Daily General Awareness/CA Details in Hindi – 24 Nov

By | November 26, 2018

दैनिक समसामयिकी – 24 November 2018(Saturday)

INTERNATIONAL/BILATERAL
1.चीन: बीजिंग में 20 साल बाद आबादी में गिरावट, 6 उपनगरों में तीन फीसदी घटी
• दुनिया में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश चीन में जनसंख्या नियंत्रण के संकेत मिलने लगे हैं। चीन की सरकारी एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक राजधानी बीजिंग में 20 साल बाद 2017 के दौरान पहली बार जनसंख्या में कमी आई है।
• 2017 में बीजिंग में स्थाई निवासियों की संख्या 2.1707 करोड़ दर्ज की गई है, जो 2016 की जनसंख्या के मुकाबले 22 हजार कम है। गुरुवार रात जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग के 6 उपनगरों में 2016 के मुकाबले 2017 में जनसंख्या 3 प्रतिशत कम हुई है।
• पिछले 20 सालों के दौरान बीजिंग की जनसंख्या में दो तिहाई बढ़ोतरी हुई है, जबकि ऊर्जा खपत दोगुना बढ़ी है और वाहनों की संख्या में तीन गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2016 के दौरान चीन में कहा गया था कि दशक के अंत तक बीजिंग की जनसंख्या को 2.3 करोड़ पर सीमित किए जाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
• हालांकि चीन ने अपने यहां जनसंख्या नियंत्रण के लिए जो कदम उठाए हैं उसकी वजह से जन्मदर में लगातार कमी आई है और वहां बुजुर्गों की आबादी में बढ़ोतरी हो रही है।

2. आपसी हित में द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूती देंगे भारत और लाओस
• भारत और लाओस ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने पर जोर दिया है। दोनों देशों ने आपसी हितों के क्षेत्रों में और बेहतर सहयोग और साझीदारी की जरूरत बताई है।
• भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और लाओस के प्रधानमंत्री थोंगलून सीसोलिथ के बीच शुक्रवार को हुई द्विपक्षीय वार्ता में ये बातें निकलकर सामने आईं। स्वराज दो दिन की लाओस यात्रा पर हैं।
• विदेश मंत्रलय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि स्वराज और सीसोलिथ के बीच राजनीतिक वार्ताओं के जरिये आपसी संबंधों को मजबूत बनाने और व्यापार व निवेश बढ़ाने पर सहमति बनी है।
• स्वराज ने सीसोलिथ को भरोसा दिलाया कि लाओस की विकास और प्रगति की कोशिशों में भारत हमेशा उसके साथ होगा। उन्होंने लाओस में सड़क, कृषि व सिंचाई, आइटी, मानव संसाधन विकास जैसे बुनियादी क्षेत्रों के निर्माण में भारत की तरफ से आसान कर्ज का आश्वासन भी दिया।
• इससे पहले, विदेश मंत्री ने अपने समकक्ष सालेमएक्से कोम्मासिथ से मुलाकात की। स्वराज ने कोम्मासिथ के साथ द्विपक्षीय सहयोग पर भारत-लाओस संयुक्त आयोग की नौवीं बैठक की सह अध्यक्षता भी की।
• विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच कृषि, व्यापार एवं निवेश, रक्षा, शिक्षा, संस्कृति, सूचना प्रौद्योगिकी, ऊर्जा एवं खनन के क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने पर विस्तृत बातचीत भी हुई।

3. स्पेन के प्रधानमंत्री ने ब्रेक्जिट को नहीं मानने की बात दोहराई
• स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने ब्रिटेन की अपनी समकक्ष टेरीजा मे के साथ बैठक के बाद भी यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के लिए ब्रिटेन के मसौदा समझौते को अटकाने की अपनी धमकी दोहराई। गुरुवार को क्यूबा की यात्र पर पहुंचने के बाद सांचेज ने ट्वीट किया, ‘टेरीजा मे के साथ मेरी बातचीत के बाद भी हमारी स्थिति बहुत अलग है।
• मेरी सरकार हमेशा स्पेन के हितों की रक्षा करेगी। मसौदे में यदि कोई बदलाव नहीं हुआ, तो हम ब्रेक्जिट को स्वीकार नहीं करेंगे।’ स्पेन, यूरोपीय संघ और जिब्राल्टर के बीच ब्रेक्जिट के बाद के संबंधों पर प्रत्याभूत वीटो के अधिकार की मांग कर रहा है। जिब्राल्टर, स्पेन के दक्षिणी छोर से लगा ब्रिटेन का विदेशी अंत: क्षेत्र (एनक्लेव) है।
• स्पेन द्विपक्षीय आधार पर ब्रिटेन के साथ जिब्राल्टर के भविष्य पर बातचीत करने के अपने अधिकार को बनाए रखना चाहता है, जो उसे प्रभावी वीटो का अधिकार प्रदान करेगा। रविवार को मे यूरोपीय संघ के नेताओं के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने वाली हैं, लेकिन स्पेन के पास उसे रोकने का अधिकार है।

4. श्रीलंका में सिरिसेन को फिर झटका संसदीय समिति के गठन में हार
• श्रीलंका में राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन और महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व वाली शासन व्यवस्था को लगातार झटके लग रहे हैं। शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण संसदीय समिति के गठन में अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाले गठबंधन को जीत हासिल हुई।
• संसद की नवगठित समिति में विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाले गठबंधन के सदस्यों का बहुमत होने से सिरिसेन की पार्टी के सांसदों ने सदन का बहिष्कार कर दिया। वे समिति के गठन के सिलसिले में प्रस्ताव पेश करने की इजाजत देने के स्पीकर कारू जयसूर्या के कदम से नाराज थे।
• समिति के गठन के बाद स्पीकर ने संसद की कार्यवाही स्थगित कर दी, अब वह सोमवार को पुन: शुरू होगी।
• नवगठित शक्तिशाली संसदीय समिति में पांच सदस्य विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाले यूनाइटेड नेशनल फ्रंट के हैं जबकि एक-एक तमिल नेशनल एलायंस और जनता विमुक्ति पेरामुना के हैं।
• समिति के सदस्यों के नाम का एलान स्पीकर जयसूर्या ने किया। समिति के अध्यक्ष राष्ट्रपति होते हैं। संसद के इस ताजा घटनाक्रम से श्रीलंका का राजनीतिक संकट और ज्यादा गहरा गया है।
• संकट की शुरुआत 26 अक्टूबर को राष्ट्रपति सिरिसेन के विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर राजपक्षे को प्रधानमंत्री बनाए जाने से हुई थी। दोनों नेता खुद के प्रधानमंत्री होने का दावा कर रहे हैं। वैसे राजपक्षे अपने खिलाफ संसद में पेश अविश्वास प्रस्ताव हार चुके हैं लेकिन उन्होंने अपना पद नहीं छोड़ा है।
• जबकि विक्रमसिंघे 225 सदस्यों वाले सदन में बहुमत अपने साथ होने का दावा कर रहे हैं। सिरिसेन के नेतृत्व वाले यूपीएफए के वरिष्ठ सांसद दिनेश गुणवर्धना संसद में स्पीकर के आचरण की निंदा की है।

ECONOMY
5. पीसीए में रखे गए बैंकों का खुदरा ऋण चार फीसद बढ़ा
• भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) रूपरेखा के अंतर्गत रखे गए 11 सरकारी बैंकों की खुदरा कर्ज हिस्सेदारी पिछले चार साल में चार फीसद बढ़कर 19 फीसद हो गई।
• एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म जेफरीज के अनुसार आरबीआई ने पहली बार सितम्बर 2016 में बैंकों को पीसीए के तहत रखा था, जब उनका एनपीए बढ़कर तय नियामकीय सीमा के पार चला गया था। लेकिन मार्च 2015 से सितम्बर 2018 के बीच आंकड़े उनकी खुदरा ऋण हिस्सेदारी में वृद्धि दर्शाते हैं।
• मार्च 2015 में उनके कर्ज में खुदरा ऋण की हिस्सेदारी 15 फीसद थी जो सितम्बर 2018 में बढ़कर 19 फीसद हो गई है।फर्म ने रिपोर्ट में कहा कि अक्सर इस तरह की रिपोर्ट दी जाती है कि पीसीए के अंतर्गत रखे गए बैंकों को कर्ज वृद्धि की अनुमति नहीं होती है।
• हालांकि, यहां यह उल्लेखनीय है कि इन बैंकों का सकल कर्ज मार्च 2015 के बाद से 10 फीसद गिर गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन बैंकों के खुदरा और आवास ऋण क्रमश: 16 फीसद और 53 फीसद बढ़े हैं।

6. बैंकों को तय समय पर मिलेगी पूंजी की डोज
• वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालने के अपने कार्यक्रम में संभवत: कोई बदलाव नहीं करेगा। रिजर्व बैंक के बासेल-तीन नियमों को लागू करने की समय सीमा को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। इससे बैंकों की पूंजी जरूरत में कमी आई है।
• इसके बावजूद वित्त मंत्रालय सरकारी क्षेत्र के बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराने की योजना में कटौती नहीं हरेगा। सूत्रों के अनुसार रिजर्व बैंक के फैसले के बाद नई व्यवस्था के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूंजी मानकों को पूरा करने के लिए अब कम पूंजी की आवश्यकता होगी।
• सरकार की तरफ से पूंजी की जरूरत घटकर 15,000 से 20,000 करोड़ रपए रह जाने का अनुमान है। सूत्रों का कहना है कि बैंकों को बासेल तीन नियमों का अनुपालन अब मार्च 2020 तक करना होगा जबकि पहले यह समय सीमा मार्च 2019 रखी गई थी। इस नियम के तहत बैंकों को 2.5 फीसद ‘‘पूंजी सुरक्षा कोष’ (सीसीबी) की शर्त मार्च 2020 तक पूरी करनी होगी। फिलहाल सीसीबी 1.875 फीसद है।
• पूंजी डाले जाने से बैंकों की वित्तीय सेहत मजबूत होगी। कुछ बैंकों को जहां जरूरी नियामकीय पूंजी मिलेगी वहीं अन्य को वृद्धि को गति देने के लिए पूंजी मिलेगी। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के आंकलन के अनुसार बासेल-तीन के तहत सीसीबी की अंतिम किस्त के क्रियान्वयन की समयसीमा बढने से चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर बोझ 35,000 करोड़ रपए कम होगा।
• सूत्रों के अनुसार सामान्य रूप से बैंक पूंजी का 10 गुना कर्ज देते हैं, ऐसे में उनकी कर्ज देने की क्षमता 3.5 लाख करोड़ रपए तक बढ़ जाएगी।

7. 11 सरकारी बैंकों में रिटेल लोन की हिस्सेदारी 4% बढ़ी
• रिजर्व बैंक ने जिन 11 सरकारी बैंकों को पीसीए श्रेणी में रखा है, उनके कुल कर्ज में रिटेल कर्ज की हिस्सेदारी चार साल में 4% बढ़ी है। यह 15% से 19% पर पहुंच गया है। ब्रोकरेज फर्म जेफरीज की रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई ने सितंबर 2016 में पहली बार बैंकों को उस समय प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क में रखा जब इनके फंसे कर्ज (एनपीए) बढ़कर तय सीमा के पार चले गए थे। लेकिन मार्च 2015 से सितंबर 2018 के बीच इनके कुल लोन में रिटेल लोन की हिस्सेदारी वृद्धि को दर्शाते हैं।
• मार्च 2015 में रिटेल लोन की हिस्सेदारी 15% थी। यह सितंबर 2018 में बढ़कर 19% पर पहुंच गई है। जबकि खुदरा कर्ज में होम लोन की हिस्सेदारी 46% से बढ़कर 61% पर पहुंच गई है।
• वित्त मंत्रालय सरकारी बैंकों में पूंजी डालने के अपने कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं करेगा। रिजर्व बैंक ने बेसल-3 नियमों को लागू करने की समय-सीमा एक साल बढ़ाकर 31 मार्च 2020 कर दी है। सूत्रों के मुताबिक इससे बैंकों की पूंजी की जरूरत में कमी आई है। लेकिन मंत्रालय अपनी ने योजना में कटौती नहीं करने का फैसला किया है।

PERSONALITY
8. हिमांशु जोशी
• सातवें दशक के चर्चित कथाकार एवं जाने-माने पत्रकार हिमांशु जोशी का बृहस्पतिवार रात लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। उत्तराखंड में चंपावत जिले के ज्योस्यूडा गांव में चार मई 1935 को जन्मे जोशी ने ‘‘कगार की आग’, ‘‘छाया मत छूना’ मन तथा ‘‘तुम्हारे लिए’ जैसे उपन्यासों से हिंदी साहित्य जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई थी और वह अपने लेखन से काफी लोकप्रिय हुए।

Source of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)

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