथ अमीर उपभोक्ताओं का रुझान भी इस ओर हुआ है। इस बढ़ती मांग के चलते किसानों की हालत में सुधार होगा।
• भारत ने अपने इस प्रस्ताव के पक्ष में सदस्य देशों से भी समर्थन का आग्रह किया था, जिसके लिए सभी सदस्य देशों के पास प्रस्ताव भेजा गया था। पांच अक्टूबर की बैठक में प्रस्ताव आने पर इस पर चर्चा हुई और तमाम देशों ने इसके पक्ष में हामी भरी।
• इन फसलों के लिए कम उपजाऊ जमीन भी काफी लाभप्रद : दरअसल, भारत में चालू वर्ष 2018 को ही मोटे अनाज वाला वर्ष घोषित कर दिया गया है। छोटे दाने वाली इन फसलों के लिए कम उपजाऊ जमीन भी काफी लाभप्रद साबित होती है।
• असिंचित क्षेत्रों में भी इसकी खेती होती है। इनमें ज्वार, बाजरा, रागी, सांवा, कोदो और अन्य कई फसलें शामिल हैं। खराब मौसम और बारिश की कमी अथवा अधिकता होने की दशा में भी इन फसलों की पैदावार प्रभावित नहीं होती है। अफ्रीका के एक छोर से दूसरे छोर तक भी इनकी खेती होती है। यह किसानों के लिए कठिन समय में बेहद विश्वसनीय होती है।
2. इस वर्ष विकास दर में सबको पीछे छोड़ेगा भारत
• आइएमएफ ने मंगलवार को कहा कि इस वर्ष ग्लोबल आर्थिक विकास दर 3.7 फीसद के आसपास स्थिर रहने का अनुमान है। हालांकि वर्ष 2012-16 के दौरान किसी भी वर्ष हासिल विकास दर के मुकाबले यह ज्यादा है। संस्था ने दुनिया को चेताया है कि ग्लोबल आर्थिक विकास पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और विकास दर उम्मीद से कम है।
• गौरतलब है कि इस वर्ष अप्रैल में संस्था ने ग्लोबल आर्थिक विकास दर 3.9 फीसद रहने का अनुमान जताया था। आइएमएफ के मुताबिक एशियाई क्षेत्र ने विकास दर के मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है।
• आइएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री मॉरिस ऑसफेल्ड ने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे दुनिया के कई देश रोजगार के मामले में पूर्णता की ओर पहुंच रहे हैं। लेकिन दुनिया की अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल बरकरार हैं।
• ग्लोबल आर्थिक विकास दर 3.7 फीसद पर रहेगी स्थिर, ट्रेड वार समेत कई मोर्चे पर चुनौतियां
• अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि इस वर्ष भारत 7.3 फीसद के साथ सबसे तेज गति से विकास कर रही बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का रुतबा एक बार फिर हासिल कर लेगा। हालांकि संस्था का नवीनतम अनुमान इस वर्ष अप्रैल के 7.7 फीसद से कम है। फिर भी भारत अपने स्पर्धी और पड़ोसी चीन से विकास दर के मामले में इस वर्ष 0.7 फीसद आगे रहने वाला है।
• इसके साथ ही संस्था ने अगले वर्ष के लिए देश का आर्थिक विकास दर अनुमान 7.4 फीसद रखा है। पिछले वर्ष देश की आर्थिक विकास दर 6.7 फीसद रही थी।
• आइएमएफ की वल्र्ड इकोनॉमिक आउटलुक (डब्ल्यूईओ) रिपोर्ट के मुताबिक हाल के वर्षो में भारत में कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों को लागू किया गया है। इनमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी), कारोबारी सुगमता बढ़ाने के उपाय तथा विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए उठाए गए कई कदम शामिल हैं।
• रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के दिनों में कच्चे तेल के दाम में लगातार बढ़ोतरी और ग्लोबल स्तर पर मौद्रिक अस्थिरताओं के चलते भारत के आर्थिक विकास अनुमान में मामूली कमी की गई है। इसके बावजूद यह पिछले वर्ष की 6.7 फीसद विकास दर के मुकाबले बेहद मजबूत है।
• पिछले वर्ष चीन की आर्थिक विकास दर भारत से 0.2 फीसद ज्यादा रही थी। आइएमएफ ने इस वर्ष चीन की आर्थिक विकास दर का अनुमान 6.6 फीसद, जबकि अगले वर्ष के लिए 6.2 फीसद रखा है। आइएमएफ और विश्व बैंक की सालाना बैठक के बाद मंगलवार को ग्लोबल आर्थिक रिपोर्ट जारी की गई। इसके मुताबिक अमेरिका के साथ मौजूदा ट्रेड वार और आंतरिक स्तर पर चुनौतीपूर्ण मौद्रिक नीति के चलते चीन की आर्थिक विकास दर इस वर्ष के मुकाबले अगले वर्ष और धीमी रहने का अनुमान है।
• वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर इंडोनेशिया के बाली में जारी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की इस रिपोर्ट का कहना है कि भारत ने पिछले कुछ समय में बैंक के फंसे कर्ज की समस्या से निजात पाने और कंपनियों की बैलेंस शीट को साफ-सुथरा करने को आर्थिक सुधार की प्राथमिकताओं के रूप में लिया है।
• रिपोर्ट ने भारत को सुझाया है कि इन कोशिशों को सब्सिडी और घटाने तथा जीएसटी नियमों को और प्रभावी ढंग से लागू करने जैसे कदमों का साथ मिलना चाहिए।
3. असमानता दूर करने में भारत फिसड्डी
• असमानता को दूर करने के मामले में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत का प्रदर्शन काफी खराब है। मंगलवार को जारी एक रपट के अनुसार असमानता को दूर करने की प्रतिबद्धता के मामले में भारत काफी पीछे है। इस मामले में 157 देशों की सूची में भारत 147वें स्थान पर है।
• डेनमार्क इस सूची में शीर्ष पर है। आक्सफैम तथा डेवलपमेंट फाइनेंस इंटरनेशनल द्वारा तैयार असमानता कम करने की प्रतिबद्धता के सूचकांक में कहा गया है कि नाइजीरिया, सिंगापुर, भारत और अज्रेंटीना जैसे देशों का प्रदर्शन इस मामले में काफी खराब है।
• इस सूचकांक में 157 देशों को सामाजिक खर्च, कर और श्रम अधिकार संबंधी उनकी नीतियों के आधार पर रैंकिंग दी गई है। रपट में कहा गया है कि दक्षिण कोरिया, नामीबिया और उरुग्वे जैसे देश असमानता दूर करने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं। वहीं भारत और नाइजीरिया जैसे देशों का प्रदर्शन इस मामले में काफी खराब है। अमीर देशों की बात की जाए तो अमेरिका ने असमानता को दूर करने के लिए पर्याप्त प्रतिबद्धता नहीं दिखाई है।
• रैकिंग की बात की जाए तो स्वास्य सेवा, शिक्षा और सामाजिक संरक्षण पर खर्च के मामले में भारत 151वें, श्रम अधिकारों और मजदूरी के मामले में 141वें और कराधान नीतियों के मामले में 50वें स्थान पर है। आठ दक्षिण एशियाई देशों में भारत छठे स्थान पर है।
• सार्वजनिक खर्च और श्रम अधिकार के मामले में यह छठे स्थान पर है। हालांकि कर नीति में प्रगतिशीलता के मामले में भारत शीर्ष पर है।इस सूची के शीर्ष दस देशों में जर्मनी दूसरे फिनलैंड तीसरे, आस्ट्रिया चौथे, नॉव्रे पांचवें, बेल्जियम छठे, स्वीडन सातवें, फ्रांस आठवें, आइसलैंड नवें और लग्जमबर्ग दसवें स्थान पर है।
• उभरती अर्थव्यवस्थाओं में चीन सूची में 81वें, ब्राजील 39वें और रूस 50वें स्थान पर है।
4. विदेश मंत्रालय ने शुरू की ‘‘इंडिया फॉर ह्यूमैनिटी’ पहल
• राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष में विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को ‘‘इंडिया फॉर ह्यूमेनिटी’ पहल का शुभांरभ किया जिसके तहत एक साल के दौरान विश्व के 12 से अधिक देशों में करीब छह से सात हजार दिव्यांगों को विश्वप्रसिद्ध जयपुर कृत्रिम पैर प्रदान किए जाएंगे।
• विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यहां विदेश मंत्रालय में एक कार्यक्रम में जयपुर की मशहूर धर्मार्थ संस्था भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के साथ संयुक्त रूप से इस पहल का शुभारंभ किया।
5. द.अफ्रीका में तकनीकी शिक्षा केंद्र स्थापित करेगा भारत
• दक्षिण अफ्रीका की उच्च शिक्षा मंत्री नालेदी पंडोर और भारतीय उच्चायुक्त रुचिरा कंबोज ने सोमवार को प्रिटोरिया में गांधी-मंडेला सेंटर ऑफ स्पेशलाइजेशन फॉर आर्टिसन स्किल्स की आधिकारिक तौर पर शुरुआत की।पंडोर ने बताया कि यह केंद्र, भारत सरकार ने प्रिटोरिया में श्वैन साउथ टेक्निकल एंड वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रे¨नग (टीवीईटी) कॉलेज में खोला है और अगले साल से इसके काम शुरू करने की उम्मीद है।
• नेल्सन मंडेला की जन्मशती और महात्मा गांधी के 150वीं जयंती वर्ष के मौके पर शुरू की गई इस परियोजना के बारे में पंडोर ने कहा, इन दोनों महान नेताओं के लिए यह बहुत उत्साहित करने वाला जन्मदिन का तोहफा है। उन्होंने कहा कि यह केंद्र बेहतर कौशल विकास के लिए दक्षिण अफ्रीका की क्षमताओं को बढाने में मदद करेगा।
• यह केंद्र दक्षिण अफ्रीका में मौजूद 150 भारतीय कंपनियों में से कई के प्रयासों को नया आयाम देगा जो प्रशिक्षण के लिए स्थानीय लोगों को भारत भेजते हैं और फिर कुशल कारीगरों को अपनी कंपनियों या दक्षिण अफ्रीकी कंपनियों में काम देते हैं।
• इस पहल के लिए योजनाओं को, जुलाई में संपन्न 10वें ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा की मौजूदगी में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के दो महीने बाद अंतिम रूप दिया गया।
6. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निकी हेली का इस्तीफा
• संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मूल की अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वह ट्रंप प्रशासन में हालिया इस्तीफों की सबसे ताजा कड़ी हैं।
• अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को ओवल आफिस में हेली से मुलाकात के बाद कहा कि उन्होंने बेहतरीन काम किया है और वह इस साल के अंत तक अपना कामकाज जारी रखेंगी।
• ट्रंप ने संवाददाताओं को बताया कि हेली ने छह महीने पहले उन्हें बताया था कि वह अपने काम से कुछ समय के लिए अवकाश चाहती हैं। 46 वर्षीय हेली ट्रंप के प्रशासन में भारतीय मूल की वरिष्ठतम अधिकारी हैं। हेली को उदारवादी रिपब्लिकन के रूप में ट्रंप का विकल्प माना जा रहा है। इसी के चलते निकी हेली को सफाई देनी पड़ी कि वह 2020 में राष्ट्रपति का चुनाव नहीं लड़ने वाली हैं। वह तब भी ट्रंप के अभियान का हिस्सा बनी रहेंगी।
• हेली का इस्तीफा ऐसे समय में हुआ है जब नवंबर में बेहद अहम मध्यावधि चुनाव होने हैं। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि निकी हेली का इस्तीफा ट्रंप के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
➡ SCIENCE
7. चीन ने दो रिमोट सेंसिंग उपग्रह छोड़े
• चीन ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पर्यावरण की जांच करने के लिए दो रिमोट सेंसिंग उपग्रहों का मंगलवार को सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।चीन की सरकारी समाचार समिति शिन्हुआ ने बताया, याओगन-32 समूह के इन उपग्रहों को सुबह 10:43 बजे लॉन्ग मार्च-2सी रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया।
• बताया गया है कि रिमोट सेंसिंग उपग्रहों को उत्तर पश्चिम चीन में जियूक्वान उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा गया।
• कहा गया है कि उपग्रहों ने निर्धारित कक्षाओं में प्रवेश किया और इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पर्यावरण का सर्वेक्षण करने तथा अन्य संबंधित तकनीकी परीक्षणों में किया जाएगा। रिमोट सेंसिंग का जिक्र आमतौर पर वस्तुओं का पता लगाने के उद्देश्य से सेंसर तकनीकों के इस्तेमाल के लिए किया जाता है।
Sorce of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)