Daily News Summary of 01-12-2018 in details in Hindi
दैनिक समसामयिकी – 01 December 2018(Saturday)
➡ INTERNATIONAL/BILATERAL
1.वैश्विक तनाव की छाया में जी20 शुरू
• जी20 देशों की दो दिवसीय शिखर वार्ता की शुक्रवार को शुरुआत हुई। इस पर रूस के साथ अमेरिका के तनाव और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार और जलवायु को लेकर आक्रामक रुख का प्रभाव साफ नजर आ रहा है। यूक्रेन विवाद, चीन के साथ व्यापार विवाद और सऊदी अरब के साथ रिश्तों समेत दुनिया के तमाम दूसरे मुद्दों को लेकर भारी तनाव के बीच दुनिया भर के नेताओं के साथ ट्रंप और उनके रूसी समकक्ष व्लादीमीर पुतिन भी इस सम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं।
• रूस द्वारा यूक्रेन के जहाजों और नाविकों को बंधक बनाए जाने की हाल की घटना का हवाला देकर ट्रंप द्वारा पूर्वनियोजित बैठक अचानक रद्द किए जाने के बाद दोनों एक साथ नहीं बैठेंगे। इस पर क्रेमलिन ने कहा कि जी 20 शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ वार्ता रद्द करने का अमेरिका के राष्ट्रीय डोनाल्ड ट्रंप का फैसला अफसोसजनक है।
• पुतिन के प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने रूसी समाचार एजेंसियों को बताया, ‘‘‘‘हमें अफसोस है कि अमेरिकी प्रशासन ने बातचीत रद्द कर दी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘‘‘इसका मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय एवं द्विपक्षीय एजेंडा को लेकर अहम मुद्दों पर र्चचा अनिश्चितकाल के लिए टल जाएगी।’’
• उन्होंने कहा, ‘‘‘‘पुतिन अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ संपर्क करने के लिए तैयार हैं।’’यूक्रेनी जहाज को लेकर पुतिन के साथ अपनी तय बैठक को रद्द करने के बाद ट्रंप ब्यूनस आयर्स पहुंचे। ट्रंप ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘‘‘जितनी जल्द से जल्द हो सके यह स्थिति सुलझे, मैं एक बार फिर सार्थक सम्मेलन की उम्मीद कर रहा हूं।’’ उनका फैसला ऐसे वक्त आया, जब ट्रंप के चुनाव अभियान में रूसी भूमिका की जांच में तेजी आई है।
• रूस ने कहा कि ट्रंप के बैठक को रद्द करने के फैसले का उसे ‘‘अफसोस’ है। ट्रंप का लक्ष्य इस सम्मेलन की शुरुआत उत्तरी अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौता एनएएफटीए के बाद आने वाले अमेरिका-मैक्सिको-कनाडा समझौते (यूएसएमसीए) पर वार्ताकारों के हस्ताक्षर के माध्यम से ‘‘अमेरिका प्रथम’ के अपने व्यापार एजेंडे की जीत के साथ करने का है।
• संकटग्रस्त अर्जेंटीना में विश्व नेताओं की लंबी-चौड़ी बातों के खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने विशाल रैलियां निकालने की बात कही है। अज्रेटीना में हाल में प्रतिद्वंद्वी फुटबॉल समर्थकों के बीच की ¨हसा से अशांति नियंत्रित करने की पुलिस की क्षमता पर सवाल खड़ा हो गया है।
2. जी-20 में पीएम मोदी ने उठाया भगोड़ों के खिलाफ कार्रवाई का मुद्दा, पेश किया 9 सूत्री एजेंडा
• जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा लूटकर विदेश भागने वालों के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 सम्मेलन में एक 9 सूत्री एजेंडा पेश किया है। इसके साथ ही पीएम ने जी-20 सदस्य देशों से आर्थिक अपराध कर भागने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए सहयोग की भी मांग की है। मोदी ने समिट के दूसरे सेशन में इस बारे में जिक्र किया।
• मोदी ने कहा, “वित्तीय घोटालेबाजों और भगोड़ों के खिलाफ भी मिलकर काम करने की जरूरत है. यह समस्या वैश्विक वित्तीय स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा बन सकती है.” जिसके बाद भारत ने आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जी 20 सम्मेलन में 9 प्वाइंट्स का एजेंडा पेश किया।
• प्रधानमंत्री ने जी-20 देशों से ऐसे भगौड़ों से निपटने के लिए एक ऐसा ढांचा तैयार करने की अपील की जिससे कि ऐसे आर्थिक अपराधियों के लिए भागकर विदेश में छिप जाना आसान न रहे।
• इस दौरान पीएम ने कहा, ‘अपराध होने से रोकना, अपराधियों की जल्दी वापसी और अपराध की आय के प्रत्यावर्तन जैसी कानूनी प्रक्रियाओं में सहयोग को बढ़ाया और सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए
• प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यूएनसीएसी (United Nations Convention Against Corruption) और यूएनओटीसी (United Nations Convention Against Transnational Organized Crime) के अंतरराष्ट्रीय सहयोग संबंधी सिद्धातों को पूर्ण और प्रभावी रूप से लागू किया जाना चाहिए’
• भारत ने यह भी सुझाव दिया कि इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढावा देने के लिए एक वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (FATF) का गठन किया जाना चाहिए जोकि सक्षम प्राधिकरणों और वित्तीय खुफिया इकाइयों को समय रहते जानकारी उपलब्ध कराए ताकि कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।
• एजेंडे के मुताबिक, ‘एफएटीएफ को भगोड़ा आर्थिक अपराधियों की मानक परिभाषा तैयार करने के लिए कार्य करना चाहिए। इसके अलावा एफएटीएफ को जी-20 देशों को घरेलू कानून के तहत, भगोड़ा आर्थिक अपराधियों की पहचान, प्रत्यर्पण और न्यायिक कार्यवाही से संबंधित प्रक्रियाओं से निपटने के मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने के लिए मानकीकृत प्रक्रियाओं का एक सेट भी विकसित करना चाहिए।’
• इसके अलावा भारत ने प्रत्यर्पण के सफल मामलों सहित अनुभवों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए एक साझा मंच की स्थापना की भी वकालत की। यह भी कहा गया कि जी -20 फोरम को ऐसे आर्थिक अपराधियों की संपत्ति का पता लगाने पर काम शुरू करने पर विचार करना चाहिए, जिनके सिर पर उनके देश में भारी कर्ज है, ताकि वसूली की जा सके।
• बता दें कि भारत से अब तक कई लोग पैसा लेकर विदेश भाग चुके हैं। इनमें प्रमुख नाम विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी का है। विजय माल्या इस वक्त लंदन में रह रहा है। भारत की ओर से उसके प्रत्यर्पण के प्रयास जारी हैं। वहीं, नीरव मोदी ने एंटीगुआ की नागरिकता ले ली है।
3 . ‘‘नियम आधारित विश्व व्यवस्था बनाने की अगुवाई करे ब्रिक्स’
• प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व राजनीति के मंच पर ब्राजील, रूस, भारत, चीन एवं दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) की महत्ता को नई ऊंचाई देने के मकसद से सदस्य देशों का शुक्रवार को आह्वान किया कि वे नियम आधारित विश्व व्यवस्था सुनिश्चित करने की अगुवाई करें और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित सभी मंचों पर विकासशील देशों को प्रतिनिधित्व दिए जाने का मुद्दा एक सुर से उठाएं।
• मोदी ने यहां आतंकवाद और कट्टरवाद को विश्व शांति एवं आर्थिक विकास के समक्ष बड़ी चुनौती बताया और इससे मुकाबले के लिए ब्रिक्स एवं जी-20 देशों को मिलकर काम करने की जरूरत पर बल दिया।
• उन्होंने कहा कि बहुपक्षवाद और नियम-आधारित विश्व-व्यवस्था के सामने निरंतर कठिनाइयां आ रही हैं और संरक्षणवाद बढ़ रहा है।
• उन्होंने कहा, ‘‘‘‘हमें संयुक्त राष्ट्र और इसकी सुरक्षा परिषद सहित बहुपक्षवादी संस्थाओं में विकासशील देशों को और अधिक प्रतिनिधित्व दिए जाने पर एक सुर में बात करनी चाहिए। यह वही मकसद है जिसके लिए हम ब्रिक्स में एक साथ आए हैं।’ मोदी ने कहा कि हम ब्रिक्स देश नई औद्योगिक क्रांति में सहयोग करने के लिए उत्सुक हैं।
• इस संदर्भ में वैश्वीकरण और आव्रजन के विषयों को बेहतर बहुपक्षीय समन्वय और सहयोग के द्वारा संबोधित करना होगा।
4. मोदी ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र को दिलाया भरोसा
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात की। दोनों ने नियंतण्र स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की भूमिका पर र्चचा की। इस मुलाकात के दौरान मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को आश्वस्त किया कि भारत अगले हफ्ते पोलैंड में जलवायु परिवर्तन पर होने वाली वार्ता में ‘‘उचित और जिम्मेदार’ भूमिका निभाएगा।
• विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के साथ प्रधानमंत्री की र्चचा का मुख्य विषय पोलैंड के केटोवाइस में तीन दिसंबर से होने जा रही सीओपी24 जलवायु परिवर्तन बैठक रहा। गोखले ने कहा, ‘‘‘‘महासचिव ने कहा है कि भारत जलवायु परिवर्तन वार्ताओं में प्रमुख भूमिका निभाता है।
• उन्होंने स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में कई ठोस उपाए किए हैं।’’ विदेश सचिव ने कहा, ‘‘‘‘उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का जिक्र किया। महासचिव ने यह भी कहा है कि पिछले महीने जब वह दिल्ली में थे तो उन्होंने खुद देखा था कि स्वच्छ भारत अभियान सहित प्रधानमंत्री की अगुवाई वाले अभियानों पर्यावरण पर कैसा असर हुआ है।’’
• गुतारेस ने उम्मीद जताई कि भारत विकसित देशों और विकासशील देशों के विभिन्न समूहों को साथ लाएगा, ताकि वे किसी ऐसे समाधान को सामने लाएं जिसे 2019 में उस जलवायु पर्वितन शिखर सम्मेलन में शामिल किया जा सके जिसे 2019 में आयोजित करने की योजना संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा बनाई जा रही है।
• गोखले ने कहा, ‘‘‘‘मुलाकात अच्छी रही। प्रधानमंत्री ने महासचिव को आास्त किया कि भारत जलवायु परिवर्तन वार्ता में अहम भूमिका निभा रहा है और पर्यावरण संरक्षण भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का हिस्सा है। उन्हें आश्वस्त किया गया कि भारत सीओपी24 में अपनी उचित जिम्मेदारी निभाएगा।’’
5. ब्रिटेन में नए हथियार विधेयक में संशोधन को मंजूरी
• ब्रिटेन की सरकार ने नए हथियार विधेयक में संशोधन को मंजूरी दे दी है, जिससे यह ब्रिटेन के सिख समुदाय के कृपाण या धार्मिक तलवार रखने, उसकी आपूर्ति करने के अधिकार को प्रभावित नहीं करे। इस विधेयक को अब संसद की मंजूरी का इंतजार है।
• संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में दी ऑफेंसिव वेपन्स बिल 2018 पर इस हफ्ते र्चचा पूरी हो चुकी है। अब यह मंजूरी के लिए उच्च सदन हाउस ऑफ लॉर्डस में जाएगा।विधेयक में कुछ हथियारों को सार्वजनिक रूप से रखने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
• यह कुछ हथियारों और वस्तुओं की ऑनलाइन बिक्री पर भी नई पाबंदियां लगाता है। यह कदम देश में लगातार हो रहे चाकू और एसिड से जुड़े हमलों के खिलाफ उठाया गया है। ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘‘‘कृपाण के मुद्दे पर सिख समुदाय के साथ हम करीब से मिलकर काम कर रहे हैं।
• इसी का परिणाम है कि हमने विधेयक में संशोधन किया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि धार्मिक कारणों से कृपाण रखना और बड़े कृपाण की आपूत्तर्ि करना जारी रह सके।’’
➡ ECONOMY
6. सीपीएसई ईटीएफ से 17,000 करोड़ जुटाए
• सरकार ने सीपीएसई ईटीएफ की अनुवर्ती सार्वजनिक पेशकश (एफएफओ) के जरिए 17,000 करोड़ रूपये से अधिक जुटाए। घरेलू स्तर पर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के जरिए यह अब तक जुटाई गई सबसे बड़ी राशि है।सीपीएसई ईटीएफ के लिए जारी एफएफओ शुक्रवार को समाप्त हुआ।
• इसके लिए 20,000 करोड़ रपए का अभिदान मिला जबकि निर्गम का कुल आकार 14,000 करोड़ रूपये था। सरकार ने 27 नवम्बर को केंद्रीय लोक उपक्रमों के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की चौथी किस्त जारी की थी।
• एफएफओ खुलने के पहले दिन बड़े निवेशकों ने उनके लिए आरक्षित शेयरों के मुकाबले 5.5 गुणा अधिक निर्गम के लिए बोली लगाई है। उन्होंने 13,300 करोड़ रूपये मूल्य की बोली लगाई। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘करीब 20,000 करोड़ रूपये का अभिदान प्राप्त हुआ है। हम सीपीएसई ईटीएफ एफएफओ से प्राप्त 17,000 करोड़ रूपये से थोड़ा अधिक अपने पास बनाए रखेंगे।’
• पहले 8,000 करोड़ रूपये का निर्गम जारी किया गया था। इसके अलावा इसमें अधिक अभिदान आने पर 6,000 करोड़ रपए की अतिरिक्त बोली स्वीकार करने का विकल्प (ग्रीन शू विकल्प) भी रखा गया। निर्गम का कुल आकार 14,000 करोड़ रपए था। अधिकारी ने कहा कि और अधिक अभिदान रखने की गुंजाइश थी लेकिन इससे कुछ सरकारी कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी 53 फीसद से नीचे आ जाती।
• सीपीएसई ईटीएफ में 11 सरकारी कंपनियों के शेयर शामिल हैं। इन कंपनियों में ओएनजीसी, कोल इंडिया, आईओसी, आयल इंडिया, पीएफसी, आरईसी, भारत इलेक्ट्रानिक्स शामिल हैं।
• सरकार ने ईटीएफ के जरिए जुटाई अब तक की सबसे बड़ी रकमदइस निर्गम के लिए मिला कुल 20,000 करोड़ रूपये का अभिदान
• 27 नवम्बर को जारी की गई थी चौथी किस्त
7. दूसरी तिमाही में सुस्त पड़ी GDP, फिर भी चीन से आगे है भारतीय अर्थव्यवस्था
• नोटबंदी और जीएसटी के क्रियान्वयन से डगमगायी अर्थव्यवस्था अब उच्च विकास दर की राह पर लौट रही है। वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रही है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 6.3 प्रतिशत थी।
• हालांकि विकास दर का ताजा आंकड़ा पिछली तीन तिमाहियों में न्यूनतम है। वैसे चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के आंकड़े भी अर्थव्यवस्था की बेहतर तस्वीर दिखा रहे हैं। इस अवधि में विकास दर 7.6 प्रतिशत रही है जबकि पिछले साल समान अवधि में यह 6.0 प्रतिशत थी।
• खास बात यह है कि अर्थव्यवस्था में निवेश की रफ्तार बढ़ रही है और आजीविका प्रदान करने वाले दो मुख्य क्षेत्रों- कृषि और मैन्युफैक्चरिंग का प्रदर्शन भी पिछले साल की अपेक्षा बेहतर हुआ है।
• जीडीपी के बैंक सीरिज आंकड़ों को लेकर जारी राजनीतिक बहस के बीच सीएसओ (सेंट्रल स्टेटिस्टीकल आर्गनाइजेशन) ने शुक्रवार को जीडीपी के आंकड़े जारी किए।
• सीएसओ के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन यानी निवेश की दर बढ़कर 32.3 प्रतिशत हो गयी है जबकि पिछले साल दूसरी तिमाही में यह 30.8 प्रतिशत थी। लेकिन इस वृद्धि की मूल वजह सरकारी खर्च में तेज वृद्धि है।
• गौरतलब है चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की विकास दर 8.2 प्रतिशत थी। इस तरह दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार थोड़ी धीमी जरूर पड़ी है लेकिन विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्था में अब भी भारत सबसे तेज आर्थिक वृद्धि दर वाला देश है और इस मामले में चीन अब भी भारत से काफी पीछे है।
• जहां तक क्षेत्रवार वृद्धि दर का सवाल है तो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कृषि और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के ग्रॉस वैल्यू एडीशन यानी जीवीए की वृद्धि पिछले साल से बेहतर रही है लेकिन खनन क्षेत्र की स्थिति खराब है। वैसे सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन शानदार रहा है।
• वित्त मंत्रालय ने जीडीपी के ताजा आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मौजूदा वैश्विक माहौल में उच्च वृद्धि दर बनाए रखने की राह पर है।
• चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी अर्थव्यवस्था को कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और रुपये के मूल्य में गिरावट जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। वैसे वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने दूसरी तिमाही की 7.1 प्रतिशत विकास दर को निराशाजनक करार दिया है।
• प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष विवेक देबरॉय का कहना है कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद सरकार नीतिगत प्रयासों से घरेलू स्तर पर स्थिर माहौल बनाने में कामयाब रही है। सरकार ने कारोबार की प्रक्रिया आसान बनाने की दिशा में जो कदम उठाए हैं उससे आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है।
• कुल मिलाकर पहली छमाही में देश की विकास दर 7.6 प्रतिशत रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाली दो तिमाही में अगर अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर रहा तो पूरे साल के लिए विकास दर आठ प्रतिशत के आस-पास आ सकती है।
8. अप्रैल से अक्टूबर के बीच 6.49 लाख करोड़ रहा राजकोषीय घाटा, बजटीय लक्ष्य से 104 फीसद अधिक
• चालू वित्त वर्ष के पूरा होने से पहले ही राजकोषीय घाटा बजटीय लक्ष्य को पार कर गया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक अप्रैल से अक्टूबर के बीच सरकार का राजकोषीय घाटा 6.49 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कि चालू वित्त वर्ष के बजटीय लक्ष्य के मुकाबले 103.9 फीसद है।
• शुक्रवार को सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान सरकार को टैक्स से कुल 6.61 लाख करोड़ रुपये की आमदनी हुई। हालांकि सरकार ने कहा कि वह राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने में सफल होगी।
• वित्त वर्ष 2018-19 के लिए सरकार ने जीडीपी के मुकाबले 3.3 फीसद घाटे का लक्ष्य रखा है।
• चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार में कमी आई है। केंद्रीय सांख्यिकी विभाग (सीएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी कम होकर 7.1 फीसद हो गई है। हालांकि इसके बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी हुई है। दूसरी तिमाही में चीन की जीडीपी 6.7 फीसद रही है।
• बता दें कि न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के पोल में जीडीपी के 7.4 फीसद रहने का अनुमान जताया गया था। वहीं ब्लूमबर्ग के सर्वेक्षण में इसके 7.5 फीसद रहने की उम्मीद जताई गई थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी 8.2 फीसद रही थी। लेकिन अब इसमें 1.1 फीसदी की कमी देखने को मिली है।
• जीडीपी के साथ ही कोर सेक्टर ग्रोथ रेट में भी कमी आई है। अक्टूबर महीने में आठ अहम क्षेत्र की विकास दर कम होकर 4.8 फीसद हो गई। कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और फर्टिलाइजर के उत्पादन में कमी आने की वजह से कोर सेक्टर के ग्रोथ रेट में कमी आई।
• कोर सेक्टर में आठ इंफ्रा सेक्टर आते हैं, जिसमें कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी प्रॉडक्ट्स, फर्टिलाइजर्स, स्टील, सीमेंट और बिजली शामिल है। अक्टूबर 2017 में इस सेक्टर की ग्रोथ रेट 5 फीसद रही थी। हालांकि मासिक आधार पर देखा जाए तो कोर सेक्टर के ग्रोथ में सुधार हुआ है।
9. दुनिया के 42% कोयला आधारित बिजली संयंत्र नुकसान में चल रहे : रिपोर्ट
• दुनिया के 42% कोयला आधारित बिजली संयंत्र घाटे में चल रहे हैं। इनमें भारत के बिजली संयंत्र भी शामिल हैं। इसकी वजह ईंधन की ऊंची लागत होना है।
• वित्तीय थिंक टैंक कॉर्बन ट्रैकर ने अपने अध्ययन में यह निष्कर्ष दिया है। यह तथ्य कोयला उत्पादन के लिए एक चुनौती है। साथ ही यह भी बताता है कि 2015 के पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के अनुरूप इन संयंत्रों को बंद करना आर्थिक रूप से बेहतर रहेगा।
• इस थिंक टैंक ने अपने अध्ययन में 6,685 बिजली संयंत्रों की वित्तीय स्थिति, उनकी लाभप्रदता का विश्लेषण कर यह निष्कर्ष दिया है। कार्बन प्राइसिंग और वायु प्रदूषण के नियमों से लागत बढ़ेगी। 2040 तक इनका आंकड़ा 72% तक पहुंच सकता है।
• अध्ययन के मुताबिक, अक्षय ऊर्जा के स्रोत इसके मुकाबले कम लागत में अधिक बिजली उपलब्ध करा सकते हैं। कोयले से बनने वाली बिजली के प्रयोग को खत्म करने से उपभोक्ताओं और करदाताओं को फायदा होगा क्योंकि भारत एक रेग्युलेटेड बाजार है।
➡ PERSONALITY
10. जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश
• पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश का निधन हो गया है। वह 94 साल के थे। जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश अमेरिका के 41वें राष्ट्रपति थे। साल 1988 में राष्ट्रपति चुने जाने से पहले वह संयुक्त राष्ट्र और चीन में अमेरिका के राजदूत रह चुके थे। वह सीआईए के निदेशक भी थे।
• ज्ञात हो कि उनके समय में ही खाड़ी का पहला युद्ध हुआ था। उस वक्त जब इराक ने कुवैत पर हमला बोल दिया था उस वक्त जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश के नेतृत्व में ही अमेरिका ने इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन को रोका था।
• वह 1989 से 1993 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे। बता दें कि उनकी पत्नी बार्बरा बुश का भी इसी साल करीब 8 महीने पहले 92 साल की उम्र में निधन हुआ है। जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में ही यूएसएसआर यानी सोवियत संघ का विघटन हुआ और शीत युद्ध का खात्मा हुआ था।
• उन्हीं के कार्यकाल में इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन को मात खानी पड़ी और कुवैत को सद्दाम के कोप से बचाने में अमेरिका सफल रहा। इसके बावजूद जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश को दूसरा कार्यकाल नहीं मिला।
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