Daily News Summary of 26 Oct in details in Hindi

By | October 26, 2018

दैनिक समसामयिकी – 26 October 2018(Friday)

INTERNATIONAL/BILATERAL
1.अमेरिका अमीर देशों की मदद नहीं करेगा
• अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका दूसरे देशों की मदद करना चाहता है लेकिन जापान और दक्षिण कोरिया जैसे अमीर देशों की नहीं, क्योंकि वह उनकी सेनाओं की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं।
• राष्ट्रपति ने बुधवार को विस्कोन्सिन में एक रैली में कहा कि अमेरिका अमीर देशों की सेनाओं की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं लेकिन इसके लिए उसे पैसे नहीं मिलते और मिलते भी हैं तो बेहद कम।
• ट्रंप ने रैली में अपने समर्थकों से कहा, हम दूसरे देशों की मदद करेंगे। लेकिन हम अमीर देशों की मदद नहीं कर सकते, उन अमीर देशों की..जहां हम उनकी सेनाओं की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं तथा उसके लिए हमें पैसे नहीं मिलते और मिलते भी हैं तो बेहद कम। ऐसा नहीं चल सकता। यह अमीर देश हैं।
• अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, उन्होंने इन देशों के शासनाध्यक्षों से बात की है और यह मुद्दा उठाया है। उन्होंने जापान और दक्षिण कोरिया के नाम लेने से पहले कहा, मैंने उनमें से कुछ से संपर्क किया। मुझे नहीं पता कि मुझे आपको उनके नाम बताने चाहिए या नहीं। किसे फर्क पड़ता है? ऐसे कई देश हैं।
• ट्रंप ने कहा, उन्होंने जापान के प्रधानमंत्री ¨शजो आबे से कहा कि अमेरिका उनकी सेना की जिम्मेदारी संभालता है और जापान अपनी सेना के एक छोटे से हिस्से के लिए पैसे देता है, बाकी जिम्मेदारी अमेरिका के पास है। यह नहीं होना चाहिए और जापान को अमेरिका की मदद करनी चाहिए।
• उन्होंने कहा, दक्षिण कोरिया में अमेरिका के 32,000 सैनिक तैनात हैं और उसके लिए पूर्वी एशियाई देश उसे कोई पैसे नहीं देता। उन्होंने कहा, उन्हें पैसे देने होंगे।

2. सुषमा की कतर व कुवैत यात्रा पर नजरें
• खाड़ी क्षेत्र में जब क तनाव बढ़ता जा रहा है, तब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस क्षेत्र के दो देशों की यात्रा पर जा रही हैं। विदेश मंत्री 28-29 अक्टूबर को कतर की यात्रा पर होंगी, जबकि 30-31 अक्टूबर को वह कुवैत जाएंगी। उनकी यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि अभी कच्चे तेल और गैस की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। ये दोनों देश भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
• कतर भारत को सबसे ज्यादा गैस देने वाला देश है, जबकि कुवैत भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाला एक बड़ा देश है।
• ये देश ना सिर्फ भारत को तेल और गैस देते हैं, बल्कि वहां रहने वाले भारतीय हर वर्ष अरबों डॉलर कमाकर वापस भेजते हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद उपयोगी है। कतर में सुषमा स्वराज वहां के विदेश मंत्री और उप प्रधान मंत्री के अलावा अमीर शेख़ तमीम बिन हमाद अल थानी से भी मिलेंगी।
• बातचीत में रक्षा और ऊर्जा का मुद्दा सबसे अहम रहेगा। भारत जितना गैस आयात करता है, उसका 50 फीसद कतर से आता है। आने वाले दिनों में भारत उससे और ज्यादा गैस लेना चाहता है। दोनों देशों के बीच तकरीबन 10 अरब डॉलर का कारोबार होता है।
• पीएम नरेंद्र मोदी की वर्ष 2016 में कतर यात्रा के दौरान भारत के ऊर्जा क्षेत्र में 5 अरब डॉलर के नए निवेश की बात हुई थी, लेकिन इस पर कोई खास प्रगति नहीं पाई। स्वराज इस बारे में भी बात करेंगी। कतर और भारत के बीच सामुद्रिक सुरक्षा में सहयोग को लेकर भी एक समझौता है। इसकी भी समीक्षा किए जाने के आसार हैं।
• कुवैत में सुषमा स्वराज की वहां के विदेश मंत्री और उप प्रधान मंत्री के अलावा अमीर शेख साबह अल अहमद से भी मुलाकात होगी। कुवैत के साथ भी निवेश और आर्थिक रिश्तों पर स्वराज बात करेंगी। कतर की तरह कुवैत भी भारत के ऊर्जा सुरक्षा के लिए बेहद अहम है, क्योंकि भारत उससे काफी ज्यादा तेल खरीदता है।
• अभी ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लगने से भारत दूसरे बाज़ार खोज रहा है। स्वराज की इस बारे में भी बात होगी। इन दोनों देशों में प्रवासी भारतीयों की संख्या बहुत ज्यादा है। दोनों देशों में रहने वाले भारतीयों से स्वराज अलग से मुलाकात करेंगी।

3. प्रवासी भारतीय सुधार सकते हैं रूपये की सेहत
• इंडिया रेटिंग्स की एक ताजा रपट का अनुमान है कि भारतीय रिजर्व बैंक प्रवासी भारतीयों से कम से 30 अरब डालर जुटा कर रूपये को संभाले तो घरेलू मुद्रा की विनिमय दर सुधर कर दूसरी तिमाही में 69.79 रूपये प्रति डालर पर आ सकती है।
• रूपये का यह स्तर हालांकि पहली तिमाही से फिर भी 8.3 फीसद नीचे होगा।भारत ने 2013 में विदेशी विनिमय बाजार में अस्थिरता के समय इसी तरह से विदेशी मुद्रा जुटाई थी। इस समय डालर के मुकाबले उभरते बाजारों की मुद्राओं में भारतीय रूपये में गिरावट सबसे ज्यादा है। रुपया एक साल पहले की तुलना में 15 फीसद नीचे चल रहा है।
• पहली छमाही में विनियम दर औसतन 68.57 रूपये प्रति डालर भी। यह एक साल पहले की तुलना में 8.3 फीसद नीचे थी। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने 2013 की गर्मियों में बांड खरीद कार्यक्रम कम करने की अप्रत्याशित घोषणा की थी। उसके बाद रुपया दबाव में आ गया था।
• स्थिति से निपटने के लिए उस समय रिजर्व बैंक ने प्रवासी भारतीयों से 25 अरब डालर जुटाए थे। यह कदम रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन ने बैंक के गवर्नर का कार्यभार संभालते ही उस साल सितम्बर में उठाया था।
• इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेन्द्र पंत ने रिपोर्ट में कहा की यदि रिजर्व बैंक 2013 की ही तरह इस साल प्रवासी भारतीयों से 30 अरब डालर की विदेशी मुद्रा जुटाता है तो वर्ष की दूसरी छमाही में रपए की औसत विनिमय दर 69.79 रपए प्रति डालर रह सकती है। यह पहली छमाही के मुकाबले 8.3 फीसद नीचे होगी।
• पंत के मुताबिक मजबूत होते डालर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और दूसरी जिंसों के ऊंचे दाम, अमेरिका में बढ़ती ब्याज दर के साथ साथ घरेलू स्तर पर बढ़ता व्यापार और चालू खाते का घाटा, महंगाई बढ़ने का खतरा और वित्तीय लक्ष्यों से पीछे रहने की आशंका से रूपये में गिरावट बनी हुई है।

ECONOMY
4. जीएसटी संग्रह बढ़ाकर राजकोषीय घाटा पाटने की कोशिश करेगी सरकार
• चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में खर्च अधिक होने तथा राजस्व कम प्राप्त होने के चलते राजकोषीय घाटा काफी बढ़ गया है। सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान राजकोषीय घाटे का जो लक्ष्य रखा था उसके लगभग 95 प्रतिशत का इस्तेमाल पहली छमाही में हो चुका है। सरकार अब दूसरी छमाही में जीएसटी संग्रह बढ़ाकर राजकोषीय घाटे को पाटने की कोशिश करेगी।
• कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स (सीजीए) ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2018-19 के लिए सरकार के आय-व्यय का लेखा-जोखा पेश किया। इसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष के आम बजट में सरकार ने कुल 24.42 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा है।
• इसमें से पहली छमाही में 13.04 लाख करोड़ रुपये खर्च हो चुकी है। हालांकि इस दौरान सरकार के खजाने में राजस्व, खासकर टैक्स राजस्व के रूप में आने वाली राशि इतनी नहीं रही है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में कर राजस्व के रूप में 14.80 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन शुरुआती छह महीने में मात्र 5.82 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सके हैं जो आम बजट के लक्ष्य का मात्र 39.4 प्रतिशत है।
• यही वजह है कि सरकार को खर्च चलाने के लिए पहली छमाही में ही राजकोषीय घाटे के बड़े हिस्से का इस्तेमाल करना पड़ा। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के आम बजट में राजकोषीय घाटा देश के जीडीपी का तीन प्रतिशत यानी 6.24 लाख करोड़ रुपये तक रखने का लक्ष्य रखा है लेकिन अप्रैल से सितंबर तक सिर्फ छह माह में इसमें से 5.94 लाख करोड़ (95 प्रतिशत) का इस्तेमाल हो चुका है।
• सूत्रों का कहना है कि सरकार दूसरी छमाही यानी अक्टूबर से मार्च की अवधि में टैक्स राजस्व, खासकर जीएसटी संग्रह बढ़ाकर राजकोषीय घाटे को पाटने की कोशिश करेगी। वित्त मंत्रलय को मौजूदा त्योहारी सीजन के बाद नवंबर और दिसंबर में जीएसटी का मासिक संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है।
• चालू वित्त वर्ष में अब तक जीएसटी का मासिक संग्रह 95 हजार करोड़ रुपये के आस-पास रहा है। इसके अलावा इनकम टैक्स और कारपोरेट टैक्स सहित प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है।

Source of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

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