दैनिक समसामयिकी – 29 October 2018(Monday)
➡ INTERNATIONAL/BILATERAL
1.मोदी और एबी की मुलाकात से संबंधों को मिली नई ऊंचाई
• जापान दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबी की मुलाकात से दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाई मिली है। दोनों नेताओं के हावभाव और व्यवहार में गर्मजोशी साफ दिख रही थी। पीएम बनने के बाद से मोदी और एबी के बीच यह 12वीं मुलाकात है।
• जापान के पीएम एबी ने यामानशी के होटल माउंट फुजी में मोदी का स्वागत किया। उन्होंने मोदी को सबसे भरोसेमंद दोस्तों में से एक बताया है। प्रधानमंत्री मोदी 13वें भारत-जापान वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे हैं।
• रविवार को शुरू हुए दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन दोनों नेताओं ने करीब आठ घंटे का वक्त एक-दूसरे के साथ बिताया। इस दौरान उनके बीच कई मुद्दों पर अनौपचारिक बातचीत हुई।
• शाम को एबी ने लेक कावागुची स्थित अपने निजी विला में मोदी के लिए विशेष रात्रिभोज का आयोजन किया। यह पहला मौका है जब एबी ने अपने निजी हॉलीडे होम में किसी विदेशी राजनेता को आमंत्रित किया।
• जापान रवाना होने से पहले अपने संदेश में मोदी ने कहा था कि आर्थिक और प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण में भारत के लिए जापान सबसे भरोसेमंद भागीदार है। पिछले कुछ वर्षो में जापान के साथ रिश्तों में व्यापक बदलाव हुआ है।
• भेंट किए हस्तनिर्मित उपहार : पीएम मोदी ने अपने जापानी समकक्ष शिंजो एबी को कलात्मक दरियां और पत्थर के दो हस्तनिर्मित कटोरेनुमा पात्र उपहार स्वरूप भेंट किए। ये पात्र राजस्थान से मिलने वाले विशेष गुलाबी व पीले क्वाट्र्ज से बनाए गए हैं।
2. सीरिया शिखर सम्मेलन में संघर्ष विराम पर जोर
• सीरिया के मुद्दे पर र्चचा के लिए इस्तांबुल में चार पक्षीय शिखर सम्मेलन में तुर्की, रूस, फ्रांस और जर्मनी के नेताओं ने सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे वाले इदलिब में जारी संघर्ष विराम की सुरक्षा करने का आह्वान किया है। शिखर सम्मेलन के अंत में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एदरेगन द्वारा पढ़े गए एक बयान के मुताबिक चारों देशों ने स्थायी संघर्ष विराम के महत्व पर जोर दिया।
• तुर्की के राष्ट्रपति एदरेगन, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, जर्मनी की चांसलर एजेंला मर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने सीरियाई संघर्ष को खत्म करने के लिए स्थायी समाधान निकालने के वास्ते मुलाकात की। सीरियाई संघर्ष में 2011 से अब तक 3,60,000 से अधिक लोग मारे गए हैं।
• मैक्रॉन ने राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार का समर्थन करने वाले रूस से इदलिब में स्थायी संघर्ष विराम के लिए दमिश्क पर स्पष्ट दबाव बनाने का आग्रह किया। विद्रोहियों को समर्थन दे रहे तुर्की ने पिछले महीने इदलिब के चारों ओर एक बफर क्षेत्र बनाने के लिए रूस के साथ सहमति व्यक्त की थी।
• चारों देशों के प्रमुखों ने शिखर सम्मेलन के अंत में संयुक्त बयान जारी करके युद्ध प्रभावित सीरिया में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का मार्ग प्रशस्त करने के लिए इस वर्ष के अंत से पहले नए सीरियाई संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए समिति गठित करने पर सहमति जताई।
• बयान में कहा गया कि सीरिया में सभी जरूरतमंद लोगों तक पहुंचने और उन्हें तत्काल सहायता के लिए मानवतावादी संगठनों की स्थापना की आवश्यकता है।
3. श्रीलंकाई संसद के स्पीकर ने विक्रमसिंघे को ही माना प्रधानमंत्री
• श्रीलंका की संसद के स्पीकर कारु जयसूर्या ने संकट में घिरे रानिल विक्रमसिंघे को बड़ी राहत देते हुए रविवार को उन्हें देश के प्रधानमंत्री के तौर पर मान्यता दे दी। गौरतलब है कि यूएनपी नेता विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था।
• सिरीसेना को लिखे एक पत्र में जयसूर्या ने 16 नवंबर तक सदन को निलंबित करने के उनके फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इससे देश को ‘‘गंभीर एवं अवांछनीय’ परिणाम भुगतने पड़ेंगे। उन्होंने राष्ट्रपति से विक्रमसिंघे को सरकार के नेता के तौर पर मिले विशेषाधिकार फिर से बहाल करने को कहा।
• विक्रमसिंघे के बारे में उन्होंने कहा कि उन्होंने ‘‘लोकतंत्र एवं सुशासन कायम करने के लिए जनादेश हासिल किया है।’ संसद के स्पीकर ने कहा कि संसद को निलंबित करने का फैसला स्पीकर के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया जाना चाहिए। जयसूर्या ने कहा, ‘‘16 नवंबर तक संसद भंग रखने से हमारे देश को गंभीर एवं अवांछनीय परिणाम भुगतने होंगे और मैं आपसे विनम्र आग्रह करता हूं कि इस पर फिर से विचार करें।’
• उन्होंने कहा, ‘‘मेरे विचार से यह मेरा कर्तव्य है कि मैं आपका ध्यान उस प्रक्रिया की तरफ आकर्षित करूं, जिसके तहत संसद स्थगित करने का फैसला अध्यक्ष के परामर्श से लिया जाना चाहिए।’ अध्यक्ष ने विक्रमसिंघे की सुरक्षा वापस लेने के सिरीसेना के फैसले पर भी सवाल उठाए।
4. भारत-अमेरिका सब्सिडी विवाद पर डब्ल्यूटीओ ने किया समिति का गठन
• निर्यात सब्सिडी की कुछ योजनाओं पर संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) और भारत के बीच वार्ता स्तर पर विवाद नहीं सुलझने के बाद विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की विवाद निपटारा शाखा ने एक समिति गठित कर दी है। एक अधिकारी ने कहा कि विवाद समिति के गठन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। कार्य की प्रक्रिया और कार्यवाही की समय सारणी वितरित की जा चुकी है।
• अमेरिका ने भारत की कुछ निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं पर लगाए गए आरोपों की जांच के लिए विवाद समिति गठित करने की मांग की थी। इस वर्ष मार्च में अमेरिका ने निर्यात सब्सिडी को लेकर भारत के खिलाफ डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटारा प्रक्रिया में शिकायत की थी। अमेरिका का आरोप है कि भारत के इन प्रोत्साहनों से अमेरिकी कंपनियों को नुकसान हो रहा है।
• मर्चेडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम जैसी भारत की निर्यात सब्सिडी योजनाओं को अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ में चुनौती दी है। अमेरिका का कहना है कि इन योजनाओं के कारण असमान परिस्थितियां पैदा होती हैं, जिनसे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होता है।
• वार्ता प्रक्रिया के दौरान अमेरिका ने आरोप लगाया था कि भारत ने सब्सिडी देना जारी रखा है और इनका आकार और दायरा भी बढ़ा दिया है। दूसरी ओर भारत ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि अमेरिका ने इस मामले में समिति गठित करने का अनुरोध किया। भारत का मानना है कि 11 अप्रैल को हुई द्विपक्षीय वार्ता रचनात्मक रही थी।
• गौरतलब है कि डब्ल्यूटीओ के तहत वार्ता की मांग करना विवाद निपटारा प्रक्रिया का पहला कदम है। यदि दो देश वार्ता प्रक्रिया के जरिए समझौते पर नहीं पहुंच पाते हैं, तो शिकायतकर्ता मामले की जांच के लिए डब्ल्यूटीओ के तहत विवाद निपटारा समिति के लिए अनुरोध कर सकता है।
5. कतर ने विदेशी कामगारों को देश छोड़ने से जुड़े नियमों में राहत दी
• कतर में विदेशी कामगारों को अब देश छोड़ने से पहले अपने नियोक्ता से मंजूरी नहीं लेनी होगी। यह नियम रविवार से लागू हो गया। देश की विवादास्पद एक्जिट वीजा प्रणाली में छूट देने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। सरकार के इस फैसले से बड़ी संख्या में भारतीय भी लाभान्वित होंगे। कतर में करीब साढ़े आठ लाख भारतीय हैं।
• सितंबर में किया था एलान : कतर ने सितंबर में ही वीजा प्रणाली से जुड़े पुराने कानून को रद करने का एलान कर दिया था। यह प्रणाली आधुनिक दासता के तौर पर देखी जा रही थी।
• ये हैं नए नियम : नए नियम के मुताबिक, किसी कंपनी के पांच फीसद विशेष रूप से वरिष्ठ पदों पर कार्यरत कर्मचारी बिना नियोक्ता की पूर्व अनुमति के छुट्टी ले सकते हैं। जिन्हें किसी वजह से अनुमति नहीं मिलती है वह अपनी शिकायत प्रवासी निकास शिकायत समिति में दर्ज करा सकते हैं।
• यह समिति तीन दिनों के भीतर उनकी शिकायत पर निर्णय लेगी। कतर ने पिछले साल नवंबर में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) के साथ तीन साल के लिए श्रम सुधार से जुड़े मामले में समझौता किया था। कतर में वर्ष 2022 में फुटबॉल विश्व कप होना है। इसके चलते श्रम सुधारों को लेकर कतर दबाव में है।
➡ ECONOMY
6. डूबे कर्ज में से बैंकों को वापस मिल जाएंगे Rs1.80 लाख करोड़
• दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत कार्रवाई ये सरकार को चालू वित्त वर्ष में बैंकों के 1.80 लाख करोड़ रपए से अधिक के डूबे कर्ज की वसूली की उम्मीद है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि आईबीसी के तहत कुछ बड़े खातों का निपटान किया जा रहा है और कुछ अन्य का निपटान किया जाना है।
• अधिकारी ने एस्सार स्टील और भूषण पावर एंड स्टील जैसे कुछ निपटान मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि सफलता की जो दर हासिल हो रही है उससे हमें उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में आईबीसी और अन्य तरीकों से 1.80 लाख करोड़ रूपये से अधिक का डूबा कर्ज वसूला जा सकेगा जो हमारे लक्ष्य से अधिक है।
• भारतीय रिजर्व बैंक ने दिवाला प्रक्रिया के लिए जो 12 गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के मामले भेजे हैं, बैंकों को उनसे ही एक लाख करोड़ रपए से अधिक की वसूली की उम्मीद है। बैंकों ने 2018-19 की पहली तिमाही में 36,551 करोड़ रूपये की वसूली की है। 2017-18 में बैंकों ने कुल 74,562 करोड़ रपए की वसूली की थी।
• आईबीसी की प्रगति से संतुष्ट वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि अब लोग व्यापक रूप से समझ चुके हैं कि भारत में खेल के नियम बदल चुके हैं। अब बैंक आपका पीछा नहीं करेंगे, आपको उनके पीछे भागना होगा। इसकी वजह से वसूली बढ़ी है।
• उन्होंने कहा कि वसूली सिर्फ राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में निपटान की वजह से नहीं बढ़ी है, बल्कि इसमें इस डर की वजह से भी तेजी आई है कि यदि वे लाल रेखा लांघेंगे तो उन्हें आईबीसी के तहत दंडित किया जा सकता है।
• इन 12 मामलों की सूची में दो बड़े मामले एस्सार स्टील और भूषण पावर एंड स्टील निपटान के अंतिम चरण में थे। वहीं बिनानी सीमेंट और जेपी इन्फाट्रेक के मामले भी प्रक्रिया में हैं। बैंकों को उम्मीद है कि एस्सार स्टील के 49,000 करोड़ रपए के ऋण मामले में वे करीब 86 प्रतिशत की वसूली कर पाएंगे।
• आर्सेलरमित्तल ने एस्सार स्टील के लिए कुल 50,000 करोड़ रपए की पेशकश की है। इसमें 8,000 करोड़ रूपये का पूंजी निवेश भी शामिल है। शुरू में भूषण पावर एंड स्टील के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील ने 11,000 करोड़ रपए, टाटा स्टील ने 17,000 करोड़ रूपये और लिबर्टी हाउस ने 18,500 करोड़ रूपये की बोली लगाई थी।
➡ ENVIRONMENT
7. खतरे में बुग्यालों की दुर्लभ वनस्पति
• हिमालयी बुग्यालों (मखमली घास के मैदान) में भी जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। डीआरडीओ दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एसपी सिंह के शोध में यह बात सामने आई है। शोध के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण अब बुग्यालों में भी निचले क्षेत्र के पेड़ उगने लगे हैं। इससे बुग्यालों में पाई जाने वाली दुर्लभ वनस्पतियां खतरे की जद में आ गई हैं। इस पर ठोस कार्ययोजना बनाकर ही रोक लगाई जा सकती है।
• गढ़वाल विश्वविद्यालय के स्वामी रामतीर्थ परिसर बादशाहीथौल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में यह शोध पत्र प्रस्तुत किया गया। कहा गया है कि पहले मानवीय दखल के चलते बुग्यालों की दुर्लभ वनस्पति खतरे की जद में थी, लेकिन अब बुग्यालों में उगने वाले निचले क्षेत्र के पेड़-पौधों ने वहां संपूर्ण परिवेश के लिए खतरा पैदा कर दिया है।
• प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि समुद्रतल से नौ हजार से 12 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित बुग्यालों में दुर्लभ औषधीय वनस्पतियां पाई जाती हैं। ये कई तरह की असाध्य बीमारियों के उपचार में काम आती हैं। अब इन वनस्पतियों का अस्तित्व भी मौसम परिवर्तन के कारण खतरे में पड़ गया है। इससे वहां पाए जाने वाले वन्य जीवों की दिनचर्या पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
• अगर इसी तेजी के साथ निचले क्षेत्र को पेड़-पौधे बुग्यालों में उगते रहे तो बुग्यालों का अस्तित्व मिटने में देर नहीं लगने वाली। प्रो. सिंह के अनुसार इस स्थिति पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाकर कार्य करना होगा। तभी बुग्याल बचे रह सकते हैं।
Source of the News (With Regards):- compile by Dr Sanjan,Dainik Jagran(Rashtriya Sanskaran),Dainik Bhaskar(Rashtriya Sanskaran), Rashtriya Sahara(Rashtriya Sanskaran) Hindustan dainik(Delhi), Nai Duniya, Hindustan Times, The Hindu, BBC Portal, The Economic Times(Hindi& English)