आज का प्रेरक प्रसंग
संगत का प्रभाव’
एक बार, पंचाल देश के राजा शिकार्र करते हुए , पर्वतप्रदेश में आ पहुंचे | शिकार का पीछा करते – करते राजा थक गए थे, इसलिए वह एक झरने के पास पेड़ के नीचे बिछौना बिछाकर लेट गए | राजा ने अपने आखें बंद कर ली |
कुछ ही दूरी पर निकट के गॉंव का एक आदमी बैठा हुआ था , वह भी घने वृक्षों की छांव में सुस्ता रहा था | इसी समय उस आदमी के ऊपर वृक्ष से एक तोते की आवाज आई … “चुपचाप क्यों बैठे हो ? मालदार आदमी है | इसके आभूषण, मुकुट, हार आदि छीन लो, इसे मारकर लाश इसी झरने में डाल देना |”
वह आदमी घबरा कर बोला “चुप बे ! यह राजा है इस देश का |” वह आदमी अपने राजा को पहचानता था |
मूर्ख है, हाथ आया आसामी छोड़ रहा है | चूको मत, जाने न पाए |” वह तोता फिर बोला |
राजा सोया नहीं था | वह तोता को आदमी की आवाज में बोलता देख कर मन में डरा कि कहीं मायावी पर्वत पर तो नहीं आ गया | वह उठा और संशकित हुआ वहां से चल दिया |
तोता राजा को जाता देखकर चिल्लाया “दौड़ो, पकड़ो ! जाने न पाए, धनुष – बाण फेकों, इसका पीछा करो |”
राजा तेजी से निकल गया | तोता चिल्लाता रह गया | राजा को आगे एक आश्रम दिखा | राजा ने आश्रम देखकर अपना घोड़ा रोका | वह आश्रम में जैसे ही अन्दर प्रविष्ट हुआ कि फिर मानव बोली में एक तोता स्वागत करता हुआ बोला |
“सवागत है श्रीमान्, पधारिये | इस ऋषि आश्रम में आपका अति अभिनन्दन है | हमें प्रसन्नता है, वहाँ सामने घड़े में शुद्ध जल और उस थाली में कुछ फल हैं, आप प्रेमपूर्वक जलपान ग्रहण करें | अभी मुनिवर आते ही होंगे | आप तब तक थकावट मिटायें…वहाँ आसन पर विराजमान हों |”
राजा तोते की मीठी वाणी सुनकर दंग रह गया | राजा कहने लगा उस जंगली तोते और इस आश्रम के तोते में कितना अन्तर है | वह ‘पकड़ो जाने न पाये, सब कुछ छीन लो, मार डालो” की रट लगाये था और यह……राजा बडबडाकर उस मृदुभाषी तोते को देखने लगा |
तभी तोता बोला……”महाराज ! यह सब संगति का प्रभाव है | आप जिस जंगली तोते की बात कर रहे हैं, वह मेरा सगा और जुड़वा भाई है | एक बार आँधी आई और और बचपन में हम दोनों बिछड़ गए | दुर्भाग्य से वह नीच और चोर लुटेरों की कुसंगति में पड गया और सौभाग्य से मैं ऋषि मुनियों की सुसंगति में |” राजा तोते की बाते सुनकर अतिप्रसन्न हो गया | और कुछ देर वहाँ विश्राम करके अपनी राजधानी वापस लौट गया |
Moral of the Story : इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि अच्छे लोगों के साथ अच्छी बातें और बुरों के साथ बुरी बातें ही सीखने को मिलती है |