ताजमहल के रोचक तथ्य:
शाहजहां ने अपनी तीसरी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल को बनवाने का निर्णय 1631 में लिया।
मुमताज, बच्चे को जन्म देने के दौरान चल बसी थी। कहा जाता है कि शाहजहां कुछ ऐसा करना चाहते थे जो कभी किसी ने अपनी प्रियतमा के लिए न किया हों।
शाहजहां ने अपनी तीसरी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल को बनवाने का निर्णय 1631 में लिया।
मुमताज, बच्चे को जन्म देने के दौरान चल बसी थी। कहा जाता है कि शाहजहां कुछ ऐसा करना चाहते थे जो कभी किसी ने अपनी प्रियतमा के लिए न किया हों।
ताजमहल को बनाने की शुरूआत 1632 में हुई और इसे बनाने में 22 साल का समय लग गया। कुल 22000 कलाकारों और चित्रकारों ने काम किया और 1653 में इसे बनाकर तैयार कर दिया। उस समय ताजमहल को बनाने में 32 मिलियन का खर्च आया था। ताजमहल के आर्किटेक्ट का नाम अहमद लाहौरी था। इसे बनाने में 1000 हाथियों को इस्तेमाल में लाया गया, जो पत्थर ढोने का काम करते थे। शाहजहां चाहते थे कि उनकी बेगम की याद में जो स्मारक बना है उसकी नकल कभी कोई न कर पाएं। इसलिए उन्होने कलाकारों के अंगूठों को कटवा दिया। लेकिन इसके बदले उन्होने भारी कीमत अदा की थी।
इस स्मारक में एक मुख्य हॉलनुमा स्थल है जिसके चारों चार गुम्बदें हैं। पूरा ताजमहल संगमरमर से ही निर्मित है। 17 हेक्टेयर में बना यह स्मारक, बेहद सुंदर है जिसकी संरचना मुस्लिम धर्म के वास्तु के हिसाब बनाई गई है। कहते हैं कि इसमें लगा हुआ संगमरमर, राजस्थान, चीन, अफगानिस्तान और तिब्बत से आया था। 28 तरह के बेशकीमती पत्थर इसमें जड़े हुए हैं।
ताजमहल में कई आयतों को लिखा गया है, जो कि अरबी भाषा में हैं। कैलीग्राफ का इस्तेमाल भी ताजमहल में देखने को मिलता है। अल्लाह के 99 विभिन्न नामों को ताजमहल में गुम्बद की ओर पत्थर पर उकेरा गया है।
जिस तरह सफेद संगमरमर का ताजमहल शाहजहां ने अपनी बेगम के लिए बनवाया था, वैसा ही ताजमहल वह अपने लिए काले संगमरमर का बनवाना चाहते थे, वो भी नदी के उस पार। लेकिन उनके बेटे ने उन्हे ऐसा करने से रोक दिया और न मानने पर उन्हे बंदी बना लिया।
ताजमहल का रंग, प्रदूषण और अन्य कारकों के चलते बदल सा गया है। सफेद से हल्का गुलाबी हो गया है। लेकिन ताजमहल के रंग पर चंद्रमा की रोशनी का प्रभाव भी पड़ता है, चंद्रमा की स्थिति के हिसाब से ताजमहल की रंगत बदलती रहती है। पूर्णिमा के दिन यह हल्का सुनहरा चमकता है। ताजमहल को 1857 में एक हमले में थोड़ा नुकसान झेलना पड़ा। लेकिन लॉर्ड कर्जन ने इसे 1908 में दुबारा सही करवा दिया, क्योंकि तब तक इसे विश्व भर में ख्याति मिल चुकी थी।
कहा जाता है कि ताजमहल, भगवान शिव के मंदिर के स्थान पर बनवाया गया है, जिसे राजा परमार देव ने बनवाया था और इसका नाम तेजो महालया था। इस मंदिर पर मुगल शासकों ने कब्जा कर लिया था और उन्होने अपने ढंग से इसे बनवाया। यह बात अभी तक रहस्य ही बनी हुई है लेकिन ताजमहल, अब दुनिया के अजूबों में से एक है और यहां साल लाखों पर्यटक सैर करने आते हैं।
ताजमहल की नींव में एक विशेष प्रकार की लकड़ी का प्रयोग हुआ है जो कि अब यमुना के जलस्तर कम होने के कारण सूखती जा रही है, जिसके कारण ताजमहल के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। ताजमहल के निर्माण के लिए आठ देशों से सामग्री मंगाई गई थी।
बढ़ते प्रदूषण की वजह से ताजमहल की सफेदी पर असर हो रहा है। इसलिए उसके कुछ हिस्सों पर मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाया गया लेकिन रंग पर असर नहीं हुआ।
ताजमहल को दुनिया के आठ अजूबों में शामिल करने के लिए पूरे दुनिया में वोटिंग हुई थी, ताजमहल को इतने वोट मिले जिसके चलके यह दुनिया का पहला अजूबा बन गया।
ताजमहल फारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के घटकों का अनोखा संगम है। इसी के चलके यूनेस्को ने साल 1983 में विश्व धरोहर घोषित किया था।