Daily News Summary of 13 Oct in details in Hindi

By | October 17, 2018

दैनिक समसामयिकी – 13 October 2018(Saturday)

INTERNATIONAL/BILATERAL
1.भारत के प्रमुख फैसलों की समीक्षा कर रहा अमेरिका
• अमेरिका भारत के ईरान से चार नवम्बर के बाद तेल आयात जारी रखना और रूस से हवाई रक्षा पण्राली एस-400 खरीदना के फैसले का ‘‘बहुत ही सावधानीपूर्वक’ समीक्षा कर रहा है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने यह बात कही। उसने कहा कि ये भारत के लिए ‘‘फायदेमंद नहीं’ रहेगा।
• राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 2015 में बहुपक्षीय समझौते से हाथ खींचने के बाद से अमेरिका ईरान से सारा तेल आयात बंद करने की कोशिश कर रहा है। उसने अपने सभी सहयोगी देशों को चार नवम्बर तक ईरान से तेल आयात घटाकर शून्य करने को कहा है। भारत के ईरान से चार नवम्बर के बाद भी तेल खरीदना जारी रखने पर विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने कहा कि यह भारत के लिए फायदमेंद नहीं होगा।
• उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा, ईरान से तेल आयात करना जारी रखने वालों पर चार नवम्बर से प्रतिबंध प्रभावी होंगे। हम प्रतिबंधों को लेकर दुनिया भर के ईरान के कई भागीदारों और सहयोगियों के साथ बातचीत कर रहे हैं।’नोर्ट ने कहा कि उन देशों के लिए हमारी नीति बहुत स्पष्ट है। इस मुद्दे पर हम ईरान सरकार के साथ भी बातचीत कर रहे हैं और संयुक्त व्यापक कार्य योजना के तहत हटाए गए सभी प्रतिबंधों को फिर से लगा रहे हैं।
• ट्रंप प्रशासन ने सभी देशों को यह संदेश स्पष्ट रूप से दे दिया है और राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका सभी प्रतिबंधों को फिर से लगाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘प्रतिबंध लागू होने के बाद भी भारत के ईरान से तेल खरीदने पर अमेरिका के राष्ट्रपति ने चेताया था।’

2. बड़ी रणनीतिक साझेदारी की तरफ बढ़ेंगे भारत-जापान
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने की 28 व 29 तारीख को जापान की यात्र पर होंगे। इस दौरान वह जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबी के साथ भारत-जापान के बीच सालाना होने वाली शिखर बैठक की अगुआई करेंगे। मोदी और एबे की अगुवाई में पिछले चार वर्षो में भारत व जापान के रिश्तों को जिस तरह से दिशा दी गई है उसे देखते हुए माना जा रहा है कि दोनों नेता इस बार अभी तक के फैसलों की समीक्षा करने पर ज्यादा जोर देंगे।
• बैठक में निश्चित तौर पर कनेक्टिविटी से जुड़ी परियोजनाओं पर सहयोग काफी अहम होगा और खास तौर पर संयुक्त तौर पर किस तरह से एशिया के दूसरे देशों और गैर एशियाई देशों में कनेक्टिविटी परियोजनाओं को बढ़ाया जाए, इस पर विमर्श करेंगे।
• विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक मोदी और एबे 13वें भारत-जापान सालाना बैठक में हिस्सा लेंगे। मोदी और एबी की अगुवाई में यह पांचवीं सालाना बैठक होगी।
• रणनीतिक और वैश्विक पार्टनरशिप के फ्रेमवर्क के तहत दोनो नेता द्विपक्षीय, वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। हिन्द -प्रशांत क्षेत्र में शांति व संपन्नता भी एक बड़ा मुद्दा होगा।
• सनद रहे कि पिछले वर्ष की सालाना बैठक के लिए पीएम एबी भारत आए थे और उन्होंने अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन रेल लाइन की नींव रखी थी। पिछले वर्ष दोनों देशों की तरफ से जारी संयुक्त बयान को कई विशेषज्ञों ने इस तौर पर देखा था कि अब ये देश एक दूसरे को दूसरा सबसे अहम रणनीतिक साङोदार मानने लगे हैं। दोनों देशों के लिए अमेरिका सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार देश है।
• वर्ष 2017 की घोषणा पत्र में हिन्द -प्रशांत महासागर के मुद्दे पर भारत व जापान ने शांति स्थापित करने के आह्वान के साथ यह भी कहा था कि उनकी तीनों सेनाओं के बीच गहरे संबंध स्थापित करने की नींव रखी जा चुकी है।
• सूत्रों का कहना है कि मोदी और एबे रणनीतिक साझेदारी के क्षेत्र में पूर्व में लिए गये फैसलों की समीक्षा करेंगे। हाल ही में दोनो देशों ने अपने रक्षा मंत्रियों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों, रक्षा व विदेश मंत्रियों की अगुआई में एक अलग बैठक के अलावा डिफेंस पॉलिसी डायलाग और तीनों सेनाओं के स्तर पर होने वाली बातचीत शुरु की गई है।
• भारत इस स्तर पर व्यापक सुरक्षा वार्ता बहुत कम देशों के साथ करता है। मोदी व एबे के बीच बेहतर व्यक्गित संबंधों से भी भारत व जापान के रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने में मदद मिली है। एबे ने पिछले वर्ष अहमदाबाद में एक रोड-शो भी किया था। डोकलाम विवाद पर भारत का खुल कर समर्थन करने वाला जापान पहला देश था।

SCIENCE
3. पहली बार जीन एडिटिंग की मदद से पैदा हुई दो चुहिया की एक संतान
• चीन के वैज्ञानिकों ने पहली बार जीन एडिटिंग और एंब्रायोनिक स्टेम कोशिकाओं की मदद से दो चुहिया की स्वस्थ संतान पैदा करने में सफलता पाने का दावा किया है।
• सेल स्टेम सेल जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, इस तकनीक के जरिये 210 भ्रूण से 29 संतानों को जन्म दिया गया। यह सभी पूरी तरह स्वस्थ थे, अपनी पूरी आयु तक जीवित रहे और इनकी संतानें भी पैदा हुईं।
• चाइनीज अकेडमी ऑफ साइंसेज के शोधकर्ताओं ने बताया कि दो चूहों से एक संतान पैदा करने का प्रयोग भी पहले किया जा चुका है। हालांकि वह संतान कुछ दिन ही जीवित रह सकी थी।
• चुनौतियों का पता लगाने के लिए किया अध्ययन : शोध में इस पर अध्ययन किया गया कि एक ही लिंग के जीवों से संतान की उत्पत्ति में क्या चुनौतियां हैं। साथ ही स्टेम कोशिकाओं और जीन एडिटिंग की मदद से इन चुनौतियों से कैसे पार पाया जा सकता है।
• चाइनीज अकेडमी ऑफ साइंसेज के क्वी झोऊ ने कहा, ‘हम इस सवाल पर उत्सुक थे कि स्तनपायी जीवों में यौन संबंधों से ही संतान की उत्पत्ति क्यों होती है। विभिन्न अध्ययनों के जरिये हमने यह जानने का प्रयास किया कि जीन एडिटिंग की मदद से दो नर या दो मादा चूहों के संतान की उत्पत्ति संभव है या नहीं।’
• पहले थीं कुछ खामियां : जीन डिलीट करने की कुछ तकनीकों की मदद से पहले भी दो चळ्हिया की एक संतान पैदा की जा चुकी है, लेकिन उसमें भी कुछ खामियां थीं। अब वैज्ञानिकों ने हैप्लॉयड एंब्रायोनिक स्टेम कोशिकाओं की मदद से इस काम को अंजाम दिया है।
• हालांकि सभी जीवों की अलग-अलग खूबियों को देखते हुए अब भी वैज्ञानिक इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि यह तकनीक का चूहे के अतिरिक्त अन्य स्तनपायी जीवों पर कितनी कारगर रह सकती है।

NATIONAL
4. गंगा व अन्य दर्जनभर नदियों के लिए ‘रिवर बेसिन अथॉरिटी
• जल के बेहतर प्रबंधन और अंतरराज्यीय जल विवादों को निपटाने के मकसद से सरकार गंगा नदी के साथ-साथ दर्जनभर अन्य नदियों के लिए ‘रिवर बेसिन अथॉरिटी’ बनाने की तैयारी कर रही है। केंद्र इस दिशा में कदम उठाते हुए संसद के शीतकालीन सत्र में ‘रिवर बेसिन मैनेजमेंट बिल 2018’ पेश कर सकता है।
• जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रलय ने इस विधेयक का मसौदा तैयार कर आम लोगों की प्रतिक्रिया के लिए सार्वजनिक कर दिया है।1इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद जिन नदियों के लिए रिवर बेसिन अथॉरिटी का गठन किया जाना है, उनमें गंगा बेसिन, गोदावरी बेसिन, ब्रह्मपुत्र -बराक और पूर्वोत्तर की अन्य नदियों के बेसिन, ब्राह्मणी -वैतरणी बेसिन, कावेरी बेसिन, सिंधु बेसिन, कृष्णा बेसिन, महानदी बेसिन, माही बेसिन, नर्मदा बेसिन, पेन्नार बेसिन, स्वर्णरेखा बेसिन और तापी बेसिन शामिल हैं।
• बेसिन का मतलब एक ऐसे भौगोलिक क्षेत्र से है जिसमें एक मुख्य नदी और उसकी सहायक नदियां प्रवाहित होती हैं और यह नदी जाकर समुद्र से मिलती है।
• देश में अलग-अलग नदियों के जल को लेकर विभिन्न राज्यों के बीच विवाद रहे हैं। यही वजह है कि लंबे अरसे से इस तरह के कानून की जरूरत महसूस की जा रही थी। द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में 2008 में रिवर बेसिन ऑर्गेनाइजेशन बनाने की सिफारिश की थी।
• प्रस्तावित कानून रिवर बोर्ड एक्ट 1956 का स्थान लेगा जो काफी पुराना हो चुका है। मंत्रलय के सूत्रों का कहना है कि यह कानून बनने से अंतर राज्य नदियों के के मामले में आपसी विवाद की जगह पारस्परिक सहयोग का माहौल बनेगा। इसके तहत जल के एकीकृत प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा।
• सूत्रों ने कहा आम लोग पांच नवंबर तक इस विधेयक पर अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव मंत्रलय के पास भेज सकते हैं। इसके बाद इन्हें समाहित कर मंत्रालय इस मसौदे को कैबिनेट से मंजूरी दिलाकर संसद के शीतकालीन सत्र में पेश कर देगा। इस विधेयक के तहत जल को साझा सामुदायिक संसाधन के रूप में प्रबंधन करने का प्रावधान किया गया है।
• जल की मांग के प्रभावी प्रबंधन और इस की बर्बादी रोकने के उपाय भी करने पर जोर दिया गया है। इस विधेयक के तहत जो भी नदी बेसिन प्राधिकरण बनाए जाएंगे, उनकी प्रत्येक की एक गवनिर्ंग काउंसिल होगी जिसमें उस नदी बेसिन आने वाले राज्यों के मुख्यमंत्री बतौर सदस्य शामिल होंगे।
• ये मुख्यमंत्री बारी-बारी से इस काउंसिल के अध्यक्ष का पदभार संभालेंगे। प्राधिकरण के संबंध में यह काउंसिल ही अहम फैसले लेगी।

Sorce of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

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